संतकबीर नगर: "हजारों साल रोती है नरगिस अपनी बेनूरी पर, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा". किसी शायर की लिखी हुई यह पंक्तियां संत कबीर नगर जिले के ऐतिहासिक किले पर सटीक बैठती हैं. इतिहास के पन्नों से गुम होता 350 साल पुराना खलीलाबाद के चकले दार खलीलुर्रहमान द्वारा बनाया गया किला और सुरंग अपना अस्तित्व खोता हुआ नजर आ रहा है. इस किले की सुरंग तो वर्षों पहले बंद हो चुकी है. वहीं उनके द्वारा बनवाया गया यह किला जर्जर हो चुका है. इस पर सरकार की बेरुखी इस ऐतिहासिक किले को और कमजोर बनाती है.
गुम हो रहा किला का अस्तित्व
जमाना बदलता गया और साथ ही खलीलुर्रहमान की सुरंग भी गुमनामी के अंधेरे में गुम हो गई. किला भी बदहाली के कगार पर पहुंच चुका है, जिसकी मरम्मत जल्द नहीं हुई तो यह कभी भी भरभरा कर गिर सकता है. इसके गिरने से सैकड़ों लोगों की जिंदगी एक साथ खत्म हो सकती है.
खलीलुर्रहमान ने अंग्रजों के छुड़ाए थे छक्के
जानकारों की मानें तो खलीलुर्रहमान के नाम पर ही खलीलाबाद का नाम पड़ा था जो जिला मुख्यालय पर स्थित है. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान काजी खलीलुर्रहमान ने अंग्रेजों के दांत भी खट्टे किए थे. जिले के लोगों की मानें तो अगर इस किला का जीर्णोद्धार करवाया जाए तो अपने आप में पर्यटन की दृष्टि से पर्यटकों के लिए यह देखने लायक होगा और जिले में सैलानियों की संख्या भी बढ़ेगी.