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यहां गुरु नानक देव ने किया था रात्रि विश्राम, जगाई थी समरसता की अलख - गुरु नानक देव का जयंती

सिखों के पहले गुरु नानक देव जी 1510 ईसवी में विश्व भ्रमण के दौरान सुलतानपुर आए थे, यहां उन्होंने रात्रि विश्राम किया था. तब से हर साल गुरु नानक देव जी के जयंती पर यहां विशेष आयोजन होता है.

गुरु नानक देव ने किया था रात्रि विश्राम.
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Published : Nov 12, 2019, 7:47 PM IST

सुलतानपुर: 1510 ईसवी में विश्व भ्रमण के दौरान गुरु नानक देव सुलतानपुर आए थे. उन्होंने यहां सीता कुंण्ड घाट पर रात्रि विश्राम किया और समरसता का संदेश गुरु नानक देव ने सुनाया था. सीता कुंण्ड घाट पर उनके रात्रि विश्राम से सिख धर्म के अनुयायियों का खासा लगाव है. यही वजह है कि उनकी जयंती पर कई राज्य से लोग यहां आते हैं और समरसता का संदेश सुनाते हैं.

गुरु नानक देव ने किया था रात्रि विश्राम.

कई राज्यों के अनुयायी करते हैं शिरकत
सुलतानपुर में दो प्रमुख गुरुद्वारे हैं, पुराना गुरुद्वारा सब्जी मंडी के निकट और नया गुरुद्वारा शहर के मध्य स्थित है. जहां गुरु नानक जयंती पर विशेष आयोजन होते हैं. सुबह से भजन कीर्तन और दोपहर में यात्रा निकलती है. जिसमें अनुयायी बेहद संजीदगी और आस्था से शिरकत करते हैं.

गुरु नानक जयंती पर होता है विशेष आयोजन
दिल्ली से आए गुरदास कहते हैं कि स्वामी गुरु नानक जी 1510 ईसवी में अयोध्या जाते समय सुलतानपुर रात्रि प्रवास किया था. तब से गुरु नानक जयंती पर यहां विशेष आयोजन होता है.

हर कोने में शोभायमान हैं गुरु नानक के कमल रज
कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक संस्थान के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राधेश्याम सिंह कहते हैं कि सिख धर्म ग्रंथों के अनुसार सुलतातनपुर उनका आगमन हुआ था. उन्होंने बहुत यात्राएं की, देश के विभिन्न स्थानों पर उन्हें पदयात्रा की. लगभग 24000 यात्राएं करने के बाद उन्होंने गृहस्थ धर्म में प्रवेश लिया था. उनके कमल रज देश के हर कोने में शोभायमान हैं.

गुरु नानक जी के जीवन से लेनी चाहिए प्रेरणा
साहित्यकार कमलनयन पांडे कहते हैं कि वे सिर्फ सिख समुदाय के धर्मगुरु नहीं थे, वह मानव मात्र के आदि गुरु थे. गुरु नानक देव जी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उन्होंने सामाजिक, भौगोलिक और जातीय एकता की मिसाल पेश की. यदि आज मानवता का पाठ पढ़ना है सामाजिकता का संदेश सुनाना है तो गुरु नानक जी के जीवन से प्रेरणा लेना होगी.

इसे भी पढ़ें- गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाशोत्सव संपन्न, सीएम योगी ने टेका मत्था

सुलतानपुर: 1510 ईसवी में विश्व भ्रमण के दौरान गुरु नानक देव सुलतानपुर आए थे. उन्होंने यहां सीता कुंण्ड घाट पर रात्रि विश्राम किया और समरसता का संदेश गुरु नानक देव ने सुनाया था. सीता कुंण्ड घाट पर उनके रात्रि विश्राम से सिख धर्म के अनुयायियों का खासा लगाव है. यही वजह है कि उनकी जयंती पर कई राज्य से लोग यहां आते हैं और समरसता का संदेश सुनाते हैं.

गुरु नानक देव ने किया था रात्रि विश्राम.

कई राज्यों के अनुयायी करते हैं शिरकत
सुलतानपुर में दो प्रमुख गुरुद्वारे हैं, पुराना गुरुद्वारा सब्जी मंडी के निकट और नया गुरुद्वारा शहर के मध्य स्थित है. जहां गुरु नानक जयंती पर विशेष आयोजन होते हैं. सुबह से भजन कीर्तन और दोपहर में यात्रा निकलती है. जिसमें अनुयायी बेहद संजीदगी और आस्था से शिरकत करते हैं.

