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सुलतानपुर कोर्ट ने पूर्व मंत्री आजम खान के पक्षकार से तलब किया लिखित जवाब - Jauhar University

सुलतानपुर कोर्ट में पूर्व मंत्री आजम खान के पक्षकार से लिखित जवाब तलब किया है. 2014 में पूर्व मंत्री ने मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के जन्मदिन कार्यक्रम पर खर्च होने वाली रकम को आतंकी संगठनों द्वारा मुहैया कराए जाने का विवादित बयान दिया था.

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सुलतानपुर कोर्ट ने पूर्व मंत्री आजम खान के पक्षकार से तलब किया लिखित जवाब
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Published : Sep 29, 2022, 10:43 PM IST

सुलतानपुरः सपा विधायक व पूर्व मंत्री आजम खान के खिलाफ 8 साल पहले दर्ज मामले में गुरुवार को सुल्तानपुर कोर्ट में उनके अधिवक्ता पेश हुए. साल 2014 में पूर्व मंत्री ने मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के जन्मदिन कार्यक्रम पर खर्च होने वाली रकम को आतंकी संगठनों द्वारा मुहैया कराए जाने का विवादित बयान दिया था. इस मामले में ज्ञानेंद्र तिवारी ने कोर्ट में केस दर्ज कराया था. अब अगली पेशी पर कोर्ट ने लिखित बयान तलब किया है.


गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए एडीजे पंचम अगस्त कुमार तिवारी ने मामले में जवाब-आपत्ति दाखिल करने के लिए 28 अक्टूबर की तारीख नीयत की है. अगली तारीख पर आजम खां का पक्ष लिखित जवाब देगा. जौहर विश्वविद्यालय में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav in Jauhar University) के जन्मोत्सव पर भव्य आयोजन हुआ था. आरोप के मुताबिक मीडिया कर्मियों के जरिए खर्च का ब्यौरा पूछने पर आजम खान ने तालिबानी संगठन फंड से अनुदान (Funding from Taliban Organization Fund) मिलने का विवादित बयान दिया था. जो 22 नवंबर 2014 को प्रकाशित हुआ था.


2016 में पैरवी नहीं होने पर खारिज हुआ था परिवाद
सपा विधायक व पूर्व मंत्री के विवादित बयान को अखबारों में पढ़ने के बाद क्षुब्ध होकर ज्ञानेंद्र तिवारी ने यहां परिवाद दायर करते हुए बयान को देश-समाज के लिए घातक बताया था. उन्होंने आजम खान को तलब कर दण्डित किये जाने के मांग की थी. परिवादी ज्ञानेंद्र तिवारी का बयान दर्ज होने के बाद अन्य साक्षियों के बयान में पत्रावली चल रही थी. तारीख पर पैरवी न होने की वजह से 4 जनवरी 2016 को तत्कालीन एसीजेएम-पंचम की अदालत ने परिवाद को निरस्त कर दिया था.
परिवाद खारिज होने के करीब 6 साल बाद ज्ञानेंद्र ने अदालत के जरिए निरस्त करने के संबंधी हुए आदेश को जिला जज की अदालत में निगरानी दायर कर चुनौती दी.
यह भी पढ़ें-बीएचयू में छात्रों के दो गुट भिड़े, मारपीट का वीडियो वायरल


दो अधिवक्ताओं ने का रखा पूर्व मंत्री आजम खान का पक्ष
पूर्व अधिवक्ता के जरिये सही सूचना न देने की बात कहकर निगरानी पेश करने में देरी का आधार बनाया. इसके बाद जिला जज की कोर्ट से पत्रावली ट्रांसफर होकर एडीजे पंचम के यहां पहुंची है. परिवादी ज्ञानेंद्र ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से सेशन कोर्ट में फौजदारी निगरानी दाखिल कर मजिस्ट्रेट कोर्ट आदेश को निरस्त कर पुनः विधि अनुसार सुनवाई करने के संबंध में की आदेश पारित किए जाने की मांग की थी. इस क्रम में आजम खां पक्ष से पैरवी के लिए बचाव पक्ष के अधिवक्ता भी उतरे हैं.

सुलतानपुरः सपा विधायक व पूर्व मंत्री आजम खान के खिलाफ 8 साल पहले दर्ज मामले में गुरुवार को सुल्तानपुर कोर्ट में उनके अधिवक्ता पेश हुए. साल 2014 में पूर्व मंत्री ने मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के जन्मदिन कार्यक्रम पर खर्च होने वाली रकम को आतंकी संगठनों द्वारा मुहैया कराए जाने का विवादित बयान दिया था. इस मामले में ज्ञानेंद्र तिवारी ने कोर्ट में केस दर्ज कराया था. अब अगली पेशी पर कोर्ट ने लिखित बयान तलब किया है.


गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए एडीजे पंचम अगस्त कुमार तिवारी ने मामले में जवाब-आपत्ति दाखिल करने के लिए 28 अक्टूबर की तारीख नीयत की है. अगली तारीख पर आजम खां का पक्ष लिखित जवाब देगा. जौहर विश्वविद्यालय में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav in Jauhar University) के जन्मोत्सव पर भव्य आयोजन हुआ था. आरोप के मुताबिक मीडिया कर्मियों के जरिए खर्च का ब्यौरा पूछने पर आजम खान ने तालिबानी संगठन फंड से अनुदान (Funding from Taliban Organization Fund) मिलने का विवादित बयान दिया था. जो 22 नवंबर 2014 को प्रकाशित हुआ था.


2016 में पैरवी नहीं होने पर खारिज हुआ था परिवाद
सपा विधायक व पूर्व मंत्री के विवादित बयान को अखबारों में पढ़ने के बाद क्षुब्ध होकर ज्ञानेंद्र तिवारी ने यहां परिवाद दायर करते हुए बयान को देश-समाज के लिए घातक बताया था. उन्होंने आजम खान को तलब कर दण्डित किये जाने के मांग की थी. परिवादी ज्ञानेंद्र तिवारी का बयान दर्ज होने के बाद अन्य साक्षियों के बयान में पत्रावली चल रही थी. तारीख पर पैरवी न होने की वजह से 4 जनवरी 2016 को तत्कालीन एसीजेएम-पंचम की अदालत ने परिवाद को निरस्त कर दिया था.
परिवाद खारिज होने के करीब 6 साल बाद ज्ञानेंद्र ने अदालत के जरिए निरस्त करने के संबंधी हुए आदेश को जिला जज की अदालत में निगरानी दायर कर चुनौती दी.
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दो अधिवक्ताओं ने का रखा पूर्व मंत्री आजम खान का पक्ष
पूर्व अधिवक्ता के जरिये सही सूचना न देने की बात कहकर निगरानी पेश करने में देरी का आधार बनाया. इसके बाद जिला जज की कोर्ट से पत्रावली ट्रांसफर होकर एडीजे पंचम के यहां पहुंची है. परिवादी ज्ञानेंद्र ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से सेशन कोर्ट में फौजदारी निगरानी दाखिल कर मजिस्ट्रेट कोर्ट आदेश को निरस्त कर पुनः विधि अनुसार सुनवाई करने के संबंध में की आदेश पारित किए जाने की मांग की थी. इस क्रम में आजम खां पक्ष से पैरवी के लिए बचाव पक्ष के अधिवक्ता भी उतरे हैं.

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