सुलतानपुरः जिले के तिकोनिया पार्क में आयोजित नाबार्ड शरद मेले में गांवों के देसी उत्पाद छाए हुए हैं. इन उत्पादों की खूबियां इन्हें अन्य उत्पादों से बेहतर साबित कर रही हैं. हालांकि कुछ महंगे होने की वजह से अभी इनकी डिमांड उतनी नहीं बढ़ी है जितनी उम्मीद की जा रही थी. इन उत्पादों की खूबियों को जन-जन तक पहुंचाने की तैयारी हो रही है. यह प्रदर्शनी 29 दिसंबर तक चलेगी.
आयोजकों के मुताबिक नाबार्ड की ओर से आयोजित इस मेले में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के उत्पाद की बिक्री की जा रही है. इनमें आचार, मुरब्बा, सुल्तानपुर का प्रसिद्ध बाध उत्पाद, देसी सोफे, रेस्ट चेयर, रसोई की सामग्री और डाइनिंग टेबल जैसे उत्पाद शामिल हैं. इसके अलावा बैग, टॉफी बिस्किट, एक देश एक उत्पाद की सामग्रियां, महिलाओं के समान, सेनेटरी नैपकिन, घरेलू सामग्री की भी बिक्री की जा रही है.
मेले में पहुंची नगर पालिका चेयरमैन बबीता जायसवाल ने बताया कि खाने-पीने के उत्पादों में घातक प्रिजरवेटिव का इस्तेमाल नहीं किया गया है. खाने-पीने वाले उत्पाद साल भर में खराब होने लगते हैं जबकि कंपनी वाले उत्पाद दो से तीन साल तक खराब नहीं होते हैं. ये काफी घातक होते हैं. देसी उत्पाद की यह खूबी लोगों को स्वस्थ रखती है. इससे स्वास्थ्य पर कोई खराब असर नहीं पड़ता है. बस यह थोड़े महंगे हैं. उन्होंने कहा कि खाने वाले उत्पादों में देसी गुड़, सोंठ जैसे लाभकारी उत्पादों की बिक्री की जा रही है. एक देश, एक उत्पाद के तहत इनकी बिक्री की जा रही है.
वहीं, नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक अभिनव द्विवेदी ने बताया कि यह महिलाओं द्वारा तैयार किए गए देसी उत्पाद हैं. इस वजह से यह थोड़े महंगे हैं. उन्होंने अपने खर्च के मुताबिक रेट का निर्धारण किया है. यह एक छोटी सी पहल है. इससे घरेलू महिलाएं अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार होंगी. वहीं, इस बारे में गुरु दत्त सेवा संस्थान की अध्यक्ष गीता तिवारी का कहना है कि हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार और ऑनलाइन बाजार में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. यह देसी उत्पाद का बाजार है. यहां पर गुणवत्ता की भरमार है.
इन देसी उत्पादों को मिला मंच
प्रदर्शनी में अचार, मुरब्बा, जैम, आंवला कैंडी, आंवले की बर्फी, आंवले का लड्डू, आंवले के चूरन, सोंठ-गुड़ का उत्पाद, काढ़ा, जीरा, धनिया, हल्दी, मसाले की पैकिंग, हैंड बैग, बच्चों के स्कूल बैग, अलसी के लड्डू, सैनेटरी नैपकीन, सोफासेट, स्लीपिंग चेयर, रोटी गर्म करने का मूझ का कवर बॉक्स, जूट के कवर, हाथ पंखे आदि ग्राहकों को काफी पसंद आ रहे हैं. आयोजकों के मुताबिक खाने-पीने के उत्पाद 50 रुपए से लेकर पांच सौ रुपए तक की रेंज में उपलब्ध हैं. सबसे महंगा सोफा सेट है जो 15 हजार रुपए में उपलब्ध है. स्लीपिंग चेयर पांच हजार रुपए में उपलब्ध है. बच्चों के स्कूल बैंग और हैंडबैंग करीब 100 से 500 की रेंज में उपलब्ध हैें. इस प्रदर्शनी में बांस के फूल का आचार भी आकर्षण का केंद्र बना है. यह 600 रुपए किलो में उपलब्ध है. इन उत्पादों को मंच मिलने से उम्मीद की जा रही है कि इनकी बिक्री बढ़ेगी.
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