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कठिन परिस्थितियों के बाद भी सुमंगला शर्मा ने तीरंदाजी में खेला ओलंपिक - ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियन

ओलंपिक में खेलने के लिए 32 वर्ष बाद कोई भी भारतीय टीम गई थी. उसमें उनकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता था.

सुमंगला शर्मा
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Published : Feb 2, 2019, 3:25 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्र : कहते हैं जब कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो सफलता जरूर मिलती है. ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है बरेली की रहने वाली सुमंगला शर्मा ने, जिसने गरीबी के बावजूद काफी संघर्ष करके तीरंदाजी में नाम कमाया. वह भारतीय महिला टीम के लिए खेलने वाली यूपी की पहली महिला बनी. इनको रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

सुमंगला शर्मा बताती हैं कि कभी ऐसा भी समय था, जब घर पर खाने के लिए ठीक से नहीं था. उसके बावजूद मेरे ताऊजी ने हमारी पढ़ाई के लिए घर से दूर भेज दिया. वह बताती हैं कि घर पर बिना बताए ही उन्होंने 12वीं कक्षा में अपने कॉलेज में तीरंदाजी शुरू की. 4 साल बाद उनका ओलंपिक खेलने के लिए चयन हो गया. यह सब देख कर बाकी लोग दंग रह गए.

सुमंगला 2004 में एथेंस ओलंपिक में भारतीय आर्चरी संयुक्त टीम की सदस्य रही हैं. ओलंपिक में खेलने के लिए 32 वर्ष बाद कोई भी भारतीय टीम गई थी. उसमें उनकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता था. 2004 में थाईलैंड बैंकॉक में होने वाले एशियन ग्रांड पिक में इनकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था. 2005 में यूरोपियन क्रांतिक में इनकी टीम में सिल्वर मेडल जीता था. 2004 में झारखंड में आयोजित हुए तीरंदाजी प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में नेशनल चैंपियन रही हैं. 2006 में कोलकाता में होने वाले तीरंदाजी में नेशनल टॉपर इंडिया रही हैं. यूपी टीम उस समय गोल्ड मेडल और यह पर्सनल सिल्वर मेडल जीती थी. वहीं 2005 और 2006 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियन रही हैं.

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जानिए सुमंगला शर्मा की कहानी.
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उनका कहना है कि आज के लोगों को अपने बच्चियों पर विश्वास करना होगा. साथ में ही उनको छूट भी देनी पड़ेगी, तभी वह आगे बढ़ पाएंगी. किसी भी क्षेत्र में महिलाएं किसी से कमजोर नहीं हैं. केवल उनको अपना जौहर दिखाने की जरूरत है.

सरकार को देनी होंगी सुविधाएं
आज के समय में तीरंदाजी के लिए सरकार को और सुविधाएं देनी पड़ेंगी. अभी तक यूपी में मात्र एक ही हॉस्टल है, जो तीरंदाजी के लिए है. सरकार को आगे आकर और हॉस्टल खोलने पड़ेंगे, जिससे और भी बच्चे हॉस्टल में रहकर यह ट्रेनिंग ले सकें.

दे रहीं दूसरों को ट्रेनिंग
अपनी मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने तीरंदाजी में करियर तो बनाया ही, साथ में लगभग 7 साल से तीरंदाजी की ट्रेनिंग भी दे रही हैं. उन्होंने बीपीएड तक पढ़ाई की है. उनकी ट्रेनिंग से कई बच्चियां लाभान्वित हो रही हैं.

सोनभद्र : कहते हैं जब कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो सफलता जरूर मिलती है. ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है बरेली की रहने वाली सुमंगला शर्मा ने, जिसने गरीबी के बावजूद काफी संघर्ष करके तीरंदाजी में नाम कमाया. वह भारतीय महिला टीम के लिए खेलने वाली यूपी की पहली महिला बनी. इनको रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

सुमंगला शर्मा बताती हैं कि कभी ऐसा भी समय था, जब घर पर खाने के लिए ठीक से नहीं था. उसके बावजूद मेरे ताऊजी ने हमारी पढ़ाई के लिए घर से दूर भेज दिया. वह बताती हैं कि घर पर बिना बताए ही उन्होंने 12वीं कक्षा में अपने कॉलेज में तीरंदाजी शुरू की. 4 साल बाद उनका ओलंपिक खेलने के लिए चयन हो गया. यह सब देख कर बाकी लोग दंग रह गए.

सुमंगला 2004 में एथेंस ओलंपिक में भारतीय आर्चरी संयुक्त टीम की सदस्य रही हैं. ओलंपिक में खेलने के लिए 32 वर्ष बाद कोई भी भारतीय टीम गई थी. उसमें उनकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता था. 2004 में थाईलैंड बैंकॉक में होने वाले एशियन ग्रांड पिक में इनकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था. 2005 में यूरोपियन क्रांतिक में इनकी टीम में सिल्वर मेडल जीता था. 2004 में झारखंड में आयोजित हुए तीरंदाजी प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में नेशनल चैंपियन रही हैं. 2006 में कोलकाता में होने वाले तीरंदाजी में नेशनल टॉपर इंडिया रही हैं. यूपी टीम उस समय गोल्ड मेडल और यह पर्सनल सिल्वर मेडल जीती थी. वहीं 2005 और 2006 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियन रही हैं.

