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इस अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में महीनों से बिजली गुल, टार्च की रोशनी में कराया जा रहा प्रसव

यूपी के सोनभद्र में स्थित प्रसव केंद्र के ऑपरेशन थिएटर में पिछले डेढ़ महीने से लाइट खराब है. ऐसे में यहां का स्टाफ मोबाइल और टार्च की रोशनी में गर्भवती महिलाओं का प्रसव करा रहा है.

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Published : Sep 30, 2021, 9:24 PM IST

टार्च की रोशनी में कराया जा रहा प्रसव
टार्च की रोशनी में कराया जा रहा प्रसव

सोनभद्रः एक तरफ जहां प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपये खर्च कर गरीब जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रही है. लेकिन इन दावों की हकीकत जिले मुख्यालय राबर्टसगंज स्थित प्रसव केंद्र पर खुल गई है. इस केंद्र के ऑपरेशन थिएटर में पिछले डेढ़ माह से बिजली नहीं आ रही है. प्रसव केंद्र के कर्मचारियों ने एक कमरे में प्रसव की वैकल्पिक व्यवस्था भी की थी, जिसकी बिजली भी लगभग 1 सप्ताह से खराब है. जिसकी वजह से यहां टार्च की रोशनी में गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जा रहा है. उच्च अधिकारियों से शिकायत के बाद भी समस्या का समधान नहीं हो सका है.

सोनभद्र में टार्च की रोशनी में कराया जा रहा प्रसव.

स्टाफ नर्स विजयलक्ष्मी ने बताया कि पिछले तीन-चार दिनों में लगभग 15 प्रसव मोबाइल और टार्च की रोशनी में कराए गए हैं. प्रसव केंद्र की बिजली खराब होने की सूचना उच्च अधिकारियों और सीएमओ को दी जा चुकी है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि लाइट पिछले डेढ़ महीने से खराब है इसकी शिकायत पहले ही उच्च अधिकारियों से की गई है. इसके बाद हमने प्रसव केंद्र के एक कक्ष में वैकल्पिक रूप से प्रसव का इंतजाम किया था, जिसकी बिजली भी पिछले तीन-चार दिनों से खराब है. जिसकी वजह से अब अंधेरे में ही प्रसव कराना पड़ रहा है.

एक तरफ जहां सरकार ने जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी तमाम योजनाएं सरकारी संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई है. जिससे लोग सरकारी अस्पतालों में प्रसव करा कर योजनाओ का लाभ लें सकें. लेकिन सोनभद्र के जिला मुख्यालय के प्रसव केंद्र की बदहाली जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली साफ तौर पर दिखाती है. प्रसव कराने आए तीमारदार का कहना है बीती रात भी उनके मरीज का प्रसव इमरजेंसी लाइट की रोशनी में कराया गया.

इसे भी पढ़ें-मनीष गुप्ता हत्याकांड: 'मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है, क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा'

बता दें कि इस प्रसव केंद्र की सीएमओ कार्यालय से दूरी मात्र 100 से डेढ़ सौ मीटर है. ऐसे में जिले की स्वास्थ्य सेवाओं का अंदाजा साफ तौर से लगाया जा सकता है. जब इस संबंध में जिले के सीएमओ डॉक्टर नेम सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि लिखित शिकायत मिलने के बाद ही वह कार्रवाई करेंगे. जबकि स्टाफ नर्स ने बताया कि पत्र लिखकर सूचना पहले ही दे दी गई है.

सोनभद्रः एक तरफ जहां प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपये खर्च कर गरीब जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रही है. लेकिन इन दावों की हकीकत जिले मुख्यालय राबर्टसगंज स्थित प्रसव केंद्र पर खुल गई है. इस केंद्र के ऑपरेशन थिएटर में पिछले डेढ़ माह से बिजली नहीं आ रही है. प्रसव केंद्र के कर्मचारियों ने एक कमरे में प्रसव की वैकल्पिक व्यवस्था भी की थी, जिसकी बिजली भी लगभग 1 सप्ताह से खराब है. जिसकी वजह से यहां टार्च की रोशनी में गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जा रहा है. उच्च अधिकारियों से शिकायत के बाद भी समस्या का समधान नहीं हो सका है.

सोनभद्र में टार्च की रोशनी में कराया जा रहा प्रसव.

स्टाफ नर्स विजयलक्ष्मी ने बताया कि पिछले तीन-चार दिनों में लगभग 15 प्रसव मोबाइल और टार्च की रोशनी में कराए गए हैं. प्रसव केंद्र की बिजली खराब होने की सूचना उच्च अधिकारियों और सीएमओ को दी जा चुकी है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि लाइट पिछले डेढ़ महीने से खराब है इसकी शिकायत पहले ही उच्च अधिकारियों से की गई है. इसके बाद हमने प्रसव केंद्र के एक कक्ष में वैकल्पिक रूप से प्रसव का इंतजाम किया था, जिसकी बिजली भी पिछले तीन-चार दिनों से खराब है. जिसकी वजह से अब अंधेरे में ही प्रसव कराना पड़ रहा है.

एक तरफ जहां सरकार ने जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी तमाम योजनाएं सरकारी संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई है. जिससे लोग सरकारी अस्पतालों में प्रसव करा कर योजनाओ का लाभ लें सकें. लेकिन सोनभद्र के जिला मुख्यालय के प्रसव केंद्र की बदहाली जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली साफ तौर पर दिखाती है. प्रसव कराने आए तीमारदार का कहना है बीती रात भी उनके मरीज का प्रसव इमरजेंसी लाइट की रोशनी में कराया गया.

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बता दें कि इस प्रसव केंद्र की सीएमओ कार्यालय से दूरी मात्र 100 से डेढ़ सौ मीटर है. ऐसे में जिले की स्वास्थ्य सेवाओं का अंदाजा साफ तौर से लगाया जा सकता है. जब इस संबंध में जिले के सीएमओ डॉक्टर नेम सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि लिखित शिकायत मिलने के बाद ही वह कार्रवाई करेंगे. जबकि स्टाफ नर्स ने बताया कि पत्र लिखकर सूचना पहले ही दे दी गई है.

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