गुरु नानक जयंती पर होता है विशेष आयोजन
दिल्ली से आए गुरदास कहते हैं कि स्वामी गुरु नानक जी 1510 ईसवी में अयोध्या जाते समय सुलतानपुर रात्रि प्रवास किया था. तब से गुरु नानक जयंती पर यहां विशेष आयोजन होता है.

हर कोने में शोभायमान हैं गुरु नानक के कमल रज
कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक संस्थान के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राधेश्याम सिंह कहते हैं कि सिख धर्म ग्रंथों के अनुसार सुलतातनपुर उनका आगमन हुआ था. उन्होंने बहुत यात्राएं की, देश के विभिन्न स्थानों पर उन्हें पदयात्रा की. लगभग 24000 यात्राएं करने के बाद उन्होंने गृहस्थ धर्म में प्रवेश लिया था. उनके कमल रज देश के हर कोने में शोभायमान हैं.

गुरु नानक जी के जीवन से लेनी चाहिए प्रेरणा
साहित्यकार कमलनयन पांडे कहते हैं कि वे सिर्फ सिख समुदाय के धर्मगुरु नहीं थे, वह मानव मात्र के आदि गुरु थे. गुरु नानक देव जी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उन्होंने सामाजिक, भौगोलिक और जातीय एकता की मिसाल पेश की. यदि आज मानवता का पाठ पढ़ना है सामाजिकता का संदेश सुनाना है तो गुरु नानक जी के जीवन से प्रेरणा लेना होगी.

इसे भी पढ़ें- गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाशोत्सव संपन्न, सीएम योगी ने टेका मत्था

Intro:स्पेशल स्टोरी ईटीवी भारत
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शीर्षक : सुलतानपुर : यहां गुरु नानक देव ने किया था रात्रि विश्राम, जगाई थी समरसता की अलख।


एंकर : 1510 ईसवी में विश्व भ्रमण के दौरान गुरु नानक देव सुल्तानपुर आए थे। उनकी सुता कुंड घाट पर रात्रि विश्राम से यहां सिख धर्म के अनुयायियों का खासा लगाव रहता है। कई राज्य से लोग आते हैं, उनका जन्मदिन मनाते हैं और समरसता का संदेश सुनाते हैं। समरसता का संदेश गुरु नानक देव ने यहां सुनाया था।


Body:वीओ : सुल्तानपुर में दो प्रमुख गुरुद्वारे हैं । पुराना गुरुद्वारा सब्जी मंडी के निकट और नया गुरुद्वारा शहर के मध्य स्थित है। जहां गुरु नानक जयंती पर विशेष आयोजन होते हैं । सुबह से भजन कीर्तन और दोपहर में यात्रा निकलती है। जिसमें अनुयाई बेहद संजीदगी और आस्था से शिरकत करते हैं।


बाइट : दिल्ली से आए गुरदास कहते हैं कि स्वामी गुरु नानक जी 15 से 10 ईसवी में अयोध्या जाते समय सुल्तानपुर रात्रि प्रवास किए थे।

बाइट : कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक संस्थान के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राधेश्याम सिंह कहते हैं कि सिख धर्म ग्रंथों के अनुसार सुल्तानपुर उनका आगमन हुआ था। उन्होंने बहुत यात्राएं की देश के विभिन्न स्थानों पर उन्हें पदयात्रा की। लगभग 24000 यात्राएं करने के बाद उन्होंने गृहस्थ धर्म में प्रवेश लिया था। उनके कमल रज देश के हर कोने में शोभायमान है।


Conclusion:बाइट : साहित्यकार कमलनयन पांडे कहते हैं कि वे सिर्फ सिख समुदाय के धर्मगुरु नहीं थे। वह मानव मात्र के आदि गुरु थे। गुरु नानक देव जी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उन्होंने सामाजिक, भौगोलिक और जातीय एकता की मिसाल पेश किया। यदि आज मानवता का पाठ पढ़ना है । सामाजिकता का संदेश सुनाना है तो गुरु नानक जी के जीवन से प्रेरणा लेना होगा।


आशुतोष मिश्रा, सुल्तानपुर, 94 15049 256
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