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पुलवामा एक साल: शहीद बेटे की याद में फफक पड़ती हैं मां, आज भी पिता के इंतजार में बच्चे - one year of Pulwama terror attack

14 फरवरी यानी आज ही के दिन पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में 40 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे. इस 40 शहीदों में उन्नाव की सरजमीं का एक 'आजाद' भी देश के लिए शहीद हो गया था, लेकिन आज भी बेटी ईशा व श्रेया पिता के आने का इंतजार कर रही हैं.

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पुलवामा एक साल.
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Published : Feb 14, 2020, 12:42 AM IST

Updated : Feb 14, 2020, 7:11 PM IST

उन्नाव: 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले में उन्नाव के जाबांज अजीत कुमार आजाद भी शहीद हो गए थे. मासूम बेटी ईशा व श्रेया के सिर से पिता का साया तो पत्नी मीना की मांग का सिंदूर मिट गया. मां भारती की रक्षा में शहादत देने वाले अजीत की अंतिम यात्रा में हर आंख रोई थी. परिवार के गम में जिले के लोग ही नहीं सरकार के नुमाइंदे भी शरीक हुए थे.

एक साल का समय पूरा हो गया, लेकिन मोहल्ले का नाम शहीद के नाम पर नहीं हो सका और न ही शहीद द्वार बनाया जा सका. सरकारी नौकरी मिलने से मीना सरकार के प्रति संतोष तो व्यक्त कर रही हैं, लेकिन पिता कानून मंत्री की वादाखिलाफी को कोसते थक नहीं रहे.

उन्नाव का लाल हुआ था पुलवामा आतंकी हमले में शहीद
फरवरी की वो काली शाम जब पुलवामा आत्मघाती हमले में 40 शहीदों में उन्नाव की सरजमीं का एक और 'आजाद' देश के लिए शहीद हो गया था. कुछ ही पलों में पत्नी मीना गौतम की हंसती-खेलती जिंदगी गमों के पहाड़ के नीचे चकनाचूर हो गई थी.

ये भी पढ़ें- लखनऊ: देसी बम के हमले में कई वकील घायल, सुरक्षा पर उठे सवाल

आज भी सिहर उठता है परिवार
उन्नाव के मोहल्ला लोकनगर निवासी अजीत कुमार आजाद सीआरपीएफ की 115वीं बटालियन में तैनात थे. 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले में अजीत वीरगति को प्राप्त हो गए. अजीत कुमार आजाद की शहादत पर हर आंख रोई थी. जांबाज की शहादत को पूरे एक साल हो गए, लेकिन परिवार आज भी उस गम से बाहर नहीं निकल पाया. 8 वर्षीय बेटी ईशा व 6 साल की श्रेया आज भी पिता के आने का इंतजार कर रही हैं तो 14 फरवरी की उस रात के मंजर को याद कर आज भी पिता प्यारेलाल व पत्नी मीना गौतम सिहर उठते हैं.

पुलवामा एक साल.

थलसेना में हवलदार हैं भाई
शहीद की पत्नी मीना गौतम की जिला विकास अधिकारी कार्यालय में नियुक्ति हो चुकी है. वहीं प्रशासन की तरफ से शहर के बाहरी हिस्से में शहीद स्मारक स्थल के लिए जमीन भी दी जा चुकी है. जिस पर जन सामान की सहयोग से इस स्मारक निर्माण का कार्य भी हो रहा है. शहीद का एक भाई मंजीत थलसेना में हवलदार के पद पर मां भारती की रक्षा के लिए सरहद पर तैनात है, जिससे परिवार की देश सेवा की भावना का अंदाजा लगाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- कभी रेडियो सुनने के लिए लेना पड़ता था लाइसेंस, आज भी बुजुर्गों की है पहली पसंद

आज भी भर आती हैं मां की आंख
शहीद बेटे को याद कर आज भी मां फफक पड़ती हैं. शहीद के पिता प्यारेलाल व पत्नी मीना गौतम कहती हैं कि जिस दिन देश से आतंकवाद खत्म हो जाएगा. वही दिन शहीदों की शहादत का असली दिन होगा. वहीं 8 साल की बेटी ईशा आजाद भविष्य में वैज्ञानिक बनकर पिता का सपना पूरा करने के साथ ही देश सेवा का जज्बा संजो रही हैं. इस सबके बीच शहीद के भाई रंजीत आजाद के मन में पीड़ा भी निकल कर सामने आई. उनका कहना था कि भाई की शहादत की अंतिम यात्रा में शामिल होने आए उत्तर प्रदेश सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने शहीद स्मारक द्वार व मोहल्ले का नाम शहीद अजीत कुमार आजाद के नाम पर रखने की बात कही थी, जिसे एक साल पूरे होने को है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो सका.

