वाराणसी : जिला प्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद निजी अस्पतालों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही है. कहीं अस्पताल मरीजों को भर्ती करने के बाद परिजनों से मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं तो कहीं भर्ती के नाम पर धमकी देकर रुपये ऐंठ रहे हैं.
ताजा मामला वाराणसी के महमूरगंज और बड़ागांव थानाक्षेत्र का है. यहां महमूरगंज इलाके में इलाज के नाम पर मरीज के परिजन को 9 दिन का 6 लाख रुपये का बिल थमा दिया गया. मरीज के परिजनों का कहना है कि उन्होंने महमूरगंज स्थित एक निजी कोविड अस्पताल में 9 दिन पहले अपने मरीज को भर्ती किया था जहां अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टर के राउंड लेने, जांच करने और पीपीई किट आदि के दाम को जोड़कर 6 लाख का बिल बना दिया है. बिल में 90 हजार मिसलेनियस खर्च में दर्शाया गया है. जबकि हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार यह बिल 1.62 लाख रूपये होना चाहिए था. आरोप है कि इस बारे में अस्पताल प्रशासन से सवाल पूछने पर उल्टा मरीज के परिजनों के साथ बदसलूकी की गयी है.
अस्पताल पर दर्ज हुआ मुकदमा
वाराणसी के बड़ागांव थाना क्षेत्र के काजीसराय में भी एक निजी अस्पताल में मरीज को भर्ती करने के नाम पर साढ़े 3 लाख रुपये की मांग की जा रही है. साथ ही मनमाने तरीके से बिना योग्य डॉक्टर के मरीज का इलाज भी किया जा रहा है. मरीज के परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन के इस रवैए के खिलाफ उन्होंने जिला प्रशासन में शिकायत दर्ज कराई है. इसके बाद अस्पताल प्रशासन पर धोखाधड़ी समेत अन्य मामलों में मुकदमा दर्ज किया गया है. बता दें कि जिला प्रशासन द्वारा मनमाना रवैया अपनाने पर तीन अन्य अस्पतालों के खिलाफ पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है.
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कई मामले हैं ऐसे
यह मामला वाराणसी के किसी एक या दो निजी अस्पतालों का नहीं है. तमाम ऐसे अस्पताल हैं जहां इस तरीके का मनमाना रवैया अपनाया जा रहा है. बीते दिनों कई सारे ऐसे हाईप्रोफाइल मामले भी सामने आए जिनमें पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र की बेटी की मौत का भी मामला था. लेकिन अब तक इस मामले की जांच भी अधूरी है. इसमें किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
इस मामले में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए तमाम कवायद की जा रही है. सभी निजी अस्पतालों को इलाज के खर्च को सार्वजनिक करने के लिए कहा गया है ताकि मरीजों और उनके तीमारदारों को कोई परेशानी ना हो. यदि अस्पताल प्रशासन ने इस नियम का पालन नहीं किया तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.
अस्पतालों को सार्वजनिक करना होगा इलाज दर
वाराणसी जिला प्रशासन ने सभी निजी कोविड अस्पतालों को नोटिस जारी कर कहा था कि वह अस्पताल में होने वाले इलाज के खर्च को सूची लगाकर सार्वजनिक करें ताकि मरीज और उनके तीमारदारों को कोई समस्या ना हो. इसे लेकर जिला प्रशासन ने 13 मई दोपहर तक का अल्टीमेटम सभी निजी कोविड अस्पतालों को दिया गया था.
इन दरों को करना था सार्वजनिक
बीते 3 से 4 दिनों में संक्रमण की दर में कमी आने से सरकारी अस्पतालों में भी बेड खाली होने लगे हैं. ऐसे में जरूरी है कि निजी अस्पताल ऑक्सीजन, आईसीयू, वेंटिलेटर अलग-अलग श्रेणी में बेड को विभक्त कर उनकी दरों को सार्वजनिक करने के आदेश जारी किए गए हैं. जारी की जाने वाली रेट लिस्ट में कंसल्टेंट, सामान्य दवाइयां, ऑक्सीजन, अस्पताल की मूलभूत सुविधाएं जिसमें पीपीई किट डिस्पोजल आदि की दरें शामिल रहनी चाहिए. विशेष दवाइयां, विशेष मशीन या बाहर से बुलाये गए कंसल्टेंट की दर इसमें शामिल नहीं रहेगी.
यह है निर्धारित दर
- किसी व्यक्ति की सैंपल जांच कर निर्धारित रेट 700 रुपये हैं.
- निजी लैब की ओर से स्वयं एकत्र किए गए सैंपल की जांच का दर 900 रुपये है.
- राज्य सरकार के प्राधिकारी की ओर से निजी प्रयोगशाला में भेजे गए जो सैंपल के जांच की दर 500 रुपये है.
- आइसोलेशन बेड बिना वेंटिलेटर के प्रतिदिन की दर 15 हजार रुपये है.
- आईसीयू बेड वेंटिलेटर के साथ प्रतिदिन की दर 18000 रुपये है.