वाराणसी: पॉजिटिव एक ऐसा शब्द है जिसे आपको बेहतर और शानदार जिंदगी जीने के लिए अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाना जरूरी होता है. लेकिन आजकल पॉजिटिव शब्द डर की वजह बन गया है. ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी है. इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर मरीज सिर्फ नेगेटिव सोचने लगता है. कोरोना पॉजिटिविटी इंसान को कहीं न कहीं काफी डिस्टर्ब कर देती है. अगर आप कोरोना पॉजिटिव हो जाते हैं तो चिंता मत कीजिए बस अपने दिल और दिमाग दोनों को पॉजिटिव बनाए रखिए, क्योंकि इस बीमारी से लड़ने के लिए दवाओं से ज्यादा आपके अंदर खुद की सोच और आपका मनोबल महत्वपूर्ण है. इसलिए वाराणसी के मनोचिकित्सक डॉ. रविंद्र कुशवाहा की सलाह मानिए और इस खतरनाक दौर में अपने अंदर नेगेटिविटी को हावी मत होने दीजिए.
'बुरा सोचना मतलब इम्यूनिटी खोना'
कोई भी बीमारी हो, उससे लड़ने के लिए शारीरिक इम्यूनिटी (रोग-प्रतिरोधक क्षमता) के साथ-साथ मेंटल (मानसिक) इम्यूनिटी भी उतनी ही जरूरी है. मेंटल इम्यूनिटी के लिए अपनी सोच को पॉजिटिव (सकारात्मक) रखें. जीवन शैली नियमित रखें, समय पर और संतुलित आहार लें, समय से सोएं और सात से आठ घंटे की अच्छी नींद लें. दरअसल अच्छी नींद लेने से शरीर अच्छे केमिकल मैसेंजर रिलीज करता है, उसके उलट नींद पूरी न होने पर ऐसे मैसेंजर रिलीज होने लगते हैं जो आपको तनाव (स्ट्रेस) और एनजाईटी की ओर ले जाते हैं. इसके साथ ही इमोशनल (भावनात्मक) इम्यूनिटी भी प्रभावित होती है. यानी मेंटल इम्यूनिटी के लिए पूरी नींद एक तरह से टॉनिक का काम करती है.
बढ़ेगा डिप्रेशन तो बढ़ेगी परेशानी
एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के साइकेट्रिस्ट कंसलटेंट डॉ. रविंद्र कुशवाहा का कहना है कि कोविड होने पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अपना मनोबल बनाए रखें. मनोबल अच्छा रहेगा तो समझो आपने बीमारी पर आधी विजय तो वैसे ही पा ली. नेगेटिव खबरों की अनदेखी करें. आजकल जो स्थिति है, उसमें खबरिया चैनलों और यहां तक कि सोशल मीडिया से भी थोड़ा दूर ही रहें तो बेहतर है. दरअसल निगेटिव खबरें देखने और सुनने से भी शरीर में ऐसे कैमिकल मैसेन्जर पैदा होने लगते हैं जो आपकी इम्यूनिटी को और कमजोर कर देते हैं. हौसला बनाए रखें. कोविड के मामले में भी यह देखने में आ रहा है कि डिप्रेशन (अवसाद) में आकर मरीजों की परेशानी कई गुना बढ़ जा रही है. इसलिए खुश रहने का प्रयास करें और घर वाले भी इस बात का ध्यान रखें कि मनोबल तोड़ने जैसी कोई बात न करें.
दिनचर्या को रखें नियमित
डॉ. कुशवाहा का कहना है कि फोन पर बातें जरूर करें लेकिन, अपनी पसंद के हिसाब से. जिन लोगों से बातें करना आपको ज्यादा अच्छा लगता है उन्हीं से बातें करें. कई लोग, जिनका काम बंद हैं और अधिकतर समय घर में रहते हैं, वह अपनी जीवनशैली नियमित रखें. समय से नहाना-धोना, खाना-पीना और सोना-उठना जरूरी है. इसके अलावा घर में नियमित रूप से व्यायाम करें. कोविड पॉजिटिव होने की स्थिति में शरीर को आराम देना जरूरी है, केवल सांस से जुड़ी हल्के-फुल्के व्यायाम कर सकते हैं.
परेशानी होने पर शाम 5 बजे तक करें कॉल
टोल फ्री नंबर 1800-599-0019 और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस (निम्हान्स) के हेल्प लाइन नंबर 08046110007 पर सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक टेली काउंसिलिंग की सुविधा उपलब्ध रहेगी. हेल्पलाइन नंबर पर आने वाली कॉल की पूरी डिटेल नोट करके क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के साथ शेयर की जाएगी.
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