उन्नाव: ''नहीं एकता सरिस बल कोय, एक-एक मिलि ग्यारह होय" हिन्दी भाषा की इन सरल पंक्तियों से जनमानस में एकता का प्राण फूंकने वाले देश के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के प्रेरक विद्वान कवि अमर साहित्यकार पं.प्रताप नारायण मिश्र की 164 वीं जयंती उनके जन्मस्थान ग्राम बैजेगांव (बेथर)में हर्षोल्लास से मनाई गई. इस आयोजन में सूबे के सहकारिता मंत्री ने भी भाग लिया. सहकारिता मंत्री ने माल्यार्पण कर नमन किया. कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक आयोजन की भी धूम रही.
जन्म जयंती पर कवि को नमन
- जनपद से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित अमर साहित्यकार पंडित प्रताप नारायण मिश्र की जन्मस्थली बैजेगांव (बेथर)में मंगलवार को 164वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई.
- सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा और दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री वीरेंद्र तिवारी ने अमर साहित्यकार प्रताप नारायण मिश्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया.
- इसके अलावा सदर विधायक पंकज गुप्ता समेत सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने कार्यक्रम में शामिल होकर अमर साहित्यकार को श्रद्धा सुमन अर्पित किए.
निकली प्रभातफेरी
- जयंती समारोह से पहले सुबह गांव में प्रभातफेरी निकाली गई.
- कार्यक्रम में हाईस्कूल के छात्र छात्राओं की खेलकूद प्रतियोगिता भी आयोजित हुई.
- उसके बाद आल्हा गायन प्रतियोगिता और कारगिल विजय जैसे कार्यक्रमों ने लोगों का मन मोह लिया.
पत्रकारिता और राजनीति से रहा पंडित जी का जुड़ाव
- 38 साल की जीवन यात्रा में श्री मिश्र ने देश और हिन्दी साहित्य की जितनी सेवा की उतना किसी साधारण ब्यक्ति के लिए सौ साल में भी सम्भव नहीं है.
- देश सेवा के लिए राजनीति के शिखर को छूते हुए पं.जी ने राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की.
- हिंदी के उद्धार के लिये भारतेंदु हरिश्चंद्र,बालकृष्ण शर्मा की त्रयी बनकर आधुनिक हिंदी साहित्य का मार्ग प्रशस्त किया.
- आर्थिक संकट से जूझते हुये प्रताप नारायण ने समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का सफल प्रकाशन ही नही किया, बल्कि उनके माध्यम से देश में आजादी की अलख भी जगाई.
भारत में संस्कृति और संस्कार दोनों का बड़ा महत्व है.आदरणीय पंडित प्रताप नारायण मिश्र ने उसे संजो कर रखा है, उसमें ही देश की अखंडता छिपी है. बहुत ही संस्कारित और प्रेमी व्यक्तित्व के समारोह में आने का अवसर मिला, ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है.
- मुकुट बिहारी वर्मा, सहकारिता मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार