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खराब नेटवर्क ने डाला ऑनलाइन शिक्षा में खलल, समस्या कैसे होगी हल

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Published : Aug 4, 2020, 8:10 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:14 PM IST

कोरोना काल के दौरान बच्चों की शिक्षा के लिए ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही हैं. वहीं यूपी के सोनभद्र जिले में कई ऐसे अभिभावक हैं, जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है. अगर फोन हैं भी तो नेटवर्क इतना कारगर नहीं है, जिससे बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई काफी प्रभावित हो रही है.

खराब नेटवर्क ने डाला ऑनलाइन शिक्षा में खलल
खराब नेटवर्क ने डाला ऑनलाइन शिक्षा में खलल

सोनभद्र: वैश्विक महामारी के चलते संकट की इस घड़ी में पूरा देश परेशान है. वहीं स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के सामने ऑनलाइन शिक्षा एक चुनौती बनी हुई है. मार्च में लगे लॉकडाउन के बाद से ही शिक्षण संस्थान बन्द हैं. परिषदीय स्कूलों की ओर से बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने की कोशिश लगातार जारी है, लेकिन इसके बावजूद कुछ बच्चे बेहतर शिक्षा से वंचित हैं.

खराब नेटवर्क से प्रभावित हुई ऑनलाइन पढ़ाई.

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए परेशानी
दरअसल जनपद के कई इलाके शैडो एरिया में आते हैं, जहां पर नेटवर्क ही नहीं है. आर्थिक, शैक्षिक व सामाजिक दृष्टि से पिछड़ा होने के कारण यहां भारी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनके पास स्मार्ट फोन तक नहीं है. ऐसे में गरीब परिवार के बच्चों के पठन-पाठन में कोरोना अभिशाप बन रहा है और उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है. शिक्षकों का भी मानना है कि ढेर सारे अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, जिसके चलते बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि इस कोरोना काल मे विद्यालय सूने पड़े हैं. शिक्षक तो सरकार के आदेश पर विद्यालय आ रहे हैं, लेकिन छात्रों को आना मना है.

90 प्रतिशत विद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षा
वहीं प्राइवेट स्कूल मोबाइल से ऑनलाइन कक्षाएं चलाकर कुछ हद तक समस्याओं की समाधान की दिशा में कार्य कर रहे हैं. वहीं बेसिक शिक्षा विभाग भी परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिये ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है. काफी विद्यालय में यह कार्य जारी भी है. शिक्षा विभाग की मानें तो 90 प्रतिशत विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई का कार्य समूह बनाकर किया जा रहा है.

नेटवर्क न होने से समस्या
स्कूल बंद होने की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का हो रहा है. ऑनलाइन माध्यम से कई स्कूलों के बच्चों की क्लास तो चल रही है, लेकिन जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है. अगर स्मार्ट फोन है तो घर का कामकाजी सदस्य जो काम करता है उसके पास अधिकतर समय रहता है. कई परिवारों का कहना है कि उनके पास स्मार्ट फोन है, लेकिन रिचार्ज के लिये पैसे ही नहीं हैं. वहीं कई इलाकों में नेटवर्क ही नहीं है, जिसके चलते भारी संख्या में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

कहां कितने छात्र पंजीकृत
जनपद में कुल 2458 परिषदीय विद्यालय हैं, जिसमें 1806 प्राथमिक और 654 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें कुल 2,54,060 बच्चे पंजीकृत हैं. प्राथमिक विद्यालय में 17,65,40 और उच्च प्राथमिक में 77,520 हैं. अनुसूचित जनजाति के प्राथमिक विद्यालय में 31,129 बालक और 30,417 बालिका, जिसमें कुल मिलाकर 61,546 अनुसूचित जनजाति के छात्र है. अनुसूचित जाति के प्राथमिक में 25,556 बालक और 25,321 बालिका कुल मिलाकर 50,877 अनुसूचित जाति के छात्र हैं. वहीं उच्च प्राथमिक में अनुसूचित जनजाति के 13,531 बालक और 12,861 बालिका जिसमें कुल मिलाकर 26,392 छात्र हैं.

