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सुलतानपुर: राम वन गमन पथ पर पर्यटकों को दिखेगी रामायण काल की पंचवटी

राम वन पथ गमन पर अब पर्यटकों को रामायण काल की पंचवटी दिखाई देगी. इसके लिए उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में वन विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. अयोध्या-प्रयागराज मार्ग पर ज्योतिषाचार्यों और विशेषज्ञों की मदद से वन विभाग पंचवटी का दुर्लभ दृश्य तैयार करेगी. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट.

sultanpur panchvati special story
सुलतानपुर में दिखेगी रामायण काल की पंचवटी.
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Published : Jul 8, 2020, 7:06 PM IST

सुलतानपुर: भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के वनवास के समय की पंचवटी की तस्वीर देशी-विदेशी पर्यटकों को कलयुग में भी दिखाई देगी. वन विभाग ने रामायण काल की उसी पंचवटी का सजीव चित्रण पौधरोपण के जरिए करने का निर्णय लिया है. सुलतानपुर के राम वन पथ गमन मार्ग पर इसे तैयार करने की कवायद की जा रही है. अति दुर्लभ दृश्य को तैयार करने के लिए ज्योतिषाचार्य और विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है.

स्पेशल रिपोर्ट...

राम वन पथ गमन मार्ग का हो रहा चौड़ीकरण
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अयोध्या-प्रयागराज मार्ग को राम वन पथ गमन घोषित किया गया है. योगी सरकार की तरफ से बजट जारी कर इस मार्ग के चौड़ीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है. इसी पहल से जोड़ते हुए वन विभाग रामायण काल के राम वन पथ गमन मार्ग पर पंचवटी बनाने की कार्य योजना तैयार कर रहा है. ज्योतिषियों की मदद से इसका खाका तैयार किया गया है कि किस कोण में कौन से पौधे लगाए जाएंगे.

पांच प्रकार के लगाए जाएंगे पौधे
प्रभागीय वन निदेशक आनंदकेश्वर बताते हैं, 'पंचवटी की पहचान वैदिक काल से रही है. इसमें पांच वृक्ष लगाए जाएंगे-बेल, आंवला, पीपल, अशोक और बरगद. यह पांचों दिशाओं में लगाए जाते हैं. उत्तर की दिशा में बेल और दक्षिण दिशा में आंवला लगाया जाता है. पूरब की दिशा में पीपल और पश्चिम की दिशा में बरगद का पेड़ लगाया जाता है. अशोक के पौधे के साथ इन पांच वृक्षों को मिलाकर पंचवटी का निर्माण किया जाता है. इसकी प्रमाणिकता हमें रामायण काल से मिलती है.'

sultanpur panchvati special story
पंचवटी का रेखा चित्र.

पांच पेड़ों का अलग-अलग महत्व
प्रभागीय वन निदेशक का कहना है कि पांचों पेड़ों का अलग-अलग महत्व है. बरगद के पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध बैठकर शिष्यों को शिक्षा देते थे. पीपल के नीचे बैठकर तपस्या करते थे. जबकि आम के पेड़ के नीचे यज्ञ करने की परंपरा रही है.

कलयुग के ताप संताप का होगा हरण
अग्नि कोण, वायव्य कोण, ईशान कोण समेत सभी दिशा और उसके संधि क्षेत्रों में पौधरोपण किया जाएगा. इसके लिए पीपल, आंवला, अशोक, बरगद और बेल पौधों का चयन किया गया है, जो भगवान राम की कुटिया में रोपित थे. ये पौधे बेहद महत्वपूर्ण हैं. माना जा रहा है कि इन पौधों के नीचे बैठने से कलयुग के ताप संताप का हरण होगा. लोग पर्यावरण संरक्षण के साथ स्वच्छ प्राणवायु ले सकेंगे. ग्रहों नक्षत्रों की प्रतिकूल दशा से चल रहे दुष्प्रभाव से भी बचा जा सकेगा.

