सोनभद्र : म्योरपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में कोरोना का कहर मासूम भाई बहन पर कुछ इस तरह टूटा कि दोनों दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए. सूचना मिलने पर बाल कल्याण समिति और जिला प्रोबेशन विभाग की टीम ने गांव में पहुंचकर जब बच्चों की आपबीती सुनीं तो सभी की आंखें नम हो उठीं. बहरहाल बाल कल्याण समिति ने दोनों बच्चों को रॉबर्ट्सगंज स्थित बालगृह की देखरेख में सौंप दिया है.
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नाबालिग बिन ब्याही मां की संतान हैं दोनों बच्चे
कहानी वर्ष 2013-14 से शुरू होती है जब म्योरपुर ब्लाॅक के एक गांव में एक 13 वर्ष की बिन ब्याही मां को प्रसव हुआ. उसने एक बच्ची को जन्म दिया. मासूम बच्ची अपनी मां और नाना-नानी की देखरेख में पल रही थी कि तीन वर्ष बाद उसे उसकी मां की ही कोख से एक भाई मिल गया. इसी दौरान उसकी मां की अचानक मौत हो गयी.
इसके बाद बिना मां-बाप के दोनों बच्चे नाना-नानी के संरक्षण में पल रहे थे. कुछ समय बाद नाना की भी असमय मौत हो गयी तो बच्चो के पालन पोषण की जिम्मेदारी अकेली नानी पर ही आ गयी. नानी ने गरीबी के चलते कुछ दिनों पूर्व 4 वर्षीय बालक को गांव के ही एक अन्य व्यक्ति को दस हजार रुपये में बेच दिया और बिटिया को खुद ही पालने लगी. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. बीती 8 मई 2021 को कोरोना के चलते नानी की भी मौत हो गयी. सात वर्षीय बेटी अनाथ हो गयी.
सीडीपीओ की सूचना पर गांव पहुंची बाल कल्याण समिति
जिला प्रोबेशन अधिकारी अमरेंद्र पौत्स्यायन ने बताया कि बाल विकास परियोजना अधिकारी सरोज ने सूचना दी थी कि गांव में एक सात वर्षीय बच्ची अनाथ हो गयी है. गांव में लोगों से खाना मांग कर किसी तरह रह रही है. लेकिन बच्ची के मुंह से उसकी आपबीती सुनकर सभी की आंखें नम हो गयीं. बच्ची के चार वर्षीय भाई को भी पुलिस की मदद से गांव के कमलेश भारती के घर से बरामद कर लिया गया है. उसके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जा रही है. दोनों भाई-बहन को बाल कल्याण समिति ने अपने संरक्षण में ले लिया है. दोनों बच्चों को बाल गृह में रखकर उनकी उचित देखरेख की जा रही है.