सुलतानपुर: राजस्व विभाग के आंकड़ों की माने तो 600 से अधिक ऐसे जल संस्थान हैं, जिसमें आधे से अधिक कुएं पट चुके हैं और कुछ अपने अस्तित्व को खोने के कगार पर पहुंच गए हैं. जो बचे हुए हैं वह इतने जर्जर हैं कि उनसे पानी निकासी की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है. खराब हो चुके जलाशय और कुओं के संरक्षण के लिए प्रशासन आगे आया है. अब इसके लिए राजस्व विभाग को निर्देश दिए गए हैं.
जानें बैठक की खास बातें
- अस्तित्व खो रहे लगभग 600 से अधिक कुओं को अब जीवनदान मिलने जा रहा है.
- प्रशासन ने इन कुओं को संरक्षण और सुरक्षा देने के लिए मनरेगा से जोड़ने का निर्णय लिया है.
- इनके संरक्षण और पुराने स्वरूप को देने के लिए राजस्व विभाग को दिशा-निर्देश दिए गए हैं.
- बाढ़ और सूखे के समय इन सभी जल संस्थानों की विशेष उपयोगिता होती है.
- इन सभी तालाब स्वरूपों को चिह्नित करने की प्रक्रिया जिलाधिकारी के निर्देश पर शुरू की गई है.
- राजस्व विभाग के अधिकारियों की बैठक में कुओं के संरक्षण पर चर्चा की गई.
- संरक्षण के लिए मनरेगा के बजट से धन आवंटित किया जाएगा, साथ ही मजदूरों को रोजगार मिलेगा.
जिलाधिकारी की बैठक में अपर जिलाधिकारी प्रशासन, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व समेत राजस्व विभाग के आला अफसर शामिल हुए. उपजिलाधिकारी और राजस्व निरीक्षकों को इस बाबत दिशा-निर्देश दिए गए हैं. विकास विभाग के ग्राम पंचायत अधिकारियों को मनरेगा के बजट से सहयोग करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही जिला अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग करेंगी.