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सुलतानपुर: खून की घूस नहीं दे सका गरीब, गर्भवती की मौत

शासन-प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद गरीब परिवारों को इलाज नहीं मिल रहा है. सुलतानपुर जिला अस्पताल में एक गर्भवती महिला को उसे खून चढ़ाने के लिए 3000 रुपये की घूस मांगी गयी.

डॉ उर्मिला चौधरी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
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Published : Apr 11, 2019, 8:44 PM IST


सुल्तानपुर : अभी गरीब और असहाय किस्म के लोग जिला अस्पताल में अवैध वसूली का शिकार हो रहे हैं. कहने को योगीराज है, लेकिन सरकारी अस्पताल में खून चढ़ाने के लिए 3000 रुपये की मांग की जा रही है. जिसका जीता जागता सच सुल्तानपुर जिला अस्पताल में देखने को मिला. एक गरीब परिवार खून का प्रबंध नहीं कर सका, जिसके लिए 3000 की रकम नर्स की तरफ से मांगा गया था. जिसके चलते गर्भवती महिला की जिला अस्पताल में मौत हो गई. हालांकि मौत की वजह अस्पताल प्रशासन ने अधिक गंभीर रूप से बीमार होने को बताया है.

3000 की घूस न देने पर डॉक्टरों ने इलाज नहीं किया


मामला धम्मौर थाना क्षेत्र के घाटमपुर का है, वहां की स्थानीय निवासी निशा पांडे पत्नी राजेश गर्भवती थी, प्रसव पीड़ा होने के बाद उसे नव गिरवां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां पहले डॉक्टर परीक्षण करते रहे और समुचित इलाज नहीं किया. इलाज के अभाव में महिला की स्थिति बेहद नाजुक हो गई.


जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करने के बाद नर्स की तरफ से खून देने के लिए 3000 रुपये की सुविधा शुल्क मांगा गया. मृतका के भांजे सुनील के अनुसार खून का पैसा नहीं दे पाने से डॉक्टरों ने उन्हे खून नहीं चढ़ाया, जिससे उसकी मामी की मौत हो गई. प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो पैसा नहीं मिलने से स्वास्थ्य कर्मी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और इलाज करने से गुरेज किया.


मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ उर्मिला चौधरी कहती हैं कि, वह बेहद गंभीर स्थिति में थी. जब उसे जिला अस्पताल लाया गया, तो इलाज के दौरान उसे खून की कमी थी, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई.


सुल्तानपुर : अभी गरीब और असहाय किस्म के लोग जिला अस्पताल में अवैध वसूली का शिकार हो रहे हैं. कहने को योगीराज है, लेकिन सरकारी अस्पताल में खून चढ़ाने के लिए 3000 रुपये की मांग की जा रही है. जिसका जीता जागता सच सुल्तानपुर जिला अस्पताल में देखने को मिला. एक गरीब परिवार खून का प्रबंध नहीं कर सका, जिसके लिए 3000 की रकम नर्स की तरफ से मांगा गया था. जिसके चलते गर्भवती महिला की जिला अस्पताल में मौत हो गई. हालांकि मौत की वजह अस्पताल प्रशासन ने अधिक गंभीर रूप से बीमार होने को बताया है.

3000 की घूस न देने पर डॉक्टरों ने इलाज नहीं किया


मामला धम्मौर थाना क्षेत्र के घाटमपुर का है, वहां की स्थानीय निवासी निशा पांडे पत्नी राजेश गर्भवती थी, प्रसव पीड़ा होने के बाद उसे नव गिरवां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां पहले डॉक्टर परीक्षण करते रहे और समुचित इलाज नहीं किया. इलाज के अभाव में महिला की स्थिति बेहद नाजुक हो गई.


जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करने के बाद नर्स की तरफ से खून देने के लिए 3000 रुपये की सुविधा शुल्क मांगा गया. मृतका के भांजे सुनील के अनुसार खून का पैसा नहीं दे पाने से डॉक्टरों ने उन्हे खून नहीं चढ़ाया, जिससे उसकी मामी की मौत हो गई. प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो पैसा नहीं मिलने से स्वास्थ्य कर्मी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और इलाज करने से गुरेज किया.


मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ उर्मिला चौधरी कहती हैं कि, वह बेहद गंभीर स्थिति में थी. जब उसे जिला अस्पताल लाया गया, तो इलाज के दौरान उसे खून की कमी थी, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई.

Intro:शीर्षक : नर्स ने खून के लिए 3 हजार मांगा घूस, इलाज का अभाव, गर्भवती की मौत।


सुल्तानपुर : अभी गरीब और असहाय किस्म के लोग जिला अस्पताल में अवैध वसूली का शिकार हो रहे हैं। कहने को योगीराज है लेकिन सरकारी अस्पताल में खून चढ़ाने के लिए ₹3000 की मांग की जा रही है। जिसका जीता जागता सच सुल्तानपुर जिला अस्पताल में देखने को मिला। गरीब परिवार खून का प्रबंध नहीं कर सका। जिसके लिए ₹3000 की रकम नर्स की तरफ से मांगा गया था। गर्भवती की जिला अस्पताल में मौत हो गई। हालांकि मौत के पीछे की वजह अस्पताल प्रशासन ने अधिक गंभीर रूप से बीमार होने को बताया है ।सीएमएस की मानें तो वह एनीमिया से पीड़ित थी। गंभीर थी, इसलिए उसकी मौत हो गई।


Body:मामला धम्मौर थाना क्षेत्र से घाटमपुर जुड़ा हुआ है । वहां की स्थानीय निवासी निशा पांडे पत्नी राजेश गर्भवती थी। प्रसव पीड़ा उठने के बाद उसे नव गिरवां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। जहां पहले डॉक्टर परीक्षण करते रहे और समुचित इलाज नहीं किया । इसके अभाव में वीणा की स्थिति बेहद नाजुक हो गई। परिजन लेकर जिला अस्पताल भागे। जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करने के बाद नर्स की तरफ से ₹3000 सुविधा शुल्क मांगा गया। यह सुविधा शुल्क खून देने के लिए मांगा गया था। जिसकी हकीकत मृतका गर्भवती का भांजा सुनील बयां कर रहा है। भांजे के मुताबिक खून का पैसा नहीं दे पाने से गर्भवती की मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो पैसा नहीं मिलने से स्वास्थ्य कर्मी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और इलाज करने से गुरेज किया।


Conclusion:बाइट मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ उर्मिला चौधरी कहती है कि वह बेहद गंभीर स्थिति में थी। जब उसे जिला अस्पताल लाया गया। इलाज के दौरान उसे खून की कमी थी । जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई।


वॉइस ओवर - शासन-प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद गरीब परिवारों को इलाज नहीं मिल रहा है। इसकी जीती जागती नजीर गर्भवती की मौत से देखने में सामने आ रही है। जिला अस्पताल में गर्भवती आई। उसे खून चढ़ाने के लिए ₹3000 का घूस मांगा गया । जबकि ऐसा कोई रकम लेने का प्रबंध जिला अस्पताल में नहीं है । खून के बदले खून दिया जाता है । पैसा लेने और देने की कोई आधिकारिक व्यवस्था पर नहीं है।

आशुतोष मिश्रा 94 15049 256
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