सीतापुर: जिले में एक बार फिर बारावफात पर राष्ट्रीय एकता और अखण्डता का संदेश देते हुए लोगों ने तिरंगे के साथ जुलूस निकाला. सदर जुलूस-ए-मोहम्मदी कमेटी के सदस्य मुजीब अहमद ने बताया कि धर्म या मजहब चाहे कोई भी हो, लेकिन सबसे बड़ा राष्ट्रधर्म है. राष्ट्रधर्म अपने धर्म की रवायतों से भी आगे राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को अक्षुण रखना हर हिंदुस्तानी का फर्ज है. जिले में हर साल बारावफात के मौके पर राष्ट्रधर्म का संदेश देने के लिए तिरंगे के साथ जुलूस निकाला जाता है.
झंडा ऊंचा रहे हमारा
जिले में अल्लाह के पैगम्बर हज़रत मोहम्मद मुस्तफा की यौमे पैदाइश के मौके पर जब जुलूस-ए-मोहम्मदी का कारवां जिले के सड़कों पर निकला तो उसकी अगुवाई कर रहा है, भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा. पूरी आन-बान और शान के साथ जुलूस के सबसे आगे लहरा रहे राष्ट्रीय ध्वज की यह खासियत लोगों के बीच खासी चर्चा में रही.
न जाति न धर्म, सबसे बड़ा राष्ट्रधर्म
सीतापुर जिला गंगा-जमुनी तहजीब और साम्प्रदायिक सौहार्द का हमेशा से कायल रहा है. यही वजह है कि आज तक यहां कभी कोई साम्प्रदायिक तनाव नहीं फैला और न ही कोई दंगा फसाद हुआ. राम जन्मभूमि मामले का फैसला आने के ठीक अगले दिन बारावफात यानी कि दीन-ए-मोहम्मदी की नींव डालने वाले अल्लाह के पैगम्बर हज़रत मोहम्मद मुस्तफा की यौमे पैदाइश पर उठने वाले जुलूस-ए-मोहम्मदी के लिए सभी अंजुमनें इकट्ठा हो रही थीं, तो उनके जुलूस में सबसे आगे राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगा झंडा पूरी शानोशौकत के साथ फहर रहा था.
हर साल राष्ट्रीय ध्वज की अगुवाई में निकलता है जुलूस
जिले के लोगों ने अपनी धार्मिक परंपराओ को निभाते हुए सबसे पहले राष्ट्र को सर्वोपरि मानने की जो मिशाल पेश की है, वह वास्तव में काबिल-ए-तारीफ है. जुलूस-ए-मोहम्मदी कमेटी के सदस्य मुजीब अहमद ने बताया कि हम लोग हर साल राष्ट्रीय ध्वज की अगुवाई में ही यह जुलूस निकालने की परंपरा चला रहे हैं.
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