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उन्नाव: न हुकूमत, न चिंता हुक्मरानों को, मौत के साये में सो रहे पुलिसकर्मी

यूपी के उन्नाव में एक ऐसा पुलिस स्टेशन है, जहां पुलिसकर्मी मौत के साये में जीने को मजबूर हैं. सवाल उठता है कि क्या पुलिस महकमा किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है.

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Published : Sep 23, 2019, 3:04 PM IST

मौत के साये में जीने को मजबूर पुलिसकर्मी.

उन्नाव: ये तस्वीर है, उन्नाव शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित असोहा पुलिस थाने की. यहां 1905 में ब्रिटिश हुकूमत में बनी पुलिसकर्मियों की आवासीय बिल्डिंग वक्त के साथ अब जर्जर हो चुकी है. यहां पुलिसकर्मी मौत की छत के नीचे रहने को मजबूर हैं. गिरते प्लास्टर और बारिश में टपकती बूंदों के बीच दहशत में रहकर पुलिसकर्मी यहां रात गुजारने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं बारिश में तो पुलिसकर्मियों के खाने तक का इंतजाम नहीं हो पाता.

मौत के साये में जीने को मजबूर पुलिसकर्मी.

ब्रिटिश शासन में बने पुलिस बैरक भवन की मरम्मत को न तो हुकूमत को चिंता है न ही हुक्मरानों को.आलम ये है कि समाज को सुरक्षित रखने वाले पुलिसकर्मी खुद ही असुरक्षा में जीने को मजबूर हैं. और हों भी क्यों न..हक़ की आवाज उठाएंगे तो विभागीय कार्रवाई के राडार पर होंगे. इस तरह जवान खौफ के साए में रहने को मजबूर हैं.

एसपी ने बताया कि जवानों की इस समस्या का जल्द समाधान किया जाएगा. बारिश होने से दीवार के प्लास्टर गिर रहे हैं. जल्द ही भवन की मरम्मत कराई जाएगी. क्षतिग्रस्त भवनों के नीचे रहने से हमने इंस्पेक्टर से बात करके मना करा दिया है कि कोई भी जवान क्षतिग्रस्त भवन के नीचे नहीं रहेगा. सवाल उठता है कि आखिर समस्या का समाधान होगा कब...क्या पुलिस महकमा किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है.

उन्नाव: ये तस्वीर है, उन्नाव शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित असोहा पुलिस थाने की. यहां 1905 में ब्रिटिश हुकूमत में बनी पुलिसकर्मियों की आवासीय बिल्डिंग वक्त के साथ अब जर्जर हो चुकी है. यहां पुलिसकर्मी मौत की छत के नीचे रहने को मजबूर हैं. गिरते प्लास्टर और बारिश में टपकती बूंदों के बीच दहशत में रहकर पुलिसकर्मी यहां रात गुजारने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं बारिश में तो पुलिसकर्मियों के खाने तक का इंतजाम नहीं हो पाता.

मौत के साये में जीने को मजबूर पुलिसकर्मी.

ब्रिटिश शासन में बने पुलिस बैरक भवन की मरम्मत को न तो हुकूमत को चिंता है न ही हुक्मरानों को.आलम ये है कि समाज को सुरक्षित रखने वाले पुलिसकर्मी खुद ही असुरक्षा में जीने को मजबूर हैं. और हों भी क्यों न..हक़ की आवाज उठाएंगे तो विभागीय कार्रवाई के राडार पर होंगे. इस तरह जवान खौफ के साए में रहने को मजबूर हैं.

एसपी ने बताया कि जवानों की इस समस्या का जल्द समाधान किया जाएगा. बारिश होने से दीवार के प्लास्टर गिर रहे हैं. जल्द ही भवन की मरम्मत कराई जाएगी. क्षतिग्रस्त भवनों के नीचे रहने से हमने इंस्पेक्टर से बात करके मना करा दिया है कि कोई भी जवान क्षतिग्रस्त भवन के नीचे नहीं रहेगा. सवाल उठता है कि आखिर समस्या का समाधान होगा कब...क्या पुलिस महकमा किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है.

Intro: उन्नाव का एक थाना ऐसा है, जहां का स्टाफ मौत की छत के नीचे रहने को मजबूर है । गिरते प्लास्टर व बारिश में टपकती बूंदों के बीच दहशत में रहकर पुलिस के जवान रातें गुजार रहे है । यही नही बारिश में तो जवानों की खाने की मेस भी बंद हो जाती है। ब्रिटिश शासन में बने पुलिस बैरिक भवन की मरम्मत को न साहब न तो सरकार सुध ले रही है । यानि कि समाज को सुरक्षित रखने वाले पुलिस के जवान खुद ही असुरक्षा में जीने को मजबूर है । हो भी क्यों न हक़ की आवाज उठाएंगे तो विभागीय कार्रवाई के राडार पर होंगे । इस तरह जवान ख़ौफ़ के साए में रहने को मजबूर हो रहे हैं ।

Body:आपको बता दें कि हम बात कर रहे है, उन्नाव शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित असोहा पुलिस थाने की। जी हां, यहां सन 1905 ब्रिटिश हुकूमत में बनी जवानों की आवासीय बिल्डिंग अब धराशाई हो रही है। मगर साहब को जवानो की जिंदगी से प्रेम नजर नही आ रहा है।तभी तो यहां के 22 पुलिस जवान (आरक्षी) व 4 सब इंस्पेक्टर इन दिनों थाना परिसर में बने जर्जर आवासों में मौत की दहशत के बीच रात बिताने को मजबूर है । बारिश में तो मुश्किलें इतनी बढ़ गई है कि टपकती छतों से प्लास्टर के बड़े-बड़े टुकड़े गिर रहे है । जवानों की दुश्वारियां यही नही रुकती बारिश में मेस भी बंद करनी पड़ती है । जिससे जवानों को खाने के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है । कई पुलिस के जवान मौत के भय के चलते जर्जर आवासीय भवन में न रहकर किराए पर मकान लेकर विभाग के प्रति अपनी कर्तव्यनिष्ठा निभा रहे है । आपको बता दें कि बीते साल थाना कार्यालय का नया भवन बनने से अधिकारी जरूर अब राहत की नींद सो रहे है । मगर जवानों की सुध लेने वाला कोई नही है । एसपी ने बताया कि जवानों की समस्या को लेकर इंस्पेक्टर से बात कर जल्द समाधान के निर्देश दिए गए है । बारिश होने से दीवार के प्लास्टर गिर रहे हैं। जल्द ही भवन की मरम्मत कराई जाएगी। क्षतिग्रस्त भवनों के नीचे रहने से हमने इंस्पेक्टर से बात करके मना करा दिया है कि कोई भी जवान क्षतिग्रस्त भवन के नीचे नहीं रहेगा।

बाईट- एमपी वर्मा, पुलिस अधीक्षक उन्नाव ।Conclusion:
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