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महोबा: खस्ताहाल मंदिर के भवन में चल रही पुलिस चौकी, खाकी धारी खौफ के साये में जीने को मजबूर

उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में चरखारी कोतवाली क्षेत्र की गौरहारी पुलिस चौकी खस्ताहाल मंदिर के भवन में चल रही है. इस चौकी में चौकी प्रभारी सहित छह कांस्टेबल रहते हैं जो खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं.

दीवारों में पड़ी बड़ी-बड़ी दरारें.
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Published : Sep 26, 2019, 8:59 PM IST

महोबा: लोगों की सुरक्षा में पुलिस सदैव तत्पर्य रहती है लेकिन कभी सरकार ने उनके रहने के लिए बेहतर जगह पर पुलिस चौकी की व्यवस्था पर घ्यान नहीं दिया. अब तो खुद खाकी कहने लगी है कि हम लोग खौफ के साये में रहते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड के महोबा जनपद की जहां पर विभाग की खुद की पुलिस चौकी ही नही हैं. जिस चौकी में लोगों की सुरक्षा में लगे खाकीधारी रहते है. वे खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं ये सारी बातें खुद चौकी प्रभारी कह रहे हैं.

खस्ताहाल मंदिर के भवन में चल रही पुलिस चौकी.
जर्जर पुलिस चौकी में रहने को मजबूर हैं चौकी प्रभारी सहित छह कांस्टेबलइस पुलिस चौकी को देखने में एक मंदिर की तरह दिखाई देती है. हकीकत में यह मंदिर की ही जमीन है. इसमें सन 1980 में पुलिस चौकी बना दी गई थी और तब से आज तक इसी जगह से चौकी का संचालन होता है. यह मामला जिले के चरखारी कोतवाली क्षेत्र की गौरहारी पुलिस चौकी की है. इस चौकी की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी हुई हैं. इसके अंदर चौकी प्रभारी सहित छह कांस्टेबल रहते हैं. यहां बारिश में छत से पानी भी गिरता रहता है. कीड़े मकोड़े निकलना तो यहां की आम बात है फिर भी लोगों की सुरक्षा करने वाले इस छत के नीचे रहने को मजबूर हैं.

इसे भी पढ़ें:- बलरामपुर: महिलाएं अब नहीं रहेंगी स्टांप जनप्रतिनिधि, पुलिस ने शुरु की कार्रवाई

पहले गौरहारी गांव थाना पनवाड़ी में आता था. यहां पर दो पार्टी होने की वजह से दंगा और कत्ल को देखते हुए सन 1980 में मंदिर की जमीन पर पुलिस चौकी बना दी गई थी. तब से यह चौकी इसी जगह से चल रही है. अब यहां रहना खतरे से खेलना जैसा है. फिर भी विभाग द्वारा कोई कदम नही उठाया जा रहा.
-योगेंद्र मिश्रा, ग्रामीण

वर्तमान में पुलिस चौकी मंदिर की जमीन पर चल रही है. जो पूरी तरह से गिरने की कगार पर है. हम लोगों ने चंदा करके एक नई पुलिस चौकी का निर्माण कराया था. इसका पैसा यहां पर पूर्व में तैनात चौकी प्रभारी को दिया गया था लेकिन उनका ट्रांसफर होने के बाद वह पैसा लेकर चले गए. इसलिए अब पुलिस चौकी कम्प्लीट नही हो सकी.
-राजू राजपूत, ग्राम प्रधान


सन 1980 में पुलिस चौकी एक मंदिर की जमीन पर खोली गई थी. जो आज भी उसी जमीन पर चल रही है. विभाग की खुद की चौकी नही हैं. बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता है और सांप बिच्छू भी निकलते रहतें हैं. मजबूरी में हम लोग खौफ के साये में रहते हैं. ग्रामीणों और प्रधानों के सहयोग से नई पुलिस चौकी का निर्माण कराया गया लेकिन वह भी आधी-अधूरी बनी पड़ी है.
-अनिल कुमार, चौकी प्रभारी

महोबा: लोगों की सुरक्षा में पुलिस सदैव तत्पर्य रहती है लेकिन कभी सरकार ने उनके रहने के लिए बेहतर जगह पर पुलिस चौकी की व्यवस्था पर घ्यान नहीं दिया. अब तो खुद खाकी कहने लगी है कि हम लोग खौफ के साये में रहते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड के महोबा जनपद की जहां पर विभाग की खुद की पुलिस चौकी ही नही हैं. जिस चौकी में लोगों की सुरक्षा में लगे खाकीधारी रहते है. वे खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं ये सारी बातें खुद चौकी प्रभारी कह रहे हैं.

खस्ताहाल मंदिर के भवन में चल रही पुलिस चौकी.
जर्जर पुलिस चौकी में रहने को मजबूर हैं चौकी प्रभारी सहित छह कांस्टेबलइस पुलिस चौकी को देखने में एक मंदिर की तरह दिखाई देती है. हकीकत में यह मंदिर की ही जमीन है. इसमें सन 1980 में पुलिस चौकी बना दी गई थी और तब से आज तक इसी जगह से चौकी का संचालन होता है. यह मामला जिले के चरखारी कोतवाली क्षेत्र की गौरहारी पुलिस चौकी की है. इस चौकी की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी हुई हैं. इसके अंदर चौकी प्रभारी सहित छह कांस्टेबल रहते हैं. यहां बारिश में छत से पानी भी गिरता रहता है. कीड़े मकोड़े निकलना तो यहां की आम बात है फिर भी लोगों की सुरक्षा करने वाले इस छत के नीचे रहने को मजबूर हैं.

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पहले गौरहारी गांव थाना पनवाड़ी में आता था. यहां पर दो पार्टी होने की वजह से दंगा और कत्ल को देखते हुए सन 1980 में मंदिर की जमीन पर पुलिस चौकी बना दी गई थी. तब से यह चौकी इसी जगह से चल रही है. अब यहां रहना खतरे से खेलना जैसा है. फिर भी विभाग द्वारा कोई कदम नही उठाया जा रहा.
-योगेंद्र मिश्रा, ग्रामीण

वर्तमान में पुलिस चौकी मंदिर की जमीन पर चल रही है. जो पूरी तरह से गिरने की कगार पर है. हम लोगों ने चंदा करके एक नई पुलिस चौकी का निर्माण कराया था. इसका पैसा यहां पर पूर्व में तैनात चौकी प्रभारी को दिया गया था लेकिन उनका ट्रांसफर होने के बाद वह पैसा लेकर चले गए. इसलिए अब पुलिस चौकी कम्प्लीट नही हो सकी.
-राजू राजपूत, ग्राम प्रधान


सन 1980 में पुलिस चौकी एक मंदिर की जमीन पर खोली गई थी. जो आज भी उसी जमीन पर चल रही है. विभाग की खुद की चौकी नही हैं. बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता है और सांप बिच्छू भी निकलते रहतें हैं. मजबूरी में हम लोग खौफ के साये में रहते हैं. ग्रामीणों और प्रधानों के सहयोग से नई पुलिस चौकी का निर्माण