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प्रदेश में कोविड-19 हेल्प डेस्क की गोरखपुर से हुई थी शुरुआत

उत्तर प्रदेश में कोरोना के खिलाफ जंग में तेजी से कोविड हेल्प डेस्क स्थापित की गई है. हेल्प डेस्क की शुरुआत 22 मई को गोरखपुर से हुई थी. गोरखपुर में अब कोविड हेल्प डेस्क की संख्या 510 है.

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Published : Jul 8, 2020, 4:20 PM IST

कोविड हेल्प डेस्क.
कोविड हेल्प डेस्क.

गोरखपुर: प्रदेश में कोविड-19 हेल्प डेस्क के शुरुआत की राह गोरखपुर ने दिखाई थी. बढ़ते संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस डेस्क को बनाने की इच्छा जताई थी, जिसकी शुरुआत भी उनके ही शहर से हुई. 22 मई को शुरू होने वाले कोविड-19 हेल्प डेस्क की मौजूदा समय में गोरखपुर में संख्या 510 है. यह आंकड़ा सरकारी अस्पतालों का है, तो वहीं सभी प्रमुख प्रशासनिक और पुलिसिया महकमे में भी यह व्यवस्था लागू हो गई है, जिसके बाद अब किसी भी विभाग में आसानी से प्रवेश नहीं मिल सकता, जो भी इन विभागों में आएगा उसे कोविड-19 हेल्प डेस्क से होकर गुजरना होगा. वहां उनकी पूरी जानकारी दर्ज की जाएगी और जांच भी होगी.

22 मई को यह हेल्प डेस्क रेलवे हॉस्पिटल में स्थापित हुआ. कोरोना के नोडल अधिकारी और अपर गन्ना आयुक्त प्रमोद उपाध्याय ने दो जून को निरीक्षण करने के बाद इसकी प्रशंसा की थी. इस पहल से शासन को अवगत कराया गया था. इसके बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया गया. जिलाधिकारी के विजेंद्र पांडियन ने भी निरीक्षण कर इस प्रयास को सराहा था और इसे सभी विभागों में लागू करने के लिए निर्देश दिए थे, जिसका असर यह है कि अब जिले के अधिकतम विभागों में यह हेल्प डेस्क स्थापित हो गया है. यहां आने वाले लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग होती है. उनका हाथ सैनिटाइज होता है. रजिस्टर में उनके नाम और मोबाइल नंबर भी अंकित होते हैं, फिर जाकर उन्हें प्रवेश मिलता है.

जिले में 23 मई को पहला कोरोना मरीज रेलवे अस्पताल में भर्ती हुआ था. इसके बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज, इंडस्ट्रियल क्षेत्र के क्वारंटाइन सेंटर, 100 बेड के टीवी अस्पताल, एंबुलेंस सेवा, सीएमओ कार्यालय, सीएमओ कंट्रोल रूम से समन्वय स्थापित कर कोरोना मरीजों को सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित कराने में यह डेस्क अहम भूमिका निभा रहा है. कोविड-19 डेस्क पर पैरामेडिकल स्टाफ के साथ पल्स ऑक्सीमीटर, इंफ्रारेड थर्मामीटर और सैनिटाइजर रखना अनिवार्य है.

गोरखपुर: प्रदेश में कोविड-19 हेल्प डेस्क के शुरुआत की राह गोरखपुर ने दिखाई थी. बढ़ते संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस डेस्क को बनाने की इच्छा जताई थी, जिसकी शुरुआत भी उनके ही शहर से हुई. 22 मई को शुरू होने वाले कोविड-19 हेल्प डेस्क की मौजूदा समय में गोरखपुर में संख्या 510 है. यह आंकड़ा सरकारी अस्पतालों का है, तो वहीं सभी प्रमुख प्रशासनिक और पुलिसिया महकमे में भी यह व्यवस्था लागू हो गई है, जिसके बाद अब किसी भी विभाग में आसानी से प्रवेश नहीं मिल सकता, जो भी इन विभागों में आएगा उसे कोविड-19 हेल्प डेस्क से होकर गुजरना होगा. वहां उनकी पूरी जानकारी दर्ज की जाएगी और जांच भी होगी.

22 मई को यह हेल्प डेस्क रेलवे हॉस्पिटल में स्थापित हुआ. कोरोना के नोडल अधिकारी और अपर गन्ना आयुक्त प्रमोद उपाध्याय ने दो जून को निरीक्षण करने के बाद इसकी प्रशंसा की थी. इस पहल से शासन को अवगत कराया गया था. इसके बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया गया. जिलाधिकारी के विजेंद्र पांडियन ने भी निरीक्षण कर इस प्रयास को सराहा था और इसे सभी विभागों में लागू करने के लिए निर्देश दिए थे, जिसका असर यह है कि अब जिले के अधिकतम विभागों में यह हेल्प डेस्क स्थापित हो गया है. यहां आने वाले लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग होती है. उनका हाथ सैनिटाइज होता है. रजिस्टर में उनके नाम और मोबाइल नंबर भी अंकित होते हैं, फिर जाकर उन्हें प्रवेश मिलता है.

जिले में 23 मई को पहला कोरोना मरीज रेलवे अस्पताल में भर्ती हुआ था. इसके बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज, इंडस्ट्रियल क्षेत्र के क्वारंटाइन सेंटर, 100 बेड के टीवी अस्पताल, एंबुलेंस सेवा, सीएमओ कार्यालय, सीएमओ कंट्रोल रूम से समन्वय स्थापित कर कोरोना मरीजों को सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित कराने में यह डेस्क अहम भूमिका निभा रहा है. कोविड-19 डेस्क पर पैरामेडिकल स्टाफ के साथ पल्स ऑक्सीमीटर, इंफ्रारेड थर्मामीटर और सैनिटाइजर रखना अनिवार्य है.

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