उन्नाव: 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले में उन्नाव के जाबांज अजीत कुमार आजाद भी शहीद हो गए थे. मासूम बेटी ईशा व श्रेया के सिर से पिता का साया तो पत्नी मीना की मांग का सिंदूर मिट गया. मां भारती की रक्षा में शहादत देने वाले अजीत की अंतिम यात्रा में हर आंख रोई थी. परिवार के गम में जिले के लोग ही नहीं सरकार के नुमाइंदे भी शरीक हुए थे.

एक साल का समय पूरा हो गया, लेकिन मोहल्ले का नाम शहीद के नाम पर नहीं हो सका और न ही शहीद द्वार बनाया जा सका. सरकारी नौकरी मिलने से मीना सरकार के प्रति संतोष तो व्यक्त कर रही हैं, लेकिन पिता कानून मंत्री की वादाखिलाफी को कोसते थक नहीं रहे.

उन्नाव का लाल हुआ था पुलवामा आतंकी हमले में शहीद
फरवरी की वो काली शाम जब पुलवामा आत्मघाती हमले में 40 शहीदों में उन्नाव की सरजमीं का एक और 'आजाद' देश के लिए शहीद हो गया था. कुछ ही पलों में पत्नी मीना गौतम की हंसती-खेलती जिंदगी गमों के पहाड़ के नीचे चकनाचूर हो गई थी.

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आज भी सिहर उठता है परिवार
उन्नाव के मोहल्ला लोकनगर निवासी अजीत कुमार आजाद सीआरपीएफ की 115वीं बटालियन में तैनात थे. 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले में अजीत वीरगति को प्राप्त हो गए. अजीत कुमार आजाद की शहादत पर हर आंख रोई थी. जांबाज की शहादत को पूरे एक साल हो गए, लेकिन परिवार आज भी उस गम से बाहर नहीं निकल पाया. 8 वर्षीय बेटी ईशा व 6 साल की श्रेया आज भी पिता के आने का इंतजार कर रही हैं तो 14 फरवरी की उस रात के मंजर को याद कर आज भी पिता प्यारेलाल व पत्नी मीना गौतम सिहर उठते हैं.

पुलवामा एक साल.

थलसेना में हवलदार हैं भाई
शहीद की पत्नी मीना गौतम की जिला विकास अधिकारी कार्यालय में नियुक्ति हो चुकी है. वहीं प्रशासन की तरफ से शहर के बाहरी हिस्से में शहीद स्मारक स्थल के लिए जमीन भी दी जा चुकी है. जिस पर जन सामान की सहयोग से इस स्मारक निर्माण का कार्य भी हो रहा है. शहीद का एक भाई मंजीत थलसेना में हवलदार के पद पर मां भारती की रक्षा के लिए सरहद पर तैनात है, जिससे परिवार की देश सेवा की भावना का अंदाजा लगाया जा सकता है.

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आज भी भर आती हैं मां की आंख
शहीद बेटे को याद कर आज भी मां फफक पड़ती हैं. शहीद के पिता प्यारेलाल व पत्नी मीना गौतम कहती हैं कि जिस दिन देश से आतंकवाद खत्म हो जाएगा. वही दिन शहीदों की शहादत का असली दिन होगा. वहीं 8 साल की बेटी ईशा आजाद भविष्य में वैज्ञानिक बनकर पिता का सपना पूरा करने के साथ ही देश सेवा का जज्बा संजो रही हैं. इस सबके बीच शहीद के भाई रंजीत आजाद के मन में पीड़ा भी निकल कर सामने आई. उनका कहना था कि भाई की शहादत की अंतिम यात्रा में शामिल होने आए उत्तर प्रदेश सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने शहीद स्मारक द्वार व मोहल्ले का नाम शहीद अजीत कुमार आजाद के नाम पर रखने की बात कही थी, जिसे एक साल पूरे होने को है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो सका.

Last Updated : Feb 14, 2020, 7:11 PM IST
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