सुलतानपुरः जिले का नाम भगवान राम के पुत्र कुश के नाम पर 'कुश भवनपुर' रखने की तैयारी हो रही है. अंग्रेजी हुकूमत से पहले नवाबों का पसंदीदा इस जिले का नाम नाम कई सालों से बदलने की मांग हो रही थी. पौराणिक मान्यता है कि सुलतानपुर जिले को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के पुत्र कुश द्वारा बसाया गया कुश भवनपुर नाम का नगर था. यही वजह है कि जिले का पुराना नाम कुश भवनपुर रखने की मांग काफी दिनों चल रही थी. स्थानीय विधायक देवमणि द्विवेदी की ओर से लगातार प्रयास करने और मुख्यमंत्री स्तर से हुई पहल के बाद जिले का नाम बदलने की मंजूरी राजस्व परिषद ने दे दी है. इसके अलावा नगर पालिका के चेयरमैन बबीता जायसवाल भी लंबे समय से जिले का नाम बदलने का इसका मुद्दा उठाती रही हैं. क्षत्रिय महासभा की तरफ से भी यह मुद्दा पूर्व में उठाया जा चुका है. अब जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेज दिया गया है. इस संबंध में ETV BHARAT ने विधायक देवमणि द्विवेदी से खास बातचीत की.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए लंभुआ से भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी ने कहा कि सुलतानपुर को उसका पुराना नाम कुश भवनपुर दिलाने के लिए उन्होंने सबसे पहले पहल की. उन्होंने कहा कि 3 साल पहले उन्होंने विधानसभा के पटल पर इस प्रकरण को रखा. नियम 103 तहत के तहत सदन में इस पर बहस होनी चाहिए और सुलतानपुर को इसका पुराना नाम मिलना चाहिए. सदन में इस पर पिछले सत्र में बहस हुई थी. अगले सत्र में इसका समापन किया जाना था.
विधायक ने कहा कि जिले से भारतीय जनता पार्टी के चारों विधायकों ने जिले का नाम बदलने के मांग पत्र पर हस्ताक्षर किए थे. उन्होंने यह मांग पत्र 10 दिन पूर्व मुख्यमंत्री के सामने रखा था. सीएम ने आश्वस्त किया था कि सुलतानपुर को उसका पुराना नाम वापस मिलेगा.
विधायक ने बताया कि उनके पिता कालिदास द्वारा रचित संस्कृत रघुवंश महाकाव्य पढ़ाते समय जिले का पुराना नाम कुश भवनपुर बताया करते थे. मेरे पिता इच्छा थी कि जिले का पुराना नाम वापस मिल जाए. पिता की प्रेरणा से प्रेरित होकर ही मैंने जिले का पुराना नाम दिलाने की पहल की. विधायक ने कहा कि पिता के क्रिया-कर्म के दौरान जिले को पुराना नाम मिलने की चर्चा शुरू हुई है. उन्होंने कहा कि पिताजी की इच्छा पूरी हो और सुलताननपुर को कुश भवनपुर नाम वापस मिले.
बता दें कि खिलजी वंश के सुल्तान ने भारशिवो के राजा नंदकुवर भर एक महान प्रतापी राजा थे. इनको खिलजी वंश के सुल्तानों ने वैश्यराजपूतों के साथ मिलकर छल पूर्वक पराजित किया. इसके बाद खिलजी वंश के सुल्तान ने वैश्य राजपूतों को भाले सुल्तान की उपाधि प्रदान की. इसी भाले सुल्तान की उपाधि के नाम पर इस नगर को सुलतानपुर के नाम से बसाया गया. यहां की भौगोलिक उपयुक्तता और स्थिति को देखते हुए अवध के नवाब सफदरजंग ने इसे अवध की राजधानी बनाने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.