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सोनभद्र: कोल इंडिया में कॉमर्शियल माइनिंग के खिलाफ मजदूरों की हड़ताल शुरू - कॉमर्शियल माइनिंग के खिलाफ हड़ताल शुरू

यूपी के सोनभद्र जिले में कुछ दिन पूर्व कोल इंडिया की एनसीएल की खदानों की सरकार ने कॉमर्शियल माइनिंग के लिए नीलामी की थी, जिसके विरोध में गुरुवार को एनसीएल में काम करने वाले मजदूरों ने तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है.

कॉमर्शियल माइनिंग के खिलाफ हड़ताल शुरू
कॉमर्शियल माइनिंग के खिलाफ हड़ताल शुरू
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Published : Jul 2, 2020, 7:31 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्र: जिले की कोल इंडिया की एनसीएल की खदानों को कुछ दिन पूर्व भारत सरकार की तरफ से कॉमर्शियल माइनिंग के लिए नीलामी की गई थी, जिसके विरोध में गुरुवार को एनसीएल में काम करने वाले मजदूरों ने तीन दिवसीय हड़ताल की शुरुआत की. इन लोगों का कहना है कि धीरे-धीरे सरकार इसका निजीकरण कर देगी, जिससे मजदूरों का शोषण होगा.

मजदूरों का कहना है कि ऐसा होने पर उनका शोषण किया जाएगा. साथ ही उनको पर्याप्त वेतन नहीं मिलेगा, न ही उनको कोई सुख-सुविधा मिलेगी, जिससे उनको अपने परिवार और बच्चों को पालने में भी दिक्कत होगी. इसलिए सरकार कॉमर्शियल माइनिंग की अनुमति वापस ले.

मजदूरों ने की हड़ताल
कोल माइंस के कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल गुरुवार से जारी है. सरकार द्वारा कॉमर्शियल घोषित करने के विरोध में मजदूरों ने तीन दिवसीय हड़ताल की है. मजदूरों और भारी संख्या में कर्मचारियों ने काम करना बंद कर दिया है. एनसीएल के खड़िया, दूधिचुआ, बीना, कृष्णशीला, ककरी समेत परियोजनाओं में कोल इंडिया के कर्मचारियों की हड़ताल जारी हो गई है. इस दौरान पिपरी सीओ एवं दुद्धी के एसडीएम मौजूद रहे.

कॉमर्शियल माइनिंग का निर्णय लिया जाए वापस
एनसीएल खड़िया के सचिव शैलेंद्र चौबे ने जानकारी देते हुए बताया कि कॉमर्शियल माइनिंग को कोल इंडिया से अलग किया जा रहा है, जिसकी वजह से यह हड़ताल की जा रही है. पूरे कोल इंडिया लिमिटेड के लोग हड़ताल पर हैं. उनकी मांग है कि कॉमर्शियल माइनिंग का निर्णय वापस लिया जाए.

लाभ से वंचित हो जाएंगे गरीब मजदूर
उन्होंने बताया कि कोल इंडिया के माध्यम से मजदूरों को सभी प्रकार का बेनिफिट नियम कानून के अनुसार मिलता है. सामाजिक सुरक्षा भी मिलती है, कॉमर्शियल माइनिंग के माध्यम से 1972 के पहले की स्थिति को मजदूरों के लिए भारत सरकार का लाने का इरादा है. इससे सीधा-सीधा मजदूर गुलाम बन जाएंगे, मजदूर किसी तरह का वेतन और अन्य लाभ से वंचित हो जाएंगे, कोयला मंत्री के साथ इसको लेकर वार्ता की गई थी, लेकिन वह वार्ता विफल हो गयी.

प्राइवेट होने पर नहीं होगी कोई सिक्योरिटी
वहीं इसी मामले की जानकारी देते हुई एनसीएल खड़िया के दूसरे सचिव बाबूलाल चौधरी ने कहा कि कोल मिनिस्टर ने पूरे कोल इंडिया में कॉमर्शियल माइनिंग खोलने का जो निर्णय लिया है, इससे हमारा पूरा कोल इंडिया प्रभावित होगा. इससे जो सुख-सुविधा हमें मिल रही है, उसमें तमाम सुविधाओं की कटौती होंगी. कॉमर्शियल माइनिंग होने पर कोयला बेचने का अधिकार बाजार में कॉमर्शियल व निजी लोगों को मिल जाएगा. वह अपने रेट पर कोयला बेच पाएंगे. प्राइवेट मालिक कर्मचारी जो मजदूरी करते हैं, उन्हें 10 से लेकर 5000 तक का वेतन देते हैं, जिससे किसी की लाइफ सिक्योर नहीं है.

