लखनऊ: सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने मंगलवार को प्रदेश के परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अशोक कटारिया से मुलाकात की. इस दौरान अंतर जनपदीय एसी प्राइवेट बसों को परमिट फ्री व्यवस्था के तहत संचालन, नेशनल हाईवे और लखनऊ-गोरखपुर मार्ग पर 25 प्रतिशत संचालन किए जाने की तैयारी पर विरोध दर्ज कराया. संगठन की तरफ से परिवहन मंत्री को पत्र सौंपा गया है, जिसपर परिवहन मंत्री ने विचार करने का आश्वासन दिया है.
सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के महामंत्री जसवंत सिंह ने बताया कि विरोध पत्र के माध्यम से परिवहन मंत्री को अवगत कराया गया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की व्यवस्था आने पर अनियमित तरीके से पूर्व की तरह डग्गामार संचालन की तरह सिर्फ लाभ के लिए अपनी बसों का संचालन करेंगे, जबकि परिवहन निगम प्राइवेट बस संचालकों से चार गुना अधिक टैक्स देता है.
उत्तर प्रदेश में परिवहन निगम 2,48,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक फैले राजमार्गों में से सिर्फ 17,000 किलोमीटर पर ही अपनी बसों का संचालन करता है. इसके साथ ही सुसज्जित बस अड्डों का प्रयोग, यात्रियों को सुरक्षा, जलपान की व्यवस्था प्रदान करता है. इसके साथ ही 24 घंटे प्रदेश के 80 प्रतिशत गांव को जोड़ कर करोड़ों यात्रियों को सेवा उपलब्ध कराता है. इस तरह की कार्रवाई से परिवहन निगम के 60,000 कर्मचारियों को अपने हितों का खतरा महसूस हो रहा है. साथ ही परिवहन निगम के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराता नजर आ रहा है. उन्होंने बताया कि परिवहन मंत्री ने भरोसा दिया है कि सभी फैसले परिवहन निगम के हित में ही लिए जाएंगे.
नेशनल हाईवे पर प्राइवेट बसों के संचालन की अगर शुरुआत होती है तो इससे परिवहन निगम को काफी घाटा होगा. अभी तक लांग रूट पर प्राइवेट बसों को चलने की इजाजत नहीं है, जिससे रोडवेज बसें ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर संचालित होती हैं. इसका फायदा परिवहन निगम को होता है. प्राइवेट बसें चलने से राजस्व का काफी नुकसान होगा. परिवहन मंत्री को विरोध पत्र सौंपने वाले प्रतिनिधि मंडल में संगठन के प्रदेश महामंत्री जसवंत सिंह के अलावा पीएन पांडेय, मीसम जैदी, मानसिंह शामिल थे.