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राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा, 5 साल होना चाहिए कुलपतियों का कार्यकाल

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को उच्च शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित सेमिनार को संबोधित किया. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि कुलपतियों का कार्यकाल 5 साल होनी चाहिए.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
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Published : Jun 23, 2020, 6:33 PM IST

लखनऊ: प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को राजभवन से उच्च शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक सेमिनार को संबोधित किया. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्रमुख शैक्षिक प्रशासक जैसे कि कुलपति, कुलसचिव, वित्त अधिकारी एवं परीक्षा नियंत्रक के चयन में पारदर्शिता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए. चयन के लिए राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालय द्वारा अनुदान आयोग के निर्देशों का अनुपालन किया जाए. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कार्यकाल 5 वर्ष का होना चाहिए.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में भी लगातार प्रयास किए जाते रहना चाहिए. पाठ्यक्रम तीन-चार वर्षों में निरंतर अद्यतन करने का प्रावधान होना चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक विश्वविद्यालय के पास उद्योग से जुड़ने के लिए इंडस्ट्री एकेडमिक सेल होना चाहिए, जिससे शिक्षकों एवं छात्रों को उद्योग प्रक्रियाओं में सम्मिलित करने का कार्य करें.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि 5 वर्षों से अधिक समय से स्थापित सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के लिए मूल्यांकन अनिवार्य होना चाहिए एवं अनुपालन न करने की स्थिति में कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए. उच्च शिक्षण संस्थाओं को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान अथवा किसी अन्य संस्थाओं से वित्तीय सहायता प्राप्त करनी है तो उन्हें अनिवार्य रूप से एक संस्था से मूल्यांकन कराना ही होगा. उन्होंने कहा कि मूल्यांकन के लिए शासन एवं उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कठोर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कुलपति की नियुक्ति राजभवन से होती है. रजिस्ट्रार, कंट्रोलर, वित्त अधिकारी की नियुक्ति उच्च शिक्षा विभाग द्वारा की जाती है. ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षा विभाग के मध्य सहज संबंध अति आवश्यक है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की समस्याएं जैसे नए कोर्स को मान्यता देने, नियुक्ति एवं पदोन्नति देना शासन का कार्य है. कुलपति और शासन के अधिकारियों के बीच परस्पर समन्वय का वातावरण बने इसलिए यह आवश्यक है कि एक निश्चित दिवस पर दो या तीन विश्वविद्यालय के अधिकारियों को बुलाकर उनकी समस्याओं को समाधान किया जाए.

लखनऊ: प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को राजभवन से उच्च शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक सेमिनार को संबोधित किया. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्रमुख शैक्षिक प्रशासक जैसे कि कुलपति, कुलसचिव, वित्त अधिकारी एवं परीक्षा नियंत्रक के चयन में पारदर्शिता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए. चयन के लिए राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालय द्वारा अनुदान आयोग के निर्देशों का अनुपालन किया जाए. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कार्यकाल 5 वर्ष का होना चाहिए.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में भी लगातार प्रयास किए जाते रहना चाहिए. पाठ्यक्रम तीन-चार वर्षों में निरंतर अद्यतन करने का प्रावधान होना चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक विश्वविद्यालय के पास उद्योग से जुड़ने के लिए इंडस्ट्री एकेडमिक सेल होना चाहिए, जिससे शिक्षकों एवं छात्रों को उद्योग प्रक्रियाओं में सम्मिलित करने का कार्य करें.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि 5 वर्षों से अधिक समय से स्थापित सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के लिए मूल्यांकन अनिवार्य होना चाहिए एवं अनुपालन न करने की स्थिति में कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए. उच्च शिक्षण संस्थाओं को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान अथवा किसी अन्य संस्थाओं से वित्तीय सहायता प्राप्त करनी है तो उन्हें अनिवार्य रूप से एक संस्था से मूल्यांकन कराना ही होगा. उन्होंने कहा कि मूल्यांकन के लिए शासन एवं उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कठोर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कुलपति की नियुक्ति राजभवन से होती है. रजिस्ट्रार, कंट्रोलर, वित्त अधिकारी की नियुक्ति उच्च शिक्षा विभाग द्वारा की जाती है. ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षा विभाग के मध्य सहज संबंध अति आवश्यक है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की समस्याएं जैसे नए कोर्स को मान्यता देने, नियुक्ति एवं पदोन्नति देना शासन का कार्य है. कुलपति और शासन के अधिकारियों के बीच परस्पर समन्वय का वातावरण बने इसलिए यह आवश्यक है कि एक निश्चित दिवस पर दो या तीन विश्वविद्यालय के अधिकारियों को बुलाकर उनकी समस्याओं को समाधान किया जाए.

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