उन्नाव: जिले में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. लालता प्रसाद के द्वारा बिना ई-टेंडर के एक करोड़ 10 लाख रुपए खर्च कर देने का मामला सामने आया है. इस पूरे मामले का खुलासा उस समय हुआ जब कुछ कर्मचारियों ने डीएम को लिखित शिकायत देकर उनके भुगतान न किए जाने की बात कही थी. उसके बाद डीएम ने सिटी मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय टीम गठित कर मामले की जांच करने का आदेश दिया था. जांच में टीम ने पाया कि स्वास्थ्य विभाग में फर्नीचर खरीद में बड़ी गड़बड़ी हुई है और इसकी खरीद के लिए जेम पोर्टल से फर्म को फर्नीचर आपूर्ति का ऑर्डर दे दिया गया था.
क्या है पूरा मामला
- जिले के स्वास्थ्य विभाग में एक करोड़ दस लाख रुपए के फर्नीचर व उपकरण खरीद में मानकों की अनदेखी की गई है.
- 30 लाख से अधिक रकम खर्च करने की स्थिति में ही टेंडर प्रक्रिया अपनाने के निर्देश के बाद भी सीएमओ ने जेम पोर्टल के जरिए दो फर्म से करोड़ों रुपए का सामान खरीद डाला.
- कर्मचारियों ने डीएम से लिखित शिकायत की थी कि विभाग द्वारा उनके भुगतान नहीं किए जा रहे हैं, जिसके बाद डीएम के निर्देश पर तीन सदस्यीय टीम द्वारा की गई जांच में इस पूरे खेल का खुलासा हुआ.
- टीम को अस्पताल में प्रयोग होने वाले उपकरण साज-सज्जा के उत्पादों की खरीद में भी गड़बड़ी मिली है.
- टीम ने जांच पूरी कर रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है.
...इस तरह घोटाले को दिया गया अंजाम
- छह माह पूर्व सीएमओ कार्यालय में 39 लाख 89 हजार रुपये खर्च कर फर्नीचर खरीदा गया था.
- सीएमओ ने फर्नीचर खरीद के लिए ई टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनाई.
- जेम पोर्टल के जरिए सीएमओ ने डीएम इंटरप्राइजेज अमीनाबाद व मैसर्स महाबली इंटरप्राइजेज इंदिरानगर के जरिए फर्नीचर खरीदा. इसके अलावा 10 लाख रुपए के उपकरण और 57 लाख रुपए से अधिक का साज सज्जा का सामान भी जेम पोर्टल के जरिए ही खरीद डाला.
- फर्नीचर खरीद में गुणवत्ता की अनदेखी भी की गई.
- इसकी शिकायत डीएम देवेंद्र कुमार पांडेय को मिली तो उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय टीम गठित कर जांच के आदेश दिए.
- सिटी मजिस्ट्रेट के अलावा वित्त एवं लेखा अधिकारी व जिला समाज कल्याण अधिकारी ने जांच की, तो पता चला कि 15 दिन के अंदर जेम पोर्टल के जरिए एक करोड़ रुपए का सामान दो फर्मों से खरीदा गया है.
- खरीद में किसी भी यूनिट से मांग पत्र भी नहीं भेजा गया था.
- जांच टीम को फर्नीचर की गुणवत्ता के संबंध में कोई प्रमाण पत्र नहीं मिला.
- प्रक्रिया को वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में रखते हुए जांच टीम ने रिपोर्ट डीएम देवेंद्र कुमार पांडेय को भेज दी है.
जांच में हुआ बड़ा खुलासा
- स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न सीएचसी के लिए 10 लाख रुपए खर्च कर 26 उपकरण भी खरीदे हैं.
- जांच टीम ने उपकरणों के संबंध में जब मांग पत्र मांगे तो वह नहीं मिले.
- इसके अलावा उपकरणों की गुणवत्ता प्रमाण पत्र व सामग्री का मानक भी नहीं मिला है.
- जांच टीम ने रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि 10 लाख रुपए का खर्च मात्र बजट को खपाने के उद्देश्य किया गया है.
- इस बड़े खेल में सीएमओ ने एक ही दिन में 50 लाख का ऑर्डर भेज दिया.
- सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा की गई जांच में साज सज्जा के नाम पर खर्च किए गए 50 लाख में भी गड़बड़ी के संकेत मिले हैं.
कर्मचारियों को नहीं मिल रहा समय से वेतन
- कर्मचारियों ने जो भुगतान को लेकर शिकायत की थी, उसमें भी बड़ा खेल सामने आया है.
- स्वास्थ्य कर्मियों को माह की पांच तारीख तक वेतन भी नहीं मिल रहा है.
- अधिकतर सीएचसी में 15 तारीख के बाद वेतन दिया जा रहा है.
- इसके अलावा सातवें वेतनमान के एरियर का भुगतान भी छह माह तक नहीं किया गया, जबकि विभाग को 26 अप्रैल 2018 को पहली किस्त 16 अक्टूबर को दूसरी किस्त मिल गई थी.
- जांच टीम ने किसी अन्य से वेतन समय से निकालने वालों की रिपोर्ट डीएम को दी है।
कुछ कर्मचारियों ने शिकायत की थी कि उनका बजट आ गया है, लेकिन सीएमओ भुगतान नहीं कर रहे हैं. जब यह मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में आया तो उन्होंने इसकी जांच के लिए एक तीन सदस्यीय टीम का गठन किया, जिसमें मैं भी शामिल था. इस मामले में पूरी जांच की गई है और उनकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जा चुकी है, इसमें कुछ सत्यता पाई गई थी.
-राकेश कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट, उन्नाव