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मंत्री के शिकायत के बाद प्रशासन सख्त, 136 क्रशर प्लांट संचालकों को जारी किया गया नोटिस - notice to 136 crusher plant operators

सोनभद्र में शासन के निर्देश पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिल्ली मारकुंडी और बाड़ी-डाला क्षेत्र में चल रहे 136 क्रशर प्लांट संचालकों को नोटिस जारी किया है. साथ ही उन्हें हिदायत दी गई है कि प्लांट के संचालन में ध्वनि और वायु प्रदूषण के मानकों का सख्ती से पालन किया जाए.

136 क्रशर प्लांट संचालकों को जारी किया गया नोटिस.
136 क्रशर प्लांट संचालकों को जारी किया गया नोटिस.
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Published : Oct 28, 2021, 1:44 PM IST

सोनभद्र: जनपद के पर्यावरण प्रदूषण के लिहाज से बेहद संवेदनशील खनन क्षेत्र में संचालित क्रशर प्लांटों को प्रदूषण नियंत्रण के मानकों की अनदेखी अब भारी पड़ेगी. शासन के निर्देश पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिल्ली मारकुंडी और बाड़ी-डाला क्षेत्र में चल रहे 136 क्रशर प्लांट संचालकों को नोटिस जारी किया है. साथ ही उन्हें हिदायत दी गई है कि प्लांट के संचालन में ध्वनि और वायु प्रदूषण के मानकों का सख्ती से पालन किया जाए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रतिदिन के हिसाब से 6,250 रुपये की दर से जुर्माना लगाया जाएगा.

ओबरा तहसील के अंतर्गत बिल्ली मारकुंडी बाड़ी-डाला जिले का प्रमुख खनन क्षेत्र है. यहां पत्थर की खदानें संचालित हैं. पत्थर निकालने के लिए पहाड़ियों के नीचे विस्फोटक के द्वारा पहाड़ियों को तोड़ा जाता है. जहां उठने वाले तेज धमाके से पूरा क्षेत्र सहम जाता है. इन क्षेत्रों में स्टोन क्रशिंग के दौरान बड़ी मात्रा में धूल भी उड़ती है जो स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होती है. साथ ही सुरक्षित विस्फोट के लिए विशेषज्ञ कर्मचारी की तैनाती का निर्देश है, लेकिन ज्यादातर प्लांटों में इसका पालन नहीं हो रहा है. मिट्टी निकालने व धुलाई के दौरान धूल का गुबार पूरे वातावरण में छाया रहता है. पानी का छिड़काव न किए जाने से धूल मिट्टी वायु प्रदूषण की स्थिति को गंभीर बनाती है. सर्दियों में यह अति गंभीर श्रेणी में जाती है पिछले दिनों ओबरा विधायक और राज्य मंत्री संजीव गौड़ ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर खनन क्षेत्र में हो रही अनियमितता की शिकायत भी की थी.

राज्यमंत्री संजीब गौड़ ने खनन क्षेत्र में प्रदूषण को लेकर शिकायत की थी. जिसके बाद प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. जिसके तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 136 क्रशर प्लांट संचालकों को नोटिस जारी कर उन्हें कड़ी चेतावनी दी है. बोर्ड ने उन्हें ध्वनि प्रदूषण का स्तर न्यूनतम करने के साथ ही धूल के गुबार को रोकने के लिए निरंतर पानी का छिड़काव सुनिश्चित कराने को कहा है. ऐसा न करने पर उनके पर्यावरण एनओसी को निरस्त करने व जुर्माना लगाने की भी क्षेत्रीय अधिकारी ने बात कही.

इसे भी पढ़ें- ग्रामीणों ने सहारनपुर स्टोन क्रशर मालिक पर लगाया दबंगई का आरोप, किया हंगामा

सोनभद्र: जनपद के पर्यावरण प्रदूषण के लिहाज से बेहद संवेदनशील खनन क्षेत्र में संचालित क्रशर प्लांटों को प्रदूषण नियंत्रण के मानकों की अनदेखी अब भारी पड़ेगी. शासन के निर्देश पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिल्ली मारकुंडी और बाड़ी-डाला क्षेत्र में चल रहे 136 क्रशर प्लांट संचालकों को नोटिस जारी किया है. साथ ही उन्हें हिदायत दी गई है कि प्लांट के संचालन में ध्वनि और वायु प्रदूषण के मानकों का सख्ती से पालन किया जाए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रतिदिन के हिसाब से 6,250 रुपये की दर से जुर्माना लगाया जाएगा.

ओबरा तहसील के अंतर्गत बिल्ली मारकुंडी बाड़ी-डाला जिले का प्रमुख खनन क्षेत्र है. यहां पत्थर की खदानें संचालित हैं. पत्थर निकालने के लिए पहाड़ियों के नीचे विस्फोटक के द्वारा पहाड़ियों को तोड़ा जाता है. जहां उठने वाले तेज धमाके से पूरा क्षेत्र सहम जाता है. इन क्षेत्रों में स्टोन क्रशिंग के दौरान बड़ी मात्रा में धूल भी उड़ती है जो स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होती है. साथ ही सुरक्षित विस्फोट के लिए विशेषज्ञ कर्मचारी की तैनाती का निर्देश है, लेकिन ज्यादातर प्लांटों में इसका पालन नहीं हो रहा है. मिट्टी निकालने व धुलाई के दौरान धूल का गुबार पूरे वातावरण में छाया रहता है. पानी का छिड़काव न किए जाने से धूल मिट्टी वायु प्रदूषण की स्थिति को गंभीर बनाती है. सर्दियों में यह अति गंभीर श्रेणी में जाती है पिछले दिनों ओबरा विधायक और राज्य मंत्री संजीव गौड़ ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर खनन क्षेत्र में हो रही अनियमितता की शिकायत भी की थी.

राज्यमंत्री संजीब गौड़ ने खनन क्षेत्र में प्रदूषण को लेकर शिकायत की थी. जिसके बाद प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. जिसके तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 136 क्रशर प्लांट संचालकों को नोटिस जारी कर उन्हें कड़ी चेतावनी दी है. बोर्ड ने उन्हें ध्वनि प्रदूषण का स्तर न्यूनतम करने के साथ ही धूल के गुबार को रोकने के लिए निरंतर पानी का छिड़काव सुनिश्चित कराने को कहा है. ऐसा न करने पर उनके पर्यावरण एनओसी को निरस्त करने व जुर्माना लगाने की भी क्षेत्रीय अधिकारी ने बात कही.

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