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मासूमों का जीवन संकट में डाल रही गरीबी, कम्युनिटी किचन में नौनिहाल बना रहे पकवान

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में लॉकडाउन के दौरान गरीबों व मजदूरों के लिए कम्युनिटी किचन खाना बनाया जा रहा है. वहीं इस कम्युनिटी किचन में मासूम बच्चे भी काम करते नजर आ रहे हैं, जो कि इनके लिए संकट की घड़ी से कतई कम नहीं है.

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Published : Apr 16, 2020, 4:53 PM IST

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नौनिहाल भी बना रहे पकवान.

सुलतानपुर: लॉकडाउन में जिन मासूमों को घर में महफूज होना चाहिए, वे जिलाधिकारी के कम्युनिटी किचन में पकवान तैयार कर रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का मखौल उड़ाते हुए पूड़ी-सब्जी की तैयारियों मासूम अपनी मां के साथ हाथ बंटा रहे हैं. स्कूल बंद हैं, ऐसे में आर्थिक तंगी परिवारों के इन बच्चों के हाथ में किताब और कापियां भी नहीं आने दे रही है. खेलने खाने की उम्र में पेट भरने का जुगाड़ अपने मां के साथ ये नन्हे-मुन्ने नौनिहाल तलाश रहे हैं.

कोरोना संकटकाल में नौनिहाल भी बना रहे पकवान.
लॉकडाउन के अनुपालन में घरों में रह रहे गरीबी रेखा और इससे नीचे के परिवार भूखे पेट न सोएं, इसके लिए शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी के तरफ से कम्युनिटी किचन का संचालन किया गया है. शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र में इसका संचालन करते हुए दोपहर और रात के समय लंच पैकेट वितरित कराए जा रहे हैं, लेकिन आर्थिक रूप से तंगी का आलम ये है कि पेट की आग बुझाने के लिए छोटे-छोटे मासूम अपनी मां के साथ काम पर निकल पड़े हैं. पूड़ी बेलने के एवज में इन्हें भी पैसा मिलता है.

ये भी पढ़ें- मुरादाबाद: मेडिकल टीम पर हमला मामले में 7 महिला समेत 17 आरोपी गिरफ्तार

ईटीवी भारत ने जब इस मामले की पड़ताल की तो जिलाधिकारी टेक कम्युनिटी किचन में छोटे-छोटे बच्चे काम करते नजर आए. जब उनसे पूछा गया तो पता चला कोई कक्षा पांचवीं की छात्रा है और कम्युनिटी किचन में पूड़ियां बेल रही है. कम्युनिटी किचन के रवि चौरसिया संचालक ने बताया कि बच्चे स्वेच्छा से अपनी मां के साथ आए हैं और शिक्षा से काम में हाथ बंटा रहे हैं. हमारी तरफ से इन पर कोई दबाव नहीं है.

सुलतानपुर: लॉकडाउन में जिन मासूमों को घर में महफूज होना चाहिए, वे जिलाधिकारी के कम्युनिटी किचन में पकवान तैयार कर रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का मखौल उड़ाते हुए पूड़ी-सब्जी की तैयारियों मासूम अपनी मां के साथ हाथ बंटा रहे हैं. स्कूल बंद हैं, ऐसे में आर्थिक तंगी परिवारों के इन बच्चों के हाथ में किताब और कापियां भी नहीं आने दे रही है. खेलने खाने की उम्र में पेट भरने का जुगाड़ अपने मां के साथ ये नन्हे-मुन्ने नौनिहाल तलाश रहे हैं.

कोरोना संकटकाल में नौनिहाल भी बना रहे पकवान.
लॉकडाउन के अनुपालन में घरों में रह रहे गरीबी रेखा और इससे नीचे के परिवार भूखे पेट न सोएं, इसके लिए शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी के तरफ से कम्युनिटी किचन का संचालन किया गया है. शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र में इसका संचालन करते हुए दोपहर और रात के समय लंच पैकेट वितरित कराए जा रहे हैं, लेकिन आर्थिक रूप से तंगी का आलम ये है कि पेट की आग बुझाने के लिए छोटे-छोटे मासूम अपनी मां के साथ काम पर निकल पड़े हैं. पूड़ी बेलने के एवज में इन्हें भी पैसा मिलता है.

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ईटीवी भारत ने जब इस मामले की पड़ताल की तो जिलाधिकारी टेक कम्युनिटी किचन में छोटे-छोटे बच्चे काम करते नजर आए. जब उनसे पूछा गया तो पता चला कोई कक्षा पांचवीं की छात्रा है और कम्युनिटी किचन में पूड़ियां बेल रही है. कम्युनिटी किचन के रवि चौरसिया संचालक ने बताया कि बच्चे स्वेच्छा से अपनी मां के साथ आए हैं और शिक्षा से काम में हाथ बंटा रहे हैं. हमारी तरफ से इन पर कोई दबाव नहीं है.

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