उन्नाव: उत्तर प्रदेश में होने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक मैदान सजने लगे हैं. राजनीतिक पार्टियां अपने नेताओं को इन राजनीतिक मैदानों में उतारकर जनता की टोह लेना शुरू कर चुकी हैं. उन्नाव की 162 बांगरमऊ विधानसभा सीट अपने आप में एक खास चुनावी गणित रखती है. इस सीट पर कभी कांग्रेस का कब्जा रहा तो कभी हाथी की सवारी करने वाले प्रत्याशी की जीत हुई, साइकिल पर सवार होने वाला प्रत्याशी भी जीता है. पिछले कुछ चुनावों की बात की जाए तो अब तक बीजेपी ने पिछले 2020 के उपचुनाव में और 2017 के चुनाव में जीत दर्ज की थी. भारतीय जनता पार्टी से कुलदीप सिंह सेंगर ने बांगरमऊ विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी का खाता खोला था जिसके बाद उपचुनाव में बांगरमऊ विधानसभा सीट से श्रीकांत कटियार ने कुलदीप सिंह सेंगर के जेल जाने के बाद फिर से कमल खिलाया.
सपा की सीट के नाम से प्रसिद्ध है सीट
इसी पर मुस्लिम, निषाद और यादव मतदाता अधिक होने के कारण इस सीट को समाजवादी पार्टी की सीट मानी जाती है. वहीं पिछले चुनाव की बात की जाए तो सबसे ज्यादा बार चुनाव समाजवादी पार्टी ने ही जीता है. हालांकि इस सीट पर बहुजन समाजवादी पार्टी का भी प्रदर्शन ठीक रहा है. वहीं देश की आजादी के बाद इस सीट पर कांग्रेस ने कई बार चुनाव जीता है.
मुस्लिम | 66000 |
निषाद | 51000 |
दलित | 41000 |
ब्राह्मण | 40000 |
क्षत्रिय | 27000 |
यादव | 25000 |
बाल्मीकि | 17000 |
पाल | 16000 |
कुर्मी | 13000 |
अन्य | 43806 |
समस्यायें
वैसे बांगरमऊ विधानसभा की समस्याओं की बात की जाए तो इस विधानसभा से लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे तो गुजरा है लेकिन इसकी अन्य सड़कें बहुत ही खराब हैं, यहां की सड़कों पर लोगों को हिचकोले खा कर चलना पड़ता है. कटरी क्षेत्र में रहने वाले लोग आज भी गंगा में बाढ़ आने के चलते पलायन का दंश झेलते हैं. उन्हें गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी होने के साथ ही अपने घर को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर आशियाना बनाना पड़ता है, लेकिन अभी तक स्वतंत्र भारत के बाद किसी भी राजनीतिक नेता ने इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया है.
बांगरमऊ विधानसभा सीट से 2017 में भारतीय जनता पार्टी से कुलदीप सिंह सेंगर ने जीत दर्ज की थी, मगर बाद में कुलदीप सिंह सेंगर रेप के आरोप में जेल चले गए और न्यायालय ने उन्हें दोषी करार देते हुए सजा सुनाई. जिसके बाद विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की विधायकी चली गई. उसके बाद इस विधानसभा का विकास अभी नहीं हो पाया. विकास इस विधानसभा से कोसों दूर है, शिक्षा के क्षेत्र में न ही यहां पर समुचित विद्यालय हैं और न ही स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर पर्याप्त चिकित्सालय व स्वास्थ्य कर्मी. ऐसे में यहां के लोगों को बेहतर इलाज के लिए कानपुर लखनऊ के चक्कर काटने पड़ते हैं.