वाराणसी: जिले में कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की किल्लत के देखते हुए प्रशासन के द्वारा झारखंड के जमशेदपुर से दो ऑक्सीजन टैंकर मंगाए गए हैं. जिसके बाद अस्पताल में भर्ती मरीजों को मानो संजीवनी मिल गई है. वर्तमान में जनपद के कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर हुई है लेकिन, अभी भी होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.
अब तक मिल चुके हैं 4 टैंकर
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी में ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए 72 घंटे में 4 ऑक्सीजन सिलेंडर को मंगाया गया है, जिनमें से दो ऑक्सीजन सिलेंडर पहले झारखंड के बोकारो से आ चुके हैं, जिनमें से एक टैंकर ऑक्सीजन एक्सप्रेस से और दूसरा सड़क मार्ग से वाराणसी पहुंचा था. उन्होंने बताया कि अब जनपद में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आएगी.
मंगाया गया 75 मेडिकल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि मरीजों की सांसे न रुके इसके लिए 75 मेडिकल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए गए हैं. जिसमें 50 दीन दयाल उपाध्याय, 10 एसएसपीजी कबीर चौरा, 10 ईएसआई पांडेपुर, 5 बीएलडब्लू अस्पताल को उपलब्ध कराया गया है. उन्होंने बताया कि यह मशीन वायुमंडल में से ऑक्सीजन निकालती है और इस मशीन से 10 लीटर प्रति मिनट तक ऑक्सीजन मरीज को दी जा सकती है, जिससे ऑक्सीजन सैचुरेशन बढ़कर 90 से 95% हो जाता है. उन्होंने बताया कि इस मशीन से एक साथ दो मरीजों को ऑक्सीजन दिया जा सकता है. विद्युत से संचालित होने वाली मशीन ह्यूमिडिफायर बॉटल से जुड़ी नोजल कैनुला के माध्यम से मरीज को ऑक्सीजन देता है. इन सभी मशीनों को हॉस्पिटल के नोडल ऑफिस को सौंपा गया है.
खाली ऑक्सीजन सिलेंडरों की अभी भी है दिक्कत
वर्तमान में जिले में भले की ऑक्सीजन की आपूर्ति हो गयी हो लेकिन, कहीं न कहीं खाली सिलेंडरों की मारामारी अभी भी है. शहर में लगभग 22 ऑक्सीजन डिस्ट्रीब्यूटर हैं जिनके पास ऑक्सीजन के खाली सिलेंडर नहीं है. जिन मरीजों के पास ऑक्सीजन सिलेंडर है वह इधर-उधर ऑक्सीजन प्लांट का चक्कर काट कर रहे हैं.
बेड की कमी से मरीज़ों को लौटना पड़ रहा बैरंग
मंडली अस्पताल में इमरजेंसी और आइशोलेशन के वॉर्ड फुल हो गए हैं, जिसके चलते मरीजों को बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है. सूत्रों की माने तो मंडली अस्पताल में कुल 22 बेड हैं. यहां पर आइसोलेशन वार्ड बनने के बाद लगभग 32 बेडों की व्यवस्था की गई है. लेकिन बेड खाली न होने की वजह से डॉक्टर को मरीजों को अन्य अस्पताल में रेफर करना पड़ रहा है. जिसकी वजह से मरीज और उनके तीमारदारों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.