पर्यटकों के लिए विशेष व्यवस्था
फिलहाल पंचवटी के पौधों को लगाने के लिए स्थान का चयन किया जा रहा है. ज्योतिष विज्ञान के अनुसार कोण निर्धारित किए जा रहे हैं, जिन पर इन पौधों को लगाया जाएगा. बीच के परिसर में पर्यटकों के बैठने के लिए कुर्सियां और मेज तैयार की जाएंगी. पंचवटी के रमणीय स्थल को चारों तरफ से हरित लताओं से घेरा जाएगा. इसके लिए रेंजर व प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में क्रिया कलाप शुरू किया जा रहा है.

सुलतानपुर: भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के वनवास के समय की पंचवटी की तस्वीर देशी-विदेशी पर्यटकों को कलयुग में भी दिखाई देगी. वन विभाग ने रामायण काल की उसी पंचवटी का सजीव चित्रण पौधरोपण के जरिए करने का निर्णय लिया है. सुलतानपुर के राम वन पथ गमन मार्ग पर इसे तैयार करने की कवायद की जा रही है. अति दुर्लभ दृश्य को तैयार करने के लिए ज्योतिषाचार्य और विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है.

स्पेशल रिपोर्ट...

राम वन पथ गमन मार्ग का हो रहा चौड़ीकरण
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अयोध्या-प्रयागराज मार्ग को राम वन पथ गमन घोषित किया गया है. योगी सरकार की तरफ से बजट जारी कर इस मार्ग के चौड़ीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है. इसी पहल से जोड़ते हुए वन विभाग रामायण काल के राम वन पथ गमन मार्ग पर पंचवटी बनाने की कार्य योजना तैयार कर रहा है. ज्योतिषियों की मदद से इसका खाका तैयार किया गया है कि किस कोण में कौन से पौधे लगाए जाएंगे.

पांच प्रकार के लगाए जाएंगे पौधे
प्रभागीय वन निदेशक आनंदकेश्वर बताते हैं, 'पंचवटी की पहचान वैदिक काल से रही है. इसमें पांच वृक्ष लगाए जाएंगे-बेल, आंवला, पीपल, अशोक और बरगद. यह पांचों दिशाओं में लगाए जाते हैं. उत्तर की दिशा में बेल और दक्षिण दिशा में आंवला लगाया जाता है. पूरब की दिशा में पीपल और पश्चिम की दिशा में बरगद का पेड़ लगाया जाता है. अशोक के पौधे के साथ इन पांच वृक्षों को मिलाकर पंचवटी का निर्माण किया जाता है. इसकी प्रमाणिकता हमें रामायण काल से मिलती है.'

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पंचवटी का रेखा चित्र.

पांच पेड़ों का अलग-अलग महत्व
प्रभागीय वन निदेशक का कहना है कि पांचों पेड़ों का अलग-अलग महत्व है. बरगद के पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध बैठकर शिष्यों को शिक्षा देते थे. पीपल के नीचे बैठकर तपस्या करते थे. जबकि आम के पेड़ के नीचे यज्ञ करने की परंपरा रही है.

कलयुग के ताप संताप का होगा हरण
अग्नि कोण, वायव्य कोण, ईशान कोण समेत सभी दिशा और उसके संधि क्षेत्रों में पौधरोपण किया जाएगा. इसके लिए पीपल, आंवला, अशोक, बरगद और बेल पौधों का चयन किया गया है, जो भगवान राम की कुटिया में रोपित थे. ये पौधे बेहद महत्वपूर्ण हैं. माना जा रहा है कि इन पौधों के नीचे बैठने से कलयुग के ताप संताप का हरण होगा. लोग पर्यावरण संरक्षण के साथ स्वच्छ प्राणवायु ले सकेंगे. ग्रहों नक्षत्रों की प्रतिकूल दशा से चल रहे दुष्प्रभाव से भी बचा जा सकेगा.

पर्यटकों के लिए विशेष व्यवस्था
फिलहाल पंचवटी के पौधों को लगाने के लिए स्थान का चयन किया जा रहा है. ज्योतिष विज्ञान के अनुसार कोण निर्धारित किए जा रहे हैं, जिन पर इन पौधों को लगाया जाएगा. बीच के परिसर में पर्यटकों के बैठने के लिए कुर्सियां और मेज तैयार की जाएंगी. पंचवटी के रमणीय स्थल को चारों तरफ से हरित लताओं से घेरा जाएगा. इसके लिए रेंजर व प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में क्रिया कलाप शुरू किया जा रहा है.

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