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सोनभद्र. अब स्मार्ट डस्टबिन बताएगा 'मैं भर चुका हूं"

सोनभद्र के राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के 3 छात्रों ने मिलकर स्मार्ट डस्टबिन का निर्माण किया है. बता दें कि इस डस्टबिन को बनाने में 1 हजार रुपये से भी कम की लागत लगी है.

स्मार्ट डस्टबिन.
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Published : Sep 25, 2019, 11:31 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्रः राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के 3 छात्रों ने मिलकर एक ऐसे स्मार्ट डस्टबिन का निर्माण किया है, जो बताएगा कि इसमें कचरा कितना भर गया है. इस स्मार्ट डस्टबिन का निर्माण बीटेक इलेक्ट्रिकल के द्वितीय वर्ष के छात्र अभय प्रताप, मानसी सिंह और सर्वेश द्विवेदी ने किया है.

देखें वीडियो.

इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट का उपयोग करके बनाया गया डस्टबिन

इस सेंसरयुक्त डस्टबिन को तीन स्टेज पर मैसेज भेजने के लिए सेटिंग किया गया है और जीपीआरएस भी लगाया गया है. जिससे पता चलेगा कि संबंधित भरा हुआ डस्टबिन किस स्थान पर है और कितना भरा हुआ है. इस डस्टबिन का निर्माण इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट का उपयोग करते हुए किया गया है. इसमें अल्ट्रासोनिक सेंसर लगाया गया है, जो कूड़े के लेवल को दर्शाएंगा, साथ ही इसमें माइक्रोकंट्रोलर्स का उपयोग भी किया गया है, जोकि मैसेज भेजेगा.

मैसेज भेज कर करेगा सूचित

छात्रा मानसी का कहना है कि हमने अक्सर देखा है कि रास्ते में गंदगी फैली रहती है. हमारे दिमाक में ख्याल आया कि ऐसे डस्टबिन का निर्माण किया जाए, जो खुद ही बताएं कि वह भर चुका है. डस्टबिन की विशेषता है कि 50% कूड़ा भर जाने के बाद सफाईकर्मी को मैसेज जाएगा, 75% भरने पर संबंधित सुपरवाइजर को सूचना पहुंचेगी, वहीं डस्टबिन 95% भर जाने पर संबंधित अधिकारी के पास मैसेज जाएगा. वहीं सर्वेश का कहना है कि हम लोगों ने इस बात का ध्यान रखा है कि इसमें लागत कम से कम आए, इसे बनाने में 1 हजार रुपये से भी कम खर्च हुआ है.

इस स्मार्ट डस्टबिन को द्वितीय वर्ष इलेक्ट्रिकल के 3 छात्रों ने इजाद किया है, जो जीएसएम तकनीकी पर फिट किया गया है. इसका उपयोग हम किसी स्मार्ट सिटी नगर निगम या नगरपालिका में बड़ी आसानी से कर सकते है.
-प्रो. वीके गिरि, डायरेक्टर, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज

सोनभद्रः राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के 3 छात्रों ने मिलकर एक ऐसे स्मार्ट डस्टबिन का निर्माण किया है, जो बताएगा कि इसमें कचरा कितना भर गया है. इस स्मार्ट डस्टबिन का निर्माण बीटेक इलेक्ट्रिकल के द्वितीय वर्ष के छात्र अभय प्रताप, मानसी सिंह और सर्वेश द्विवेदी ने किया है.

देखें वीडियो.

इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट का उपयोग करके बनाया गया डस्टबिन

इस सेंसरयुक्त डस्टबिन को तीन स्टेज पर मैसेज भेजने के लिए सेटिंग किया गया है और जीपीआरएस भी लगाया गया है. जिससे पता चलेगा कि संबंधित भरा हुआ डस्टबिन किस स्थान पर है और कितना भरा हुआ है. इस डस्टबिन का निर्माण इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट का उपयोग करते हुए किया गया है. इसमें अल्ट्रासोनिक सेंसर लगाया गया है, जो कूड़े के लेवल को दर्शाएंगा, साथ ही इसमें माइक्रोकंट्रोलर्स का उपयोग भी किया गया है, जोकि मैसेज भेजेगा.

मैसेज भेज कर करेगा सूचित

छात्रा मानसी का कहना है कि हमने अक्सर देखा है कि रास्ते में गंदगी फैली रहती है. हमारे दिमाक में ख्याल आया कि ऐसे डस्टबिन का निर्माण किया जाए, जो खुद ही बताएं कि वह भर चुका है. डस्टबिन की विशेषता है कि 50% कूड़ा भर जाने के बाद सफाईकर्मी को मैसेज जाएगा, 75% भरने पर संबंधित सुपरवाइजर को सूचना पहुंचेगी, वहीं डस्टबिन 95% भर जाने पर संबंधित अधिकारी के पास मैसेज जाएगा. वहीं सर्वेश का कहना है कि हम लोगों ने इस बात का ध्यान रखा है कि इसमें लागत कम से कम आए, इसे बनाने में 1 हजार रुपये से भी कम खर्च हुआ है.

इस स्मार्ट डस्टबिन को द्वितीय वर्ष इलेक्ट्रिकल के 3 छात्रों ने इजाद किया है, जो जीएसएम तकनीकी पर फिट किया गया है. इसका उपयोग हम किसी स्मार्ट सिटी नगर निगम या नगरपालिका में बड़ी आसानी से कर सकते है.
-प्रो. वीके गिरि, डायरेक्टर, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज

Intro:anchor.. सोनभद्र के राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के 3 छात्रों ने मिलकर एक ऐसे स्मार्ट डस्टबिन का निर्माण किया है जोकि बताएगा कि इसमें कचरा कितना भर गया है साथ ही साथ यह संबंधित कर्मचारी और अधिकारी को भी मैसेज के माध्यम से भेजेगा जीएसएम तकनीकी पर आधारित आधुनिक डस्टबिन होगा सिम के साथ ही साथ सेंसर लगा होगा जिसके माध्यम से सफाई कर्मचारी को सूचना चली जाएगी कि डस्टबिन कितना भर गया है


Body:vo.. दर्शन इंजरिंग कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों ने देखा कि जगह जगह पर डस्टबिन पड़ी रहती हैं उसमें कचरे भरे रहते हैं जिससे गंदगी फैलती रहती है बदबू आते रहते हैं कि उन्हें मच्छर इत्यादि पैदा होते हैं लेकिन समय से इसकी सफाई नहीं होती तो उन्होंने सोचा कि हम क्यों नहीं कैसी डस्टबिन का निर्माण करें जिससे कचरा भरने के बाद सफाई कर्मचारी को मैसेज के माध्यम से सूचना चली जाए इसके बाद इन सेंसर युक्त डस्टबिन बनाने का निर्णय किया और उसमें तीन स्टेज ओं पर मैसेज भेजने के लिए सेटिंग किया और इसमें जीपीआरएस लगाया जिससे पता चलेगा कि संबंधित भरा हुआ डस्टबिन किस स्थान पर है और कितना भरा हुआ है


vo... इस डस्टबिन में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट का उपयोग करते हुए निर्माण किया गया है इसमें अल्ट्रासोनिक सेंसर लगाया गया है जो कि कूड़े के लेवल को दर्शाएंगा की डस्टबिन कितना भरा है, दूसरा इसमें माइक्रोकंट्रोलर्स का उपयोग किया गया है जोकि मैसेज भेजेगा, और इसमें जीएसएम माड्यूल लगाया गया है जोकि संबंधित सफाई कर्मचारी सुपरवाइजर और अधिकारी को मैसेज भेजिएगा इसको तीन भागों में बांटा गया है ग्रीन येलो और रेड


vo.. इसमें जो अल्ट्रासोनिक सेंसर लगा हुआ है यह कूड़े के लेबल को दर्शाएं गा और माइक्रोकंट्रोलर को मैसेज भेजेगा कि वह कितना भर गया है माइक्रोकंट्रोलर जीएसएम माड्यूल को मैसेज भेजेगा कि वह कितना भरा हुआ है उसके बाद सीधा - आज सफाई कर्मचारी सुपरवाइजर व संबंधित अधिकारी को चला जाएगा इसमें खासियत यह है कि इस को तीन भागों में बांटा गया है ग्रीन येलो रेड ,

इस स्मार्ट डस्टबिन का निर्माण बी टेक इलेक्ट्रिकल के द्वितीय वर्ष के छात्र अभय प्रताप ,मानसी सिंह और सर्वेश द्विवेदी ने किया है इन लोगों का कहना है कि हमने जून से इसकी शुरुआत कि हमने देखा कि अलग-अलग जगहों पर कचरे फैले रहते हैं जिससे सभी को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है बीमारियों के साथ-साथ हमारे आसपास गंदगी फैलती है इसी को ध्यान में रखते हुए हम लोगों ने एक स्मार्ट डस्टबिन का निर्माण करने का सोचा और यह डस्टबिन बनाए

vo... इसके संबंध में छात्रा मानसी सिंह का कहना है कि हमने सोनभद्र में देखा कितनी ज्यादा गंदगी आ रही है और फैल रही है डस्टबिन जितने हवा भर जाते हैं तो हमने सोचा क्यों नहीं कैसे डस्टबिन हो जो खुद ही बताएं कि वह भर चुका है जिसको हम लोगों ने स्टार्ट किया और डिसाइड किया कि इसमें एक सेंसर लगाएं जो कि लेबल बताएं जीपीआरएस लगाया जाए जिससे वह अपना लोकेशन बताएं और वहां तक मैसेज भेजें इससे है वह की जो लेबल होगा वह ट्रक ड्राइवर सफाई कर्मी को पता रहेगा कि उसे कौन सा पहले उठाना है यह तीन भागों में बांटा गया है 50% 75% और 95%

byte.. मानसी सिंह छात्रा बी टेक इलेक्ट्रिकल द्वितीय वर्ष राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज सोनभद्र


vo.. वहीं इसके विषय में सर्वेश का कहना है कि हम लोगों ने इसको बनाने में यह भी ध्यान रखा की इसमें लागत कम से कम आए और यह बहुत कम लागत में बन भी गया है इसमें 1000 से कम खर्च हुआ है और यह पूरा डस्टबिन इतने में ही तैयार हो गया है
byte.. सर्वेश द्विवेदी छात्र बी टेक इलेक्ट्रिकल द्वितीय वर्ष राजकीय कॉलेज सोनभद्र


Conclusion:vo... इसके विषय में राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के डायरेक्टर प्रोफेसर वीके गिरी का कहना है कि यह स्मार्ट डस्टबिन है इसकी खासियत है कि यह जीएसएम तकनीकी पर फिट किया जाएगा हमारे यहां द्वितीय वर्ष इलेक्ट्रिकल के 3 छात्रों ने इसका इजाद किया है इसमें मानसी सिंह अभय प्रताप और सर्वेश द्विवेदी है विशेषता है कि 50% घर जाने के बाद सफाई कर्मी को मैसेज जाएगा 75% भर जाने पर संबंधित सुपरवाइजर को सूचना पहुंचेगी वही डस्टबिन 95% भर जाने पर संबंधित अधिकारी के पास मैसेज जाएगा इससे सब की जिम्मेदारी निर्धारित होगी और वह समय से काम करेगा इसका उपयोग हम किसी स्मार्ट सिटी नगर निगम या नगरपालिका में प्रयोग के तौर पर करेंगे

byte.. प्रोफेसर वीके गिरि डायरेक्टर राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज सोनभद्र
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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