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सपा नेता और पूर्व विधायक रामपाल यादव का निधन, मिनी अखिलेश के नाम से थे मशहूर - रामपाल यादव

पूर्व विधायक रामपाल यादव पिछले काफी समय से गंभीर बीमारी से ग्रसित थे. उनका इलाज लखनऊ के मेदांता अस्पताल में चल रहा था. जहां उन्होंने सुबह अंतिम सांस ली. रामपाल यादव उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के बिसवां से विधायक रहे थे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 29, 2023, 1:26 PM IST

Updated : Aug 29, 2023, 3:21 PM IST

सीतापुर: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद की की बिसवां विधानसभा सीट से विधायक रहे सपा के कद्दावर नेता रामपाल यादव का मंगलवार की सुबह निधन हो गया. उनके निधन का समाचार मिलते ही राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई. उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लग गया. वह पिछले काफी समय से रामपाल यादव गंभीर बीमारी से ग्रसित थे. उनका इलाज लखनऊ के मेदांता अस्पताल में चल रहा था, जहां आज उन्होंने इलाज के दौरान अंतिम सांस ली. इसके बाद उनका पार्थिव शरीर लखनऊ से बिसवां ले जाया जाएगा. अखिलेश यादव ने भी रामपाल यादव के निधन पर शोक जताया है.

  • बिसवा से सपा के पूर्व विधायक श्री रामपाल यादव जी का निधन, अत्यंत दुखद!

    ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। शोकाकुल परिजनों के प्रति गहरी संवेदना।

    भावभीनी श्रद्धांजलि! pic.twitter.com/vOfCLMGOur

    — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 29, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

रामपाल यादव को क्यों कहते थे मिनी अखिलेशः रामपाल यादव सपा के कद्दावर नेताओं में से एक थे. उनका रुतबा ऐसा था कि लोग उन्हें मिनी अखिलेश के नाम से संबोधित करने लगे थे. वह लगातार कई बार विधायक रहे, जिससे उनका कद पार्टी में और भी ऊंचा हो गया था. रामपाल यादव ने इस दौरान बेशुमार शोहरत हासिल करने के साथ ही तमाम संपत्तियां भी अपने नाम कर ली, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था.

रामपाल यादव का पार्टी से हुआ था निष्कासनः वर्ष 2015 के जिला पंचायत चुनाव के दौरान सपा समर्थित प्रत्याशी सीमा गुप्ता के विरोध में पूर्व विधायक ने अपने पुत्र जितेंद्र यादव को चुनाव लड़वाया था, जो पार्टी प्रमुख को नागवार गुजरा. जितेंद्र यादव की चुनावी वैतरणी पार लगाने के बाद उन्हें पार्टी के मुखिया के कोप भाजन का शिकार होना पड़ा. इसके बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. पार्टी से निष्कासन होने पर रामपाल के खिलाफ तमाम बड़ी कार्रवाईयां की गईं.

Rampal Yadav Passed Away
अखिलेश यादव और अन्य सपा नेताओं के साथ रामपाल यादव, फाइल फोटो

विधानसभा चुनाव 2017 में मिली थी हारः इस दौरान उनकी चल व अचल संपतियों की जांच की गई और एक आलीशान होटल के साथ ही लखनऊ के भवन को जमींदोज कर दिया गया. इसके बाद वह एक सुरक्षित ठिकाने की तलाश में थे. वर्ष 2017 में उन्होंने सेउता से विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय लोकदल पार्टी से लड़ा, लेकिन उन्हें करारी शिकस्त मिली. वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान वह बसपा व कांग्रेस जैसी पार्टियों में विचरण करते नजर आए, लेकिन किसी भी पार्टी में उनकी दाल नहीं गली.

कुछ दिन भाजपा में भी रहेः जिला पंचायत चुनाव के दौरान उनके भाजपा में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे. तमाम उठापटक के बीच आखिरकार रामपाल यादव भाजपाई हो गए. हालांकि, यहां भी उनके विरोध में स्वर मुखर दिखे, जिस कारण वह ज्यादा दिन तक भाजपाई भी नहीं रह सके. आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद वह एक बार फिर अखिलेश यादव के सामने सपा की सदस्यता लेकर सपाई हो गए. रामपाल यादव सपा के लिए निरंतर समर्पित थे और उन्होंने अंतिम सांस भी सपाई के तौर पर ही ली.

