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सीतापुर की खादी ने बनाई पहचान, राष्ट्र स्तर पर मिला सम्मान

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Published : Oct 3, 2019, 10:29 PM IST

यूपी के सीतापुर स्थित खादी की गांधी आश्रम संस्था रोजगार को बढ़ावा देने के साथ फैशन की दुनिया में पहचान बनाने की कवायद कर रही है. यह संस्था पॉली खादी जैसी महीन खादी को बाजार में उतारकर युवाओं को आकर्षित कर रही है.

सीतापुर की खादी को राष्ट्र स्तर पर मिला सम्मान.

सीतापुर: कभी दरी उत्पादन तक सीमित रहने वाली खादी के नए उत्पाद अब बाजार में दिखाई दे रहे हैं. अपने विशिष्ट उत्पादन के लिए सीतापुर की खादी को कई स्तरों पर सम्मानित भी किया गया है. यहां की बनी हुई खादी महात्मा गांधी के सपनों को साकार करते हुए न सिर्फ स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, बल्कि फैशन की दुनिया में भी पहचान बनाने की कवायद कर रही है.

सीतापुर की खादी को राष्ट्र स्तर पर मिला सम्मान.

खादी के उत्पादन की दृष्टि से सीतापुर का विशेष महत्व है. यहां खादी की अनेक संस्थाएं कार्य करती हैं. हम जिस गांधी आश्रम संस्था की चर्चा कर रहे हैं, वह राज्यपाल से लेकर प्रधानमंत्री और भारत सरकार तक के नेशनल अवार्ड से सम्मानित की जा चुकी है. पहले यह संस्था सिर्फ मोटी खादी का ही उत्पादन करती थी, लेकिन प्रतिस्पर्धा और आधुनिकता के दौर में इस संस्था ने अपने उत्पादों को नया आयाम दिया. पॉली खादी जैसी महीन खादी को बाजार में उतारकर युवाओं को इसकी ओर आकर्षित किया है. इस खादी की लुंगी, गमछा और पैंट-शर्ट के थान बाजार में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं.

पढ़ें:- खादी को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रयत्नशील- सिद्धार्थ नाथ सिंह

कई स्तरों पर किया गया सम्मानित
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर खादी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पिछले दिनों यहां दौरे पर आए खादी ग्रामोद्योग मंत्री ने कई घोषणाएं की थी. सरकार की इस घोषणा को जमीनी स्तर पर लाने के लिए गांधी आश्रम संस्था ने भी कवायद शुरू कर दी है. विशिष्ट उत्पादन के लिए इस संस्था को राज्य स्तर पर राज्यपाल और राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है. संस्था के संचालक का कहना है कि खादी को आधुनिकता का जामा पहनाने के लिए वे लगातार प्रयासरत हैं और इसके जरिए मौजूदा समय में पांच सौ से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मुहैया करा रहे हैं.

सीतापुर: कभी दरी उत्पादन तक सीमित रहने वाली खादी के नए उत्पाद अब बाजार में दिखाई दे रहे हैं. अपने विशिष्ट उत्पादन के लिए सीतापुर की खादी को कई स्तरों पर सम्मानित भी किया गया है. यहां की बनी हुई खादी महात्मा गांधी के सपनों को साकार करते हुए न सिर्फ स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, बल्कि फैशन की दुनिया में भी पहचान बनाने की कवायद कर रही है.

सीतापुर की खादी को राष्ट्र स्तर पर मिला सम्मान.

खादी के उत्पादन की दृष्टि से सीतापुर का विशेष महत्व है. यहां खादी की अनेक संस्थाएं कार्य करती हैं. हम जिस गांधी आश्रम संस्था की चर्चा कर रहे हैं, वह राज्यपाल से लेकर प्रधानमंत्री और भारत सरकार तक के नेशनल अवार्ड से सम्मानित की जा चुकी है. पहले यह संस्था सिर्फ मोटी खादी का ही उत्पादन करती थी, लेकिन प्रतिस्पर्धा और आधुनिकता के दौर में इस संस्था ने अपने उत्पादों को नया आयाम दिया. पॉली खादी जैसी महीन खादी को बाजार में उतारकर युवाओं को इसकी ओर आकर्षित किया है. इस खादी की लुंगी, गमछा और पैंट-शर्ट के थान बाजार में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं.

पढ़ें:- खादी को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रयत्नशील- सिद्धार्थ नाथ सिंह

कई स्तरों पर किया गया सम्मानित
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर खादी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पिछले दिनों यहां दौरे पर आए खादी ग्रामोद्योग मंत्री ने कई घोषणाएं की थी. सरकार की इस घोषणा को जमीनी स्तर पर लाने के लिए गांधी आश्रम संस्था ने भी कवायद शुरू कर दी है. विशिष्ट उत्पादन के लिए इस संस्था को राज्य स्तर पर राज्यपाल और राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है. संस्था के संचालक का कहना है कि खादी को आधुनिकता का जामा पहनाने के लिए वे लगातार प्रयासरत हैं और इसके जरिए मौजूदा समय में पांच सौ से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मुहैया करा रहे हैं.

Intro:सीतापुर : कभी दरी उत्पादन तक सीमित रहने वाली खादी के नए उत्पाद अब बाज़ार में दिखाई दे रहे हैं.अपने विशिष्ट उत्पादन के लिए सीतापुर की खादी को कई स्तरों पर सम्मानित भी किया गया है. यहां की बनी हुई खादी महात्मा गांधी के सपनो को साकार करते हुए न सिर्फ स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है बल्कि फैशन की दुनिया में भी पहचान बनाने की कवायद कर रही है.


Body:खादी के उत्पादन की दृष्टि से सीतापुर का विशेष महत्व है. यूं तो यहां अनेक खादी की अनेक संस्थाएं कार्य करती है लेकिन हम जिस श्री गांधी आश्रम संस्था की चर्चा कर रहे हैं वह राज्यपाल से लेकर प्रधानमंत्री और भारत सरकार तक के नेशनल अवार्ड द्वारा सम्मानित की जा चुकी है.दरअसल पहले यह संस्था सिर्फ मोटी खादी का ही उत्पादन करती थी लेकिन प्रतिस्पर्धा और आधुनिकता के दौर में इस संस्था ने भी अपने उत्पादों को नया आयाम दिया और पॉली खादी जैसी महीन खादी को बाज़ार में उतारकर युवाओं को उसकी ओर आकर्षित किया.इस खादी की लुंगी,गमछा और पैंट-शर्त के थान बाजार में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं.


Conclusion:महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर खादी को जन जन तक पहुंचाने के लिए पिछले दिनों यहां दौरे पर आए खादी ग्रामोद्योग मंत्री ने कई घोषणाएं की थी.सरकार की इस घोषणा को अमली जामा पहनाने के लिए श्री गांधी आश्रम संस्था ने भी कवायद शुरू कर दी है.अपने विशिष्ट उत्पादन के लिए इस संस्था को राज्य स्तर पर राज्यपाल तथा राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है. संस्था के संचालक का कहना है कि खादी को आधुनिकता का जामा पहनाने के लिए वे लगातार प्रयासरत हैं और इसके जरिये मौजूदा समय में 5 सौ से ज्यादा लोगो को प्रत्यक्ष तौर पर रोज़गार मुहैया करा रहे हैं.

बाइट-एन. पी. पाण्डे (सचिव-श्री गांधी आश्रम)



सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट 9415084887
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