अनुसूचित जाति के 11,574 बालक और 11,622 बालिका हैं. कुल मिलाकर 23,196 छात्र हैं, जबकि जनपद में कुल 2458 विद्यालय है, जिसमें 1804 प्राथमिक और 654 उच्च प्राथमिक हैं, जिसमें लगभग 5 हजार शिक्षक, 2200 शिक्षामित्र और 500 अनुदेशकों की तैनाती है. परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले कुछ छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ बेशक मिल रहा है, लेकिन अधिकांश छात्र इससे वंचित नजर जा रहे हैं. कई जगहों पर नए सत्र की कुछ किताबें बंट चुकी हैं. हालांकि अभी भी सभी को नए सत्र की किताबें नहीं मिल पाई हैं. इसका वितरण चल रहा है

कोरोना के चलते बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. स्मार्ट फोन भी नहीं है, जिससे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया जा सके. गरीब वर्ग से हैं इसलिए प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाते हैं. बच्चों को अभी तक कुछ ही किताबें मिली हैं.
-रामजी, अभिभावक

बच्चों का वाट्सऐप ग्रुप बना है, जिनके अभिभावकों के पास स्मार्टफोन है उन्हें जोड़ा गया है. बच्चों को पढ़ाने की पूरी कोशिश की जा रही है. पूरा प्रयास है लेकिन बहुत कम बच्चे इससे लाभन्वित हो पा रहे हैं. हम लोग भले मटेरियल भेजते हैं पर जब उनके पास फोन नहीं है और बच्चों को बुलाकर पढ़ाना नहीं है तो समस्या है.
सुषमा, प्रधानाध्यापिका, प्राथमिक विद्यालय बढ़ौली

कोरोना काल चल रहा है. बच्चों को पढ़ाई में दिक्कतें आ रही हैं. बच्चे स्कूल नहीं आ पा रहे हैं, जिसकी वजह से दिक्कत आ रही है, लेकिन फिर भी हम लोग ऑनलाइन क्लासेज जारी रखे हैं, लेकिन बहुत सारे ग्रामीणों के पास स्मार्टफोन न होने के कारण बच्चे उससे जुड़ नहीं पाते हैं. हमारे यहां 150 बच्चों की संख्या है, जिसमें 50 ही जुड़ पाये हैं.
-वीनारानी श्रीवास्तव, सहायक अध्यापिका, प्राथमिक विद्यालय लोढ़ी प्रथम

सोनभद्र: वैश्विक महामारी के चलते संकट की इस घड़ी में पूरा देश परेशान है. वहीं स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के सामने ऑनलाइन शिक्षा एक चुनौती बनी हुई है. मार्च में लगे लॉकडाउन के बाद से ही शिक्षण संस्थान बन्द हैं. परिषदीय स्कूलों की ओर से बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने की कोशिश लगातार जारी है, लेकिन इसके बावजूद कुछ बच्चे बेहतर शिक्षा से वंचित हैं.

खराब नेटवर्क से प्रभावित हुई ऑनलाइन पढ़ाई.

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए परेशानी
दरअसल जनपद के कई इलाके शैडो एरिया में आते हैं, जहां पर नेटवर्क ही नहीं है. आर्थिक, शैक्षिक व सामाजिक दृष्टि से पिछड़ा होने के कारण यहां भारी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनके पास स्मार्ट फोन तक नहीं है. ऐसे में गरीब परिवार के बच्चों के पठन-पाठन में कोरोना अभिशाप बन रहा है और उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है. शिक्षकों का भी मानना है कि ढेर सारे अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, जिसके चलते बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि इस कोरोना काल मे विद्यालय सूने पड़े हैं. शिक्षक तो सरकार के आदेश पर विद्यालय आ रहे हैं, लेकिन छात्रों को आना मना है.

90 प्रतिशत विद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षा
वहीं प्राइवेट स्कूल मोबाइल से ऑनलाइन कक्षाएं चलाकर कुछ हद तक समस्याओं की समाधान की दिशा में कार्य कर रहे हैं. वहीं बेसिक शिक्षा विभाग भी परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिये ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है. काफी विद्यालय में यह कार्य जारी भी है. शिक्षा विभाग की मानें तो 90 प्रतिशत विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई का कार्य समूह बनाकर किया जा रहा है.

