ETV Bharat / state

शहीद सुशील कुमार की शहादत के 10 साल पूरे, कई वादे आज भी अधूरे

author img

By

Published : Apr 7, 2021, 5:51 PM IST

Updated : Apr 8, 2021, 6:19 PM IST

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 6 अप्रैल 2010 को नक्सली हमले में 76 जवान शहीद हुए थे. इनमें 30 जवान यूपी के थे. इनमें से एक सीआरपीएफ के जवान उन्नाव के कोरारी गांव के थे जिनका नाम सुशील कुमार था. उनकी शहादत के 10 साल 6 अप्रैल से पूरे हो जाएंगे लेकिन शहादत के दिन प्रशासन व राजनीतिक लोगों द्वारा किए गए वादे आज भी पूरे नहीं किए गए हैं. परिवार के लोग आज भी उम्मीद लगाए बैठे हैं.

पत्नी सुनीता बच्चों के साथ
पत्नी सुनीता बच्चों के साथ

उन्नाव : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 6 अप्रैल 2010 को नक्सलियों से लोहा लेते हुए सुशील कुमार शहीद हो गए थे. उनका शव गांव पहुंचा तो गांव में कोहराम मच गया.

वहां के नेताओं व जनपद के प्रशासनिक अधिकारियों ने कई वादे किए जिनमें शहीद के परिवार को 5 बीघे जमीन का पट्टा, आवास व गांव के लिंक मार्ग पर एक द्वार बनवाने व शहीद का स्मारक स्थल बनवाने का वादा किया गया था.

इन वादों में शहीद के घर तक जाने वाले मार्ग का तो निर्माण हो चुका है, शहीद स्मारक स्थल भी बन गया है लेकिन 10 साल बाद भी शहीद परिवार को आवास नहीं मिला है. न ही द्वार बनाया गया है.

शहीद सुशील कुमार की शहादत के 10 साल पूरे

यह भी पढ़ें : ककड़ी की पेशकश पर भड़कीं IAS अधिकारी, कर्मचारी को थमाई नोटिस

परिवार के लोग आज भी देख रहे राह
सुशील कुमार तीन भाइयों में बीच के थे. उनसे छोटे भाई का नाम अरुण व बड़े भाई का नाम श्याम सुंदर है. वहीं, दो बहनें भी हैं जिनकी शादी हो चुकी है. सुशील कुमार की पत्नी का नाम सुनीता व दो बच्चे निधि व निखिल हैं. सुशील कुमार की पत्नी सुनीता एक टीचर हैं. वह उन्नाव में रहकर अपने बच्चों की देखभाल कर रहीं हैं.

वादे तो हुए थे लेकिन अभी पूरे नहीं हुए
कोरारी गांव निवासी सुशील कुमार के छोटे भाई अरुण ने बताया कि जब सुशील कुमार शहीद हुए तो कई नेता व अधिकारी आए. नेताओं ने कई वादे किए जिनमें कुछ वादे तो पूरे हुए लेकिन कुछ वादे आज भी अधूरे हैं.

बताया कि उनके परिवार को एक आवास देने की बात कही गई थी. लेकिन आज भी उनका घर खंडहर बना है. गांव आने में लिंक मार्ग पर एक द्वार बनाने का वादा भी किया गया था जो आज तक पूरा नहीं हुआ.

बच्चों की परवरिश की खातिर नहीं की नौकरी
पत्नी सुनीता बतातीं हैं कि जब सुशील कुमार शहीद हुए तो केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें नौकरी का ऑफर दिया गया था. लेकिन बच्चे बहुत छोटे होने के कारण उन्होंने नौकरी नहीं की. उन्होंने सरकार से ईटीवी भारत के माध्यम से आग्रह किया कि यदि उन्हें या उनके बच्चों को राज्य सरकार नौकरी देती है तो वह नौकरी कर लेंगी.

बताया कि पहले ऐसा प्रावधान नहीं था. तब केंद्र सरकार ही नौकरी देती थी जबकि अब नियम बदल गये हैं. राज्य सरकार भी नौकरी देने लगी है. ऐसे में सरकार यदि चाहती है तो वह राज्य सरकार के अधीन नौकरी कर लेंगीं क्योंकि पेंशन से उनका गुजारा तो हो रहा है लेकिन बच्चों की पढ़ाई व अन्य खर्चों को लेकर उन्हें समझौता करना पड़ता है.

यह भी पढ़ें : प्रेमिका से मिलने पहुंचे प्रेमी के साथ ऐसा क्या हुआ जिससे हुई उसकी मौत


फ़ोटो देख गिरने लगे आंखों से आंसू
पुराने एल्बम में लगी शहीद सुशील कुमार की फोटो को निहारते हुए उनकी पत्नी सुनीता की आंखों से आंसू बहने लगे. उन्होंने रुंधे गले से ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि सुशील कुमार सुबह 4 बजे प्रतिदिन फोन करते थे. शहादत वाले दिन उनका फोन नहीं आया तो वह सभी बेचैन हो गए. कुछ देर बाद देखा कि खबरें आने लगीं कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमला हो गया है. इसमें बहुत सारे जवान शहीद हो गए हैं. उन जवानों में सुशील कुमार का भी नाम था.


