सोनभद्र: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अब कुछ महीनों का ही वक्त बचा है. इसको लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. कई जिलों में परिसीमन के बाद जिला पंचायत के वार्डों की संख्या घटा दी गई है. वर्तमान में सोनभद्र में जिला पंचायत के 31 वार्ड हैं. पिछले चुनाव में जिला पंचायत के 33 वार्ड थे, जिनमें से अब 2 वार्ड समाप्त घोषित कर दिए गए हैं. जिला पंचायत के अलग-अलग वार्डों में विकास कार्य हुए हैं, लेकिन स्थानीय लोग उन कार्यों से संतुष्ट नहीं हैं. इसकी वजह है कि जिला पंचायत सदस्य जीतने के बाद दोबारा उस गांव की तरफ गए ही नहीं और विकास कार्य भी बिना ग्रामीणों की सहमति से किया जा रहा है. कुछ मामलों में कार्य की घटिया गुणवत्ता दिखाई दे रही है और धन का दुरुपयोग भी सामने आ रहा है.
सरकारी धन की हुई बर्बादी
जिला पंचायत द्वारा अलग-अलग वार्डों में सड़क, नाली, चबूतरा, शेड इत्यादि का निर्माण कराया गया है. कुछ जगहों पर जिला पंचायत ने सड़कों का भी निर्माण कार्य कराया है. इनमें कुछ जगहों पर कार्यों का दोहराव देखने को मिला. जैसे राबर्ट्सगंज ब्लाक के लोढ़ी गांव में जिला पंचायत द्वारा पक्की सड़क का निर्माण कराया गया था, लेकिन कुछ महीने पहले उस सड़क पर दोबारा पीडब्लूडी विभाग ने सड़क बनवा दी, जबकि सड़क पहले से ही ठीक-ठाक थी. ग्राम प्रधान ने बताया कि यह साफ-साफ सरकारी धन की बर्बादी का मामला है. उन्होंने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष को सूचना देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
मनमाने तरीके से हुआ निर्माण कार्य
सोनभद्र में जिला पंचायत के कार्यों से सामान्य जन संतुष्ट नहीं दिखाई दिए. यहां जिला पंचायत की कार्यप्रणाली ऐसी दिखाई दी जिसमें जिला पंचायत सदस्य चुने जाने के बाद दोबारा जनता के पास नहीं गए. जो कार्य गांवो में जिला पंचायत से कराए गए, उसमें ग्रामीणों से उपयोगिता जानने का प्रयास नहीं किया गया और मनमाने तरीके से विकास कार्य करा दिया गया. कार्यों की गुणवत्ता भी घटिया दिखाई दी और लोगों की अपेक्षा के अनुरूप कार्य नहीं किया गया. जिला पंचायत द्वारा ज्यादातर जोर निर्माण कार्यों पर दिखाई दिया, लेकिन निर्माण कार्य घटिया रहा. इसका उदाहरण चुर्क ग्राम पंचायत में दो वर्ष पूर्व तालाब के किनारे, छठ घाट पर जिला पंचायत द्वारा बनवाया गया चबूतरा है, जो कि एकदम जर्जर हो चुका है.