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जानिए सुमंगला शर्मा की कहानी.
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उनका कहना है कि आज के लोगों को अपने बच्चियों पर विश्वास करना होगा. साथ में ही उनको छूट भी देनी पड़ेगी, तभी वह आगे बढ़ पाएंगी. किसी भी क्षेत्र में महिलाएं किसी से कमजोर नहीं हैं. केवल उनको अपना जौहर दिखाने की जरूरत है.

सरकार को देनी होंगी सुविधाएं
आज के समय में तीरंदाजी के लिए सरकार को और सुविधाएं देनी पड़ेंगी. अभी तक यूपी में मात्र एक ही हॉस्टल है, जो तीरंदाजी के लिए है. सरकार को आगे आकर और हॉस्टल खोलने पड़ेंगे, जिससे और भी बच्चे हॉस्टल में रहकर यह ट्रेनिंग ले सकें.

दे रहीं दूसरों को ट्रेनिंग
अपनी मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने तीरंदाजी में करियर तो बनाया ही, साथ में लगभग 7 साल से तीरंदाजी की ट्रेनिंग भी दे रही हैं. उन्होंने बीपीएड तक पढ़ाई की है. उनकी ट्रेनिंग से कई बच्चियां लाभान्वित हो रही हैं.

Intro:anchor... कहते हैं जब कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो सफलता जरूर मिलती है और कुछ भी हासिल किया जा सकता है ऐसा ही कारनामा कर दिखाइए बरेली की रहने वाली सुमंगला शर्मा जो गरीबी के बावजूद भी काफी संघर्ष की और तीरंदाजी में भारतीय महिला टीम के लिए खेलने वाली यूपी की पहली महिला ने और इनको कई राष्ट्रीय पुरस्कार लेने दे इन्हें रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया


Body:vo.... सुमंगला शर्मा बताती हैं कि कभी ऐसा भी समय था जब घर पर खाने के लिए अब ठीक से नहीं था और घर में कई और सारी परेशानियां की लड़ाई झगड़े से लेकिन उसके बावजूद मेरे ताऊजी में हमारी पढ़ाई के लिए घर से दूर भेज दिया बताती है कि वह घर पर बिना बताए ही अपने कॉलेज में तीरंदाजी 12वीं में पढ़ाई के दौरान शुरू की और मात्र 4 साल में उनको ओलंपिक के खेलने के लिए चयन हो गया यह सब देख कर बाकी लोग दंग रह गए यह उनकी ओर उनकी कुछ लक्ष्मीप्रिया देवी के मेहनत का फल था

vo... सुमंगला 2004 में एथेंस ओलंपिक में भारती आर्चरी संयुक्त टीम की रही हैं ओलंपिक में खेलने के लिए 32 वर्ष बाद कोई भी भारतीय टीम गई थी वही 2004 मलेशिया एशियन ग्राफिक हुआ था उसमें उनकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता था और 2004 में थाईलैंड बैंकॉक में होने वाले एशियन ग्राउंड पिक में इनकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था 2005 में यूरोपियन क्रांतिक में इनकी टीम में सिल्वर मेडल जीता था 2004 में झारखंड में आयोजित हुए तीरंदाजी प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में नेशनल चैंपियन रही है 2006 में कोलकाता में होने वाले तीरंदाजी में नेशनल टॉपर इंडिया की रही हैं और यूपी टीम उस समय गोल्ड मेडल और यह पर्सनल सिल्वर मेडल जीती थी वहीं 2005 और 2006 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियन रही है

vo... वहीं का कहना है कि आज के भाव को को अपने बच्चियों पर विश्वास करना होगा और समझना होगा और साथ में ही उनको छूट भी देना पड़ेगा तभी वह आगे बढ़ पाएंगे आज के समय की खिलाड़ियों के बारे में उनका कहना है कि पूरे आत्मबल मेहनत और लगन के साथ खेलना होगा अपने आप पर विश्वास करना पड़ेगा तब उससे कोई भी नहीं रोक पाएगा किसी भी क्षेत्र में महिलाएं किसी से कमजोर नहीं है केवल उनको अपना जौहर दिखाना होगा

vo... वहीं आज के समय में तीरंदाजी के लिए सरकार को और सुविधाएं देनी पड़ेगी वही अभी तक यूपी में मात्र एक ही हॉस्टल है जो तीरंदाजी के लिए है सरकार को आगे आकर और हॉस्टल खोलने पड़ेंगे जिससे और भी बच्चे हॉस्टल में रहकर यह ट्रेनिंग ले बानी वहीं सरकार की तरफ से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान काफी अच्छा है और लड़कियों के लिए तो बहुत ही सरकार की योजना खेलेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया इससे आने वाले खिलाड़ियों खासकर लड़कियों को काफी बल मिलेगा

vo... अपनी मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने तीरंदाजी में केरियर तो बनाया ही साथ में लगभग 7 साल से तीरंदाजी की ट्रेनिंग भी दे रही है उन्होंने बीपीएड तक पढ़ाई किया उनकी ट्रेनिंग से कई बच्चियां आज भी लाभान्वित है उसमें से एक रिश्ता है जो कि इंटरनेशनल प्लेयर रह चुकी है और सीआरपीएफ में जॉब भी करेंगे वहीं उनकी शिष्य रह चुकी प्राची सिंह राजस्थान से हैं और यूथ कामनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीत चुकी है

byte... सुमंगला शर्मा


Conclusion:
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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