ये भी पढ़ेंः अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे अयोध्या के संत, बाले-'स्वामी प्रसाद मौर्य क्षमा मांगें या पार्टी करे निष्कासित'

सीतापुर: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद की की बिसवां विधानसभा सीट से विधायक रहे सपा के कद्दावर नेता रामपाल यादव का मंगलवार की सुबह निधन हो गया. उनके निधन का समाचार मिलते ही राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई. उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लग गया. वह पिछले काफी समय से रामपाल यादव गंभीर बीमारी से ग्रसित थे. उनका इलाज लखनऊ के मेदांता अस्पताल में चल रहा था, जहां आज उन्होंने इलाज के दौरान अंतिम सांस ली. इसके बाद उनका पार्थिव शरीर लखनऊ से बिसवां ले जाया जाएगा. अखिलेश यादव ने भी रामपाल यादव के निधन पर शोक जताया है.

  • बिसवा से सपा के पूर्व विधायक श्री रामपाल यादव जी का निधन, अत्यंत दुखद!

    ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। शोकाकुल परिजनों के प्रति गहरी संवेदना।

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रामपाल यादव को क्यों कहते थे मिनी अखिलेशः रामपाल यादव सपा के कद्दावर नेताओं में से एक थे. उनका रुतबा ऐसा था कि लोग उन्हें मिनी अखिलेश के नाम से संबोधित करने लगे थे. वह लगातार कई बार विधायक रहे, जिससे उनका कद पार्टी में और भी ऊंचा हो गया था. रामपाल यादव ने इस दौरान बेशुमार शोहरत हासिल करने के साथ ही तमाम संपत्तियां भी अपने नाम कर ली, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था.

रामपाल यादव का पार्टी से हुआ था निष्कासनः वर्ष 2015 के जिला पंचायत चुनाव के दौरान सपा समर्थित प्रत्याशी सीमा गुप्ता के विरोध में पूर्व विधायक ने अपने पुत्र जितेंद्र यादव को चुनाव लड़वाया था, जो पार्टी प्रमुख को नागवार गुजरा. जितेंद्र यादव की चुनावी वैतरणी पार लगाने के बाद उन्हें पार्टी के मुखिया के कोप भाजन का शिकार होना पड़ा. इसके बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. पार्टी से निष्कासन होने पर रामपाल के खिलाफ तमाम बड़ी कार्रवाईयां की गईं.

Rampal Yadav Passed Away
अखिलेश यादव और अन्य सपा नेताओं के साथ रामपाल यादव, फाइल फोटो

विधानसभा चुनाव 2017 में मिली थी हारः इस दौरान उनकी चल व अचल संपतियों की जांच की गई और एक आलीशान होटल के साथ ही लखनऊ के भवन को जमींदोज कर दिया गया. इसके बाद वह एक सुरक्षित ठिकाने की तलाश में थे. वर्ष 2017 में उन्होंने सेउता से विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय लोकदल पार्टी से लड़ा, लेकिन उन्हें करारी शिकस्त मिली. वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान वह बसपा व कांग्रेस जैसी पार्टियों में विचरण करते नजर आए, लेकिन किसी भी पार्टी में उनकी दाल नहीं गली.

कुछ दिन भाजपा में भी रहेः जिला पंचायत चुनाव के दौरान उनके भाजपा में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे. तमाम उठापटक के बीच आखिरकार रामपाल यादव भाजपाई हो गए. हालांकि, यहां भी उनके विरोध में स्वर मुखर दिखे, जिस कारण वह ज्यादा दिन तक भाजपाई भी नहीं रह सके. आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद वह एक बार फिर अखिलेश यादव के सामने सपा की सदस्यता लेकर सपाई हो गए. रामपाल यादव सपा के लिए निरंतर समर्पित थे और उन्होंने अंतिम सांस भी सपाई के तौर पर ही ली.

ये भी पढ़ेंः अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे अयोध्या के संत, बाले-'स्वामी प्रसाद मौर्य क्षमा मांगें या पार्टी करे निष्कासित'

Last Updated : Aug 29, 2023, 3:21 PM IST
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