लखनऊ: वाणिज्य कर विभाग व्यापारियों द्वारा पुरानी दरों पर पिछले कई वर्षों से रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया की अब जांच करेगा. खबर है कि वाणिज्य कर विभाग को 12 करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी का पता लगा है. जब व्यापारी पुरानी दरों पर रिटर्न दाखिल कर रहे थे तब विभाग की तरफ से लापरवाही बरती गई, लेकिन अब जांच करा कर कार्रवाई करने की बात कही जा रही है.
लॉकडाउन खत्म होने के बाद शुरू होगी जांच प्रक्रिया
वाणिज्य कर विभाग ने व्यापारियों द्वारा दाखिल ऐसे सभी रिटर्न के मामलों की जांच कराने का फैसला किया है, जिनको निर्धारित दरों का सत्यापन किए बिना ही स्वीकृति दे दी गई थी. हालांकि जांच की कार्रवाई लॉकडाउन की अवधि के समाप्त होने के बाद ही शुरू की जाएगी.
लेखा परीक्षा की रिपोर्ट में गड़बड़ी की बात आई सामने
महालेखा परीक्षक द्वारा वित्तीय वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 के दौरान दाखिल रिटर्न का परीक्षण किया गया था, जिसमें यह बात सामने आई कि दिसंबर 2014 से मार्च 2019 के बीच करीब 148 करोड़ रुपए के माल की बिक्री पर व्यापारियों द्वारा दाखिल विवरण यानी रिटर्न में सिर्फ 0 से 9% तक की दरों का ही उल्लेख किया गया था, जबकि व्यापारियों द्वारा बेचे गए माल में ऐसी तमाम वस्तुएं भी शामिल हैं, जिन पर 17 फीसदी तक टैक्स निर्धारित है.
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कर निर्धारण अधिकारियों की भूमिका पर खड़े हुए सवाल
कहा जा रहा है कि विभागीय अधिकारियों की अनदेखी से विभाग को करीब 12 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है. वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट में शामिल किए गए वित्तीय वर्षों के साथ ही वित्तीय वर्ष 2019-20, 2020-21 में दाखिल सभी रिटर्न की जांच कराई जाएगी. जांच टीम में ज्वाइंट कमिश्नर स्तर से लेकर असिस्टेंट कमिश्नर स्तर तक के अधिकारियों को शामिल किया जाएगा.
जांच के बाद होगी कार्रवाई
वाणिज्य कर विभाग की कमिश्नर मिनिस्ती एस ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि इस प्रकरण की विस्तृत जांच कराए जाने का फैसला किया गया है. जांच के बाद जो तथ्य सामने आएंगे और जिनकी भी इसमें भूमिका होगी उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.