नेटवर्क न होने से समस्या
स्कूल बंद होने की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का हो रहा है. ऑनलाइन माध्यम से कई स्कूलों के बच्चों की क्लास तो चल रही है, लेकिन जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है. अगर स्मार्ट फोन है तो घर का कामकाजी सदस्य जो काम करता है उसके पास अधिकतर समय रहता है. कई परिवारों का कहना है कि उनके पास स्मार्ट फोन है, लेकिन रिचार्ज के लिये पैसे ही नहीं हैं. वहीं कई इलाकों में नेटवर्क ही नहीं है, जिसके चलते भारी संख्या में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

कहां कितने छात्र पंजीकृत
जनपद में कुल 2458 परिषदीय विद्यालय हैं, जिसमें 1806 प्राथमिक और 654 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें कुल 2,54,060 बच्चे पंजीकृत हैं. प्राथमिक विद्यालय में 17,65,40 और उच्च प्राथमिक में 77,520 हैं. अनुसूचित जनजाति के प्राथमिक विद्यालय में 31,129 बालक और 30,417 बालिका, जिसमें कुल मिलाकर 61,546 अनुसूचित जनजाति के छात्र है. अनुसूचित जाति के प्राथमिक में 25,556 बालक और 25,321 बालिका कुल मिलाकर 50,877 अनुसूचित जाति के छात्र हैं. वहीं उच्च प्राथमिक में अनुसूचित जनजाति के 13,531 बालक और 12,861 बालिका जिसमें कुल मिलाकर 26,392 छात्र हैं.

अनुसूचित जाति के 11,574 बालक और 11,622 बालिका हैं. कुल मिलाकर 23,196 छात्र हैं, जबकि जनपद में कुल 2458 विद्यालय है, जिसमें 1804 प्राथमिक और 654 उच्च प्राथमिक हैं, जिसमें लगभग 5 हजार शिक्षक, 2200 शिक्षामित्र और 500 अनुदेशकों की तैनाती है. परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले कुछ छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ बेशक मिल रहा है, लेकिन अधिकांश छात्र इससे वंचित नजर जा रहे हैं. कई जगहों पर नए सत्र की कुछ किताबें बंट चुकी हैं. हालांकि अभी भी सभी को नए सत्र की किताबें नहीं मिल पाई हैं. इसका वितरण चल रहा है

कोरोना के चलते बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. स्मार्ट फोन भी नहीं है, जिससे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया जा सके. गरीब वर्ग से हैं इसलिए प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाते हैं. बच्चों को अभी तक कुछ ही किताबें मिली हैं.
-रामजी, अभिभावक

बच्चों का वाट्सऐप ग्रुप बना है, जिनके अभिभावकों के पास स्मार्टफोन है उन्हें जोड़ा गया है. बच्चों को पढ़ाने की पूरी कोशिश की जा रही है. पूरा प्रयास है लेकिन बहुत कम बच्चे इससे लाभन्वित हो पा रहे हैं. हम लोग भले मटेरियल भेजते हैं पर जब उनके पास फोन नहीं है और बच्चों को बुलाकर पढ़ाना नहीं है तो समस्या है.
सुषमा, प्रधानाध्यापिका, प्राथमिक विद्यालय बढ़ौली

कोरोना काल चल रहा है. बच्चों को पढ़ाई में दिक्कतें आ रही हैं. बच्चे स्कूल नहीं आ पा रहे हैं, जिसकी वजह से दिक्कत आ रही है, लेकिन फिर भी हम लोग ऑनलाइन क्लासेज जारी रखे हैं, लेकिन बहुत सारे ग्रामीणों के पास स्मार्टफोन न होने के कारण बच्चे उससे जुड़ नहीं पाते हैं. हमारे यहां 150 बच्चों की संख्या है, जिसमें 50 ही जुड़ पाये हैं.
-वीनारानी श्रीवास्तव, सहायक अध्यापिका, प्राथमिक विद्यालय लोढ़ी प्रथम

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:14 PM IST
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