सोनभद्रः सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य रविवार को सोनभद्र पहुंचे. सोनभद्र के नगवा ब्लॉक के मऊ कला गांव में बौद्ध महोत्सव के कार्यक्रम में स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंच से हिंदू धर्म ग्रंथों, पुरोहितों, धर्म आचार्यों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने रामचरित मानस की चौपाइयों में बदलाव की जाने की मांग की. वहीं, रॉबर्ट्सगंज में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उन्हें काले झंडे दिखाए.
उन्होंने कहा कि रामचरितमानस मात्र एक महाकाव्य है, न कि कोई धार्मिक ग्रंथ. उन्होंने कहा कि रामचरितमानस की चौपाइयों में महिलाओं, दलितों और पिछड़ों के प्रति भेदभाव किया गया है. इसके साथ ही उन्होंने बौद्ध धर्म को सबसे प्राचीन बताया. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म आचार्यों ने ही उन्हें वाल्मीकि रामायण की प्रति भेजी है, जिसमें बौद्ध धर्म का उल्लेख किया गया है. इससे साबित होता है कि बौद्ध धर्म सबसे प्राचीन है. स्वामी प्रसाद मौर्य का काफिला कार्यक्रम के बाद जब वापसी में राबर्ट्सगंज नगर पहुंचा, तो हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया और उन्हें काले झंडे दिखाए. मौके पर पहुंची पुलिस ने कार्यकर्ताओं को हटाया और काफिले को सुरक्षित निकाला.
संघ प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधते स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि 'जातियां ब्राह्मणों ने बनाई है, जो लोग मेरा सिर कलम करने के लिए इनाम दे रहे थे अब मोहन भागवत का सिर कलम क्यों नहीं करते? दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के विरोध को देखते हुए संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जातियां भगवान नहीं ब्राह्मणों ने बनाई हैं'. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मोहन भागवत खुद उच्चकुलीन ब्राह्मण हैं. चितपावन ब्राह्मण हैं, जो शंकराचार्य बनते हैं. पिछड़े दलित या महिला नहीं हैं, लेकिन जो खूनी हिंसक भेड़िए के रूप में साधु, महात्मा और धर्म आचार्य स्वामी प्रसाद का सिर काटने के लिए 51 लाख, 21 लाख और 11 लाख की सुपारी दे रहे थे, अब भागवत जी स्वयं बोल दिए हैं, तो उनका सिर कलम करने, हाथ, नाक, कान काटने की बात वह लोग क्यों नहीं कर रहे हैं'?
सोनभद्र बौद्ध महोत्सव में बोलते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हिंदू धर्म आचार्यों, पुरोहितों पर जमकर तीर चलाए. जब उनसे पूछा गया कि बाबा बागेश्वर धाम सरकार जो भक्तों के साथ चमत्कार करते हैं उन पर उनका क्या विचार है, तो सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि इतने बड़े चमत्कारी हैं, तो चीन को वहीं बैठे-बैठे बस में क्यों नहीं कर रहे थे जो रोज बॉर्डर पर परेशान कर रहा है'.