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सोमवती और मौनी अमावस्या का सुखद संयोग, ऐसा करने से मिलेगा विशेष फल - सोमवती अमावस्या

सोमवती और मौनी अमावस्या का सुखद संयोग, ऐसा करने से मिलेगा विशेष फल

नैमिषारण्य में करीब पांच लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है.
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Published : Feb 4, 2019, 8:57 AM IST

सीतापुर : सोमवार को सोमवती अमावस्या और मौनी अमावस्या का सुखद संयोग है, माघ माह की इस सोमवती और मौनी अमावस्या पर तीर्थ और सरोवर में स्नान के साथ दान का विशेष महत्व है, इस दिन 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य में करीब पांच लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है.

नैमिषारण्य में करीब पांच लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है.
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नैमिषारण्य स्थित चक्रतीर्थ में प्रत्येक अमावस्या पर स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. तौर पर इस दिन यहां आदिगंगा गोमती और चक्रतीर्थ में करीब एक लाख श्रद्धालु स्नान करते हैं, लेकिन इस बार माघ महीने में सोमवती अमावस्या और मौनी अमावस्या का एक ही दिन संयोग पड़ रहा है. इसलिए इसका महत्व और ज्यादा बढ़ गया है. इस सम्बंध में ज्योतिषाचार्य सदानन्द शास्त्री से ने बताया कि इस अवसर पर प्रयाग के संगम और नैमिषारण्य में स्नान दान का विशेष महत्व है. उन्होंने बताया कि सोमवती अमावस्या पर एक दिन पहले से लेकर एक दिन बाद तक स्नान करने से पूरे माह मास के स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है.

उन्होंने बताया कि इस मौके पर मौन रहकर स्नान करना चाहिए. मौनी अमावस्या के दिन तिल डालकर स्नान और तिल का दान करना चाहिए. इसके अलावा वस्त्र और छत्र का दान भी किया जाय तो और बेहतर होता है. शास्त्री के अनुसार नैमिषारण्य सतयुग का तीर्थ है, यहां पर स्नान और दान करने से कई गुना फल प्राप्त होता. यह विधान करने से रोग और कष्ट से छुटकारा मिलने के साथ ही पुण्यलाभ अर्जित होता है.

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सीतापुर : सोमवार को सोमवती अमावस्या और मौनी अमावस्या का सुखद संयोग है, माघ माह की इस सोमवती और मौनी अमावस्या पर तीर्थ और सरोवर में स्नान के साथ दान का विशेष महत्व है, इस दिन 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य में करीब पांच लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है.

नैमिषारण्य में करीब पांच लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है.
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नैमिषारण्य स्थित चक्रतीर्थ में प्रत्येक अमावस्या पर स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. तौर पर इस दिन यहां आदिगंगा गोमती और चक्रतीर्थ में करीब एक लाख श्रद्धालु स्नान करते हैं, लेकिन इस बार माघ महीने में सोमवती अमावस्या और मौनी अमावस्या का एक ही दिन संयोग पड़ रहा है. इसलिए इसका महत्व और ज्यादा बढ़ गया है. इस सम्बंध में ज्योतिषाचार्य सदानन्द शास्त्री से ने बताया कि इस अवसर पर प्रयाग के संगम और नैमिषारण्य में स्नान दान का विशेष महत्व है. उन्होंने बताया कि सोमवती अमावस्या पर एक दिन पहले से लेकर एक दिन बाद तक स्नान करने से पूरे माह मास के स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है.

उन्होंने बताया कि इस मौके पर मौन रहकर स्नान करना चाहिए. मौनी अमावस्या के दिन तिल डालकर स्नान और तिल का दान करना चाहिए. इसके अलावा वस्त्र और छत्र का दान भी किया जाय तो और बेहतर होता है. शास्त्री के अनुसार नैमिषारण्य सतयुग का तीर्थ है, यहां पर स्नान और दान करने से कई गुना फल प्राप्त होता. यह विधान करने से रोग और कष्ट से छुटकारा मिलने के साथ ही पुण्यलाभ अर्जित होता है.

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सोमवती और मौनी अमावस्या का सुखद संयोग, मौन स्नान और तिल के दान से मिलेगा विशेष फल

सीतापुर:कल सोमवार को सोमवती अमावस्या है,इस बार मौनी अमावस्या का सुखद संयोग भी है, माघ माह की इस सोमवती और मौनी अमावस्या पर तीर्थ और सरोवर में स्नान के साथ दान का विशेष महत्व है, इस दिन 88 हज़ार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य में करीब पांच लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है.

नैमिषारण्य स्थित चक्रतीर्थ में यूं तो प्रत्येक अमावस्या पर स्नान का विशेष महत्व माना जाता है,आमतौर पर इस दिन यहां आदिगंगा गोमती और चक्रतीर्थ में करीब एक लाख श्रद्धालु स्नान करते हैं, चूंकि इस बार माघ महीने में सोमवती अमावस्या और मौनी अमावस्या का संयोग पड़ रहा है इसलिए इसका महत्व और ज्यादा बढ़ गया है.इस सम्बंध में जब हमने ज्योतिषाचार्य सदानन्द शास्त्री से बात की तो उन्होंने इस अवसर पर प्रयाग के संगम और नैमिषारण्य में स्नान दान का विशेष महत्व बताया, उन्होंने बताया कि सोमवती अमावस्या पर एक दिन पहले से लेकर एक दिन बाद तक यानी तीन दिन लगातार स्नान करने से पूरे माह मास के स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है.

उन्होंने बताया कि इस मौके पर मौन रहकर स्नान करना चाहिए,मौनी अमावस्या का यही अर्थ है, साथ ही तिल डालकर स्नान करना और तिल का दान श्रेयस्कर माना जाता है, इसके अलावा वस्त्र और छत्र का दान भी किया जाय तो और बेहतर होता है, शास्त्री के अनुसार नैमिषारण्य सतयुग का तीर्थ है, यही पर स्नान और दान से कई गुना फल प्राप्त होता है और यह विधान करने से रोग एवं कष्ट से छुटकारा मिलने के साथ ही पुण्यलाभ अर्जित होता है.

बाइट-सदानंद शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)

नोट-इसमे चक्रतीर्थ में स्नान के पुराने विसुअल शामिल किये गए हैं.

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887
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