सुलतानपुरः जिले के उन्नतशील किसान ने केरल की काली मिर्च को अपनी माटी में उगाने की ठान ली है. छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की जलवायु एक जैसी होने के बाद इस उन्नतशील किसान ने अत्याधुनिक मसाला खेती काली मिर्च के बीच अपने खेतों में रोपित किए हैं. एक एकड़ में काली मिर्च की खेती की शुरुआत कर पारंपरिक खेती करने वाले अन्नदाताओं को इस उन्नतशील किसान ने वैज्ञानिक खेती करने का व्यावहारिक संदेश दिया है.
किसान ने तोड़ा केरल में ही खेती होने का मिथक
जिले के लंभुआ तहसील अंतर्गत मामपुर गांव निवासी सुरेंद्र बहादुर सिंह का कहना है कि उन्हें यूट्यूब से काली मिर्च की खेती करने की प्रेरणा मिली. उनका कहना है कि मुझे यह जानकारी थी कि काली मिर्च की खेती केरल में ही हो सकती है. उन्होंने बताया कि काली मिर्च की खेती में छत्तीसगढ़ में होने का पता चला तो अपने यहां भी काली मिर्च की खेती करने की सोची क्योंकि उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ की जलवायु एक है, मौसम का मिजाज एक है. इसके बाद अपने खेतों में काली मिर्च खेती करने की ठान ली.
1 एकड़ में शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट
बागबान सुरेंद्र ने 1 एकड़ में ऑस्ट्रेलियन टीक (पौधा) के साथ काली मिर्च के 550 पौधे रोपित किए हैं. बता दें कि काली मिर्च को नाइट्रोजन आवश्यकता होती है, जो कि आस्ट्रेलियन टीक से मिलता है. ऑस्ट्रेलियन टीक द्बारा ड़े पैमाने पर नाइट्रोजन का उत्सर्जन जड़ों द्वारा मिट्टी में होता है. यही नाइट्रोजन काली मिर्च के पौधे की खुराक बनता है. जिससे ही काली मिर्च का उत्पादन किया जा सकता है.
साल भर में 10 लाख की तैयार होगी काली मिर्च
काली मिर्च का एक पौधा सौ रुपये की कीमत आता है. पौधा लगाने के 3 साल बाद नवंबर माह में पहली बार इसका फल आता है. एक काली मिर्च के पौधे की उम्र 40 साल बताई जाती है. किसान सुरेंद्र कुमार ने ड्रिप सिंचाई पद्धति के तहत पूरे खेत में पाइप लाइन बिछाई है. पावर वीडर मशीन गुड़ाई के लिए रखी है. बताया जाता है कि एक एकड़ में लगभग 10 लाख काली मिर्च का उत्पादन होता है.
करिए व्यवसायिक खेती, बनिए खुशहाल
व्यवसाई मोहम्मद शकील कहते हैं कि खेती तो काश्तकार किसान करते हैं. लेकिन इसका रेट सेठ साहूकार तय करते हैं। इसलिए किसान व्यवसायिक खेती करें जिससे उनकी आमदनी बढ़े. जिस तरह से लंभुआ के एक हमारे किसान ने काली मिर्च की खेती शुरू की है, इसी तरीके से व्यवसाय खेती को तरजीह दें.