ETV Bharat / state

बिना जुर्म किए सजा काट रहे नन्हे-मुन्ने बच्चे, यहीं खाते और पढ़ते

जिला कारागार में मात्र महिला कैदी नहीं, बल्कि उनके बच्चे भी सजा काट रहे हैं. वाराणसी जिला जेल में ऐसे 14 बच्चे हैं, जो अपनी मां या दादी के साथ जेल में बिना किसी अपराध के बंद हैं.

मां के साथ सजा काट रहे बच्चे.
मां के साथ सजा काट रहे बच्चे.
author img

By

Published : Feb 7, 2021, 9:43 PM IST

वाराणसी: जिला कारागार में महिलाएं अकेली नहीं हैं. उनके साथ उनके बच्चे भी इस यातना के बीच पल-बढ़ रहे हैं. नन्हे-मुन्ने बच्चे अपने भविष्य को संवारने और बाहरी दुनिया से अलग होने के बाद भी किताबी ज्ञान ले रहे हैं. यह किताबी ज्ञान वाराणसी की जिला जेल में बंद उन बच्चों को दिया जा रहा है, जो अपराधी तो नहीं हैं, लेकिन अपनों के अपराध की सजा इन्हें भुगतनी पड़ रही है.

मां के साथ सजा काट रहे बच्चे.

मां और दादी के साथ हैं ये बच्चे
वाराणसी जिला जेल में सलाखों के पीछे अपने अपराधों के लिए बंद कई महिलाओं के नन्हे-मुन्ने बच्चों को भी उनके साथ रखा गया है. इन महिलाओं में इन बच्चों की मां और दादी हैं, जो संगीन वारदातों की वजह से जिला जेल में कैद हैं. इनके बच्चों की निगरानी और देख-रेख करने वाला बाहरी दुनिया में कोई नहीं है, इसलिए इन बच्चों को भी जिला जेल में इन महिलाओं के साथ रखा गया है.

कुल 14 बच्चे जेल में मौजूद
वर्तमान समय में वाराणसी की स्थायी जिला जेल में 10 बच्चे और अस्थायी जिला जेल में ऐसे 4 बच्चे मौजूद हैं, जो अपनी मां या दादी के साथ यहां पर रहते हैं. दो बच्चे तो ऐसे हैं, जो जेल में ही पैदा हुए. जेल प्रबंधन इन बच्चों के भविष्य को संवारने और इनकी हर जरूरत को पूरा करने का प्रयास करता है.

कोविड में जेल में ही शुरू की क्लास
खास बात यह है कि जो बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं, उन्हें स्कूल भेजा जाता है, लेकिन कोरोना के चलते स्कूल बंद हो गए. ऐसे में जेल प्रबंधन ने जेल में ही क्लास की शुरुआत की. महिला कैदियों ने ही बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. कालकोठरी में ही इन बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है. जेल प्रबंधन कारागार में ही हर जरूरत का सामान मुहैया कराता है, ताकि बच्चे खुश रह सकें.

बंद शिक्षित महिलाओं को सौंपी जाती है जिम्मेदारी
जिला जेल के जेलर पीके द्विवेदी का कहना है कि जेल में ही अपराध की सजा काट रही महिलाओं को बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. इन महिलाओं को इन बच्चों को वर्णमाला से लेकर अक्षरमाला, इंग्लिश और मैथ की शिक्षा देने के लिए लगाया जाता है.

6 साल तक जेल में रखने का प्रावधान
जेलर पीके द्विवेदी का कहना है कि नियम के मुताबिक, 6 साल की उम्र तक बच्चों को जेल में रखने का प्रावधान है. इसके बाद पहली कक्षा में नामांकन के लिए जेल के बाहर स्कूल में दाखिला कराया जाता है. वर्तमान में 14 बच्चे जेल में हैं, इन्हें 6 साल के बाद परिजनों को सौंप दिया जाएगा. अगर परिजन साथ नहीं ले जा रहे तो किसी सरकारी संस्था को सुपुर्द कर दिया जाता है.

वाराणसी: जिला कारागार में महिलाएं अकेली नहीं हैं. उनके साथ उनके बच्चे भी इस यातना के बीच पल-बढ़ रहे हैं. नन्हे-मुन्ने बच्चे अपने भविष्य को संवारने और बाहरी दुनिया से अलग होने के बाद भी किताबी ज्ञान ले रहे हैं. यह किताबी ज्ञान वाराणसी की जिला जेल में बंद उन बच्चों को दिया जा रहा है, जो अपराधी तो नहीं हैं, लेकिन अपनों के अपराध की सजा इन्हें भुगतनी पड़ रही है.

मां के साथ सजा काट रहे बच्चे.

मां और दादी के साथ हैं ये बच्चे
वाराणसी जिला जेल में सलाखों के पीछे अपने अपराधों के लिए बंद कई महिलाओं के नन्हे-मुन्ने बच्चों को भी उनके साथ रखा गया है. इन महिलाओं में इन बच्चों की मां और दादी हैं, जो संगीन वारदातों की वजह से जिला जेल में कैद हैं. इनके बच्चों की निगरानी और देख-रेख करने वाला बाहरी दुनिया में कोई नहीं है, इसलिए इन बच्चों को भी जिला जेल में इन महिलाओं के साथ रखा गया है.

कुल 14 बच्चे जेल में मौजूद
वर्तमान समय में वाराणसी की स्थायी जिला जेल में 10 बच्चे और अस्थायी जिला जेल में ऐसे 4 बच्चे मौजूद हैं, जो अपनी मां या दादी के साथ यहां पर रहते हैं. दो बच्चे तो ऐसे हैं, जो जेल में ही पैदा हुए. जेल प्रबंधन इन बच्चों के भविष्य को संवारने और इनकी हर जरूरत को पूरा करने का प्रयास करता है.

कोविड में जेल में ही शुरू की क्लास
खास बात यह है कि जो बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं, उन्हें स्कूल भेजा जाता है, लेकिन कोरोना के चलते स्कूल बंद हो गए. ऐसे में जेल प्रबंधन ने जेल में ही क्लास की शुरुआत की. महिला कैदियों ने ही बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. कालकोठरी में ही इन बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है. जेल प्रबंधन कारागार में ही हर जरूरत का सामान मुहैया कराता है, ताकि बच्चे खुश रह सकें.

बंद शिक्षित महिलाओं को सौंपी जाती है जिम्मेदारी
जिला जेल के जेलर पीके द्विवेदी का कहना है कि जेल में ही अपराध की सजा काट रही महिलाओं को बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. इन महिलाओं को इन बच्चों को वर्णमाला से लेकर अक्षरमाला, इंग्लिश और मैथ की शिक्षा देने के लिए लगाया जाता है.

6 साल तक जेल में रखने का प्रावधान
जेलर पीके द्विवेदी का कहना है कि नियम के मुताबिक, 6 साल की उम्र तक बच्चों को जेल में रखने का प्रावधान है. इसके बाद पहली कक्षा में नामांकन के लिए जेल के बाहर स्कूल में दाखिला कराया जाता है. वर्तमान में 14 बच्चे जेल में हैं, इन्हें 6 साल के बाद परिजनों को सौंप दिया जाएगा. अगर परिजन साथ नहीं ले जा रहे तो किसी सरकारी संस्था को सुपुर्द कर दिया जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.