सोनभद्र : एक तरफ जहां केंद्र और राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने में जुटी है तो वहीं दूसरी तरफ ऐसे किसान भी हैं, जिन्होंने खुद की मेहनत के दम पर खेती को मुनाफे के सौदे में तब्दील कर दिया है. इन्हीं किसानों में शामिल हैं सोनभद्र के मानपुर गांव निवासी बाबूलाल मौर्या, जो अपनी 6 एकड़ जमीन पर जैविक और वैज्ञानिक विधि से खेती करके एक साल में 8 से 10 लाख तक की पैदावार करते हैं.
इतना ही नहीं, बाबूलाल की इसी मेहनत के कारण उन्हें कृषि विभाग की तरफ से जिले की गोष्ठियों समेत जिले के बाहर भी भेजा जाता है, जहां पर उन्हें दर्जनों बार सम्मानित किया गया है. बाबूलाल का मानना है कि अगर किसान जैविक और वैज्ञानिक विधि अपना कर खेती करें तो निश्चित तौर में कम लागत में ही अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं.
बाबूलाल बचपन में ही अपने पिता के साथ खेती किसानी के काम से जुड़ गए. वह खेती के बारे में न केवल वैज्ञानिक ढंग से सोचते हैं बल्कि नए-नए वैज्ञानिक तरीकों को भी अपनाने से नहीं चूकते. बाबूलाल अपनी खेती को बेहतर बनाने के लिए हर बार नया प्रयास करते हैं. उनके प्रयासों का नतीजा यह है कि आज उनको कृषि विभाग से लेकर आकाशवाणी और जिले के बाहर होने वाले कार्यक्रमों में जाने के लिए बुलाया जाता है.
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बाबूलाल सब्जियों की खेती के साथ-साथ गेहूं और अन्य फसलों की भी खेती करते हैं. वह जैविक खाद स्वयं घर पर बनाते हैं. इनके अलावा वह फूल की खेती में भी हाथ आजमाते हैं. बाबूलाल के यहां खेती का कामकाज संभालने से पहले पारंपरिक तौर पर ही खेती की जाती थी, लेकिन जब से उन्होंने खेती का कामकाज संभाला है, तबसे किसानी के क्षेत्र में नई इबारत लिख दी है.
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बाबूलाल का कहना है कि खेती मुनाफे का सौदा है. अगर खेती वैज्ञानिक और जैविक विधि से की जाए तो बिना लागत के इसे मुमकिन बनाया जा सकता है. वह कहते हैं कि मेरी खेती में किसी तरह की लागत नहीं आती क्योंकि वह खुद बीज और जैविक खाद भी तैयार करते हैं. वह खाद के रूप में गोबर और जैविक खाद का उपयोग करते हैं. पूरे खेत में सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर लगा हुआ है.
कृषि विभाग के उपनिदेशक डीके गुप्ता ने बताया कि बाबूलाल मौर्या एक काबिल प्रगतिशील किसान हैं. वह लगातार कृषि विभाग के दिए गए निर्देशों और अन्य विभागों की नीतियों से खेती करते हैं. वह अन्य किसानों के लिए मिसाल हैं.