सरकार क्यों उठा रही ऐसा कदम
उन्होंने बताया कि कोल इंडिया में वेतन अच्छा मिलता है, जिससे बच्चों को पढ़ाने से लेकर परिवार को चलाने में कोई दिक्कत नहीं होती. इसके बावजूद कोल इंडिया प्रॉफिट में है. फिर भी भारत सरकार कोल इंडिया को प्राइवेट करने की साजिश रच रही है. इसलिए पूरे कोल इंडिया के मजदूर तीन दिवसीय हड़ताल पर हैं.

सोनभद्र: जिले की कोल इंडिया की एनसीएल की खदानों को कुछ दिन पूर्व भारत सरकार की तरफ से कॉमर्शियल माइनिंग के लिए नीलामी की गई थी, जिसके विरोध में गुरुवार को एनसीएल में काम करने वाले मजदूरों ने तीन दिवसीय हड़ताल की शुरुआत की. इन लोगों का कहना है कि धीरे-धीरे सरकार इसका निजीकरण कर देगी, जिससे मजदूरों का शोषण होगा.

मजदूरों का कहना है कि ऐसा होने पर उनका शोषण किया जाएगा. साथ ही उनको पर्याप्त वेतन नहीं मिलेगा, न ही उनको कोई सुख-सुविधा मिलेगी, जिससे उनको अपने परिवार और बच्चों को पालने में भी दिक्कत होगी. इसलिए सरकार कॉमर्शियल माइनिंग की अनुमति वापस ले.

मजदूरों ने की हड़ताल
कोल माइंस के कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल गुरुवार से जारी है. सरकार द्वारा कॉमर्शियल घोषित करने के विरोध में मजदूरों ने तीन दिवसीय हड़ताल की है. मजदूरों और भारी संख्या में कर्मचारियों ने काम करना बंद कर दिया है. एनसीएल के खड़िया, दूधिचुआ, बीना, कृष्णशीला, ककरी समेत परियोजनाओं में कोल इंडिया के कर्मचारियों की हड़ताल जारी हो गई है. इस दौरान पिपरी सीओ एवं दुद्धी के एसडीएम मौजूद रहे.

कॉमर्शियल माइनिंग का निर्णय लिया जाए वापस
एनसीएल खड़िया के सचिव शैलेंद्र चौबे ने जानकारी देते हुए बताया कि कॉमर्शियल माइनिंग को कोल इंडिया से अलग किया जा रहा है, जिसकी वजह से यह हड़ताल की जा रही है. पूरे कोल इंडिया लिमिटेड के लोग हड़ताल पर हैं. उनकी मांग है कि कॉमर्शियल माइनिंग का निर्णय वापस लिया जाए.

लाभ से वंचित हो जाएंगे गरीब मजदूर
उन्होंने बताया कि कोल इंडिया के माध्यम से मजदूरों को सभी प्रकार का बेनिफिट नियम कानून के अनुसार मिलता है. सामाजिक सुरक्षा भी मिलती है, कॉमर्शियल माइनिंग के माध्यम से 1972 के पहले की स्थिति को मजदूरों के लिए भारत सरकार का लाने का इरादा है. इससे सीधा-सीधा मजदूर गुलाम बन जाएंगे, मजदूर किसी तरह का वेतन और अन्य लाभ से वंचित हो जाएंगे, कोयला मंत्री के साथ इसको लेकर वार्ता की गई थी, लेकिन वह वार्ता विफल हो गयी.

प्राइवेट होने पर नहीं होगी कोई सिक्योरिटी
वहीं इसी मामले की जानकारी देते हुई एनसीएल खड़िया के दूसरे सचिव बाबूलाल चौधरी ने कहा कि कोल मिनिस्टर ने पूरे कोल इंडिया में कॉमर्शियल माइनिंग खोलने का जो निर्णय लिया है, इससे हमारा पूरा कोल इंडिया प्रभावित होगा. इससे जो सुख-सुविधा हमें मिल रही है, उसमें तमाम सुविधाओं की कटौती होंगी. कॉमर्शियल माइनिंग होने पर कोयला बेचने का अधिकार बाजार में कॉमर्शियल व निजी लोगों को मिल जाएगा. वह अपने रेट पर कोयला बेच पाएंगे. प्राइवेट मालिक कर्मचारी जो मजदूरी करते हैं, उन्हें 10 से लेकर 5000 तक का वेतन देते हैं, जिससे किसी की लाइफ सिक्योर नहीं है.

सरकार क्यों उठा रही ऐसा कदम
उन्होंने बताया कि कोल इंडिया में वेतन अच्छा मिलता है, जिससे बच्चों को पढ़ाने से लेकर परिवार को चलाने में कोई दिक्कत नहीं होती. इसके बावजूद कोल इंडिया प्रॉफिट में है. फिर भी भारत सरकार कोल इंडिया को प्राइवेट करने की साजिश रच रही है. इसलिए पूरे कोल इंडिया के मजदूर तीन दिवसीय हड़ताल पर हैं.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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