नए शाहीद जवानों के साथ पुरानों का भी रखा जाए ख्याल
ईटीवी भारत के माध्यम से सुनीता ने कहा कि वह सरकार से आग्रह करती हैं कि जिस तरीके से सरकार जो नए जवान शहीद हो रहे हैं, उनका व उनके परिवार का ख्याल रख रही है, उसी तरह पुराने शहीद जवानों के परिवारों व उनसे किए गए वादों का भी ख्याल रखा जाए.

उन्नाव : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 6 अप्रैल 2010 को नक्सलियों से लोहा लेते हुए सुशील कुमार शहीद हो गए थे. उनका शव गांव पहुंचा तो गांव में कोहराम मच गया.

वहां के नेताओं व जनपद के प्रशासनिक अधिकारियों ने कई वादे किए जिनमें शहीद के परिवार को 5 बीघे जमीन का पट्टा, आवास व गांव के लिंक मार्ग पर एक द्वार बनवाने व शहीद का स्मारक स्थल बनवाने का वादा किया गया था.

इन वादों में शहीद के घर तक जाने वाले मार्ग का तो निर्माण हो चुका है, शहीद स्मारक स्थल भी बन गया है लेकिन 10 साल बाद भी शहीद परिवार को आवास नहीं मिला है. न ही द्वार बनाया गया है.

शहीद सुशील कुमार की शहादत के 10 साल पूरे

यह भी पढ़ें : ककड़ी की पेशकश पर भड़कीं IAS अधिकारी, कर्मचारी को थमाई नोटिस

परिवार के लोग आज भी देख रहे राह
सुशील कुमार तीन भाइयों में बीच के थे. उनसे छोटे भाई का नाम अरुण व बड़े भाई का नाम श्याम सुंदर है. वहीं, दो बहनें भी हैं जिनकी शादी हो चुकी है. सुशील कुमार की पत्नी का नाम सुनीता व दो बच्चे निधि व निखिल हैं. सुशील कुमार की पत्नी सुनीता एक टीचर हैं. वह उन्नाव में रहकर अपने बच्चों की देखभाल कर रहीं हैं.

वादे तो हुए थे लेकिन अभी पूरे नहीं हुए
कोरारी गांव निवासी सुशील कुमार के छोटे भाई अरुण ने बताया कि जब सुशील कुमार शहीद हुए तो कई नेता व अधिकारी आए. नेताओं ने कई वादे किए जिनमें कुछ वादे तो पूरे हुए लेकिन कुछ वादे आज भी अधूरे हैं.

बताया कि उनके परिवार को एक आवास देने की बात कही गई थी. लेकिन आज भी उनका घर खंडहर बना है. गांव आने में लिंक मार्ग पर एक द्वार बनाने का वादा भी किया गया था जो आज तक पूरा नहीं हुआ.

बच्चों की परवरिश की खातिर नहीं की नौकरी
पत्नी सुनीता बतातीं हैं कि जब सुशील कुमार शहीद हुए तो केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें नौकरी का ऑफर दिया गया था. लेकिन बच्चे बहुत छोटे होने के कारण उन्होंने नौकरी नहीं की. उन्होंने सरकार से ईटीवी भारत के माध्यम से आग्रह किया कि यदि उन्हें या उनके बच्चों को राज्य सरकार नौकरी देती है तो वह नौकरी कर लेंगी.

बताया कि पहले ऐसा प्रावधान नहीं था. तब केंद्र सरकार ही नौकरी देती थी जबकि अब नियम बदल गये हैं. राज्य सरकार भी नौकरी देने लगी है. ऐसे में सरकार यदि चाहती है तो वह राज्य सरकार के अधीन नौकरी कर लेंगीं क्योंकि पेंशन से उनका गुजारा तो हो रहा है लेकिन बच्चों की पढ़ाई व अन्य खर्चों को लेकर उन्हें समझौता करना पड़ता है.

यह भी पढ़ें : प्रेमिका से मिलने पहुंचे प्रेमी के साथ ऐसा क्या हुआ जिससे हुई उसकी मौत


फ़ोटो देख गिरने लगे आंखों से आंसू
पुराने एल्बम में लगी शहीद सुशील कुमार की फोटो को निहारते हुए उनकी पत्नी सुनीता की आंखों से आंसू बहने लगे. उन्होंने रुंधे गले से ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि सुशील कुमार सुबह 4 बजे प्रतिदिन फोन करते थे. शहादत वाले दिन उनका फोन नहीं आया तो वह सभी बेचैन हो गए. कुछ देर बाद देखा कि खबरें आने लगीं कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमला हो गया है. इसमें बहुत सारे जवान शहीद हो गए हैं. उन जवानों में सुशील कुमार का भी नाम था.


नए शाहीद जवानों के साथ पुरानों का भी रखा जाए ख्याल
ईटीवी भारत के माध्यम से सुनीता ने कहा कि वह सरकार से आग्रह करती हैं कि जिस तरीके से सरकार जो नए जवान शहीद हो रहे हैं, उनका व उनके परिवार का ख्याल रख रही है, उसी तरह पुराने शहीद जवानों के परिवारों व उनसे किए गए वादों का भी ख्याल रखा जाए.

Last Updated : Apr 8, 2021, 6:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.