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कुपोषण की गिरफ्त में उन्नाव, अधिकारी दे रहे खोखली दलीलें!

उन्नाव जनपद में कुपोषित बच्चों की संख्या 43 हजार है. आज भी अधिकारी कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने की बजाय सिर्फ कागजी दलील देने में ही व्यस्त है.

कुपोषित बच्चा
कुपोषित बच्चा
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Published : Nov 29, 2019, 11:50 AM IST

उन्नाव: देश को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार द्वारा कई सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. हाल ही में आए एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश कुपोषण के मामले में दूसरे स्थान पर है. खबर ने भले ही सूबे की सरकार के माथे पर बल ला दिया हो, लेकिन जिले में लापरवाह अधिकारियों की वजह से कुपोषित बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.

कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने के दावे खोखले.

43 हजार बच्चे कुपोषित
सरकारी आकड़ों की मानें तो जिले में लगभग 43 हजार बच्चे कुपोषित हैं. हालांकि अधिकारी लगातार सरकारी योजनाएं चलकर कुपोषण को खत्म करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जनपद में कुपोषित बच्चों की संख्या अधिकारियों के सभी दावे झुठलाने के लिए काफी है.

कुपोषण मुक्त जिला बनाने के दावे फेल
कुपोषण पर नकेल लगाने में अधिकारी पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं. कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने के लिए भले ही जिले के अधिकारियों ने कुपोषित गांवों को गोद लेकर कुपोषण मुक्त बनाने के दावे किए थे. वो सभी दावे हवा हवाई साबित हुए और योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही सिमटकर रह गई. हालात ये हैं कि न तो उन गांवों में कुपोषण खत्म हुआ और न ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिला.

जनपद में 39 हजार बच्चे पीली श्रेणी में, तो वहीं 4 हजार बच्चे रेड जोन में है. हालांकि कुपोषित बच्चों को पोषाहार देकर कुपोषण से मुक्त करने का काम किया जाता है. वहीं अति कुपोषित बच्चों का जिला अस्पताल के राहत और पुनर्वास वार्ड में भर्ती कराकर कुपोषण से मुक्ति दिलाने के प्रयास लगातार कर रहे हैं.
-दुर्गेश प्रताप सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी

उन्नाव: देश को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार द्वारा कई सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. हाल ही में आए एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश कुपोषण के मामले में दूसरे स्थान पर है. खबर ने भले ही सूबे की सरकार के माथे पर बल ला दिया हो, लेकिन जिले में लापरवाह अधिकारियों की वजह से कुपोषित बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.

कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने के दावे खोखले.

43 हजार बच्चे कुपोषित
सरकारी आकड़ों की मानें तो जिले में लगभग 43 हजार बच्चे कुपोषित हैं. हालांकि अधिकारी लगातार सरकारी योजनाएं चलकर कुपोषण को खत्म करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जनपद में कुपोषित बच्चों की संख्या अधिकारियों के सभी दावे झुठलाने के लिए काफी है.

कुपोषण मुक्त जिला बनाने के दावे फेल
कुपोषण पर नकेल लगाने में अधिकारी पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं. कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने के लिए भले ही जिले के अधिकारियों ने कुपोषित गांवों को गोद लेकर कुपोषण मुक्त बनाने के दावे किए थे. वो सभी दावे हवा हवाई साबित हुए और योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही सिमटकर रह गई. हालात ये हैं कि न तो उन गांवों में कुपोषण खत्म हुआ और न ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिला.

जनपद में 39 हजार बच्चे पीली श्रेणी में, तो वहीं 4 हजार बच्चे रेड जोन में है. हालांकि कुपोषित बच्चों को पोषाहार देकर कुपोषण से मुक्त करने का काम किया जाता है. वहीं अति कुपोषित बच्चों का जिला अस्पताल के राहत और पुनर्वास वार्ड में भर्ती कराकर कुपोषण से मुक्ति दिलाने के प्रयास लगातार कर रहे हैं.
-दुर्गेश प्रताप सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी

Intro:उन्नाव:-देश को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार द्वारा कई सारी योजनाएं चलाई जा रही हो लेकिन हाल ही में आई एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश कुपोषण के मामले में दूसरे स्थान पर होने की खबर ने भले ही सूबे की सरकार के माथे पर बल ला दिया हो लेकिन उन्नाव में लापरवाह अधिकारियों की वजह से कुपोषित बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है सरकारी आकड़ो की माने तो जिले में लगभग 43 हज़ार बच्चे कुपोषित है हालांकि अधिकारी लगातार सरकारी योजनाएं चलकर कुपोषण को खत्म करने का दावा कर रहे है लेकिन जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या अधिकारियों के सभी दांवे झुठलाने के लिए काफी है । 




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उन्नाव में कुपोषण पर नकेल लगाने में जिले के अधिकारी पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे है कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने के लिए भले ही जिले के अधिकारियों ने कुपोषित गांवों को गोद लेकर कुपोषण मुक्त बनाने के दावे किए थे लेकिन वो सभी दावे हवा हवाई साबित हुए और योजनाएं सिर्फ कागजो पर ही सिमटकर रह गयी हालात ये है कि ना तो उन गांवों में कुपोषण खत्म हुआ और ना ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिला शायद यही वजह है कि आज भी 43 हज़ार बच्चे कुपोषण का शिकार है जिनमे 39 हज़ार बच्चे जहां पीली श्रेणी में वही 4000 बच्चे रेड जोन में है हालांकि जिले के अधिकारी जहां पोषाहार के जरिये कुपोषित बच्चों को ठीक करने का दावा कर रहे है वही अति कुपोषित बच्चों का जिला अस्पताल के राहत और पुनर्वास वार्ड में भर्ती कराकर कुपोषण से मुक्ति पाने के प्रयास करने की बात कर रहे है।

बाईट--दुर्गेश प्रताप सिंह (जिला कार्यक्रम अधिकारी)



Conclusion:वही हैरानी की बात तो ये है कि जिले के अधिकारी कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने की बजाय सिर्फ कागजी दलील देने में ही व्यस्त है लेकिन सरकारी आंकड़े अपने आप मे ही चौकाने वाले है और 43 हज़ार कुपोषित बच्चे अधिकारियों की सभी दलीले खोखली साबित कर रही है।

वीरेंद्र यादव
उन्नाव
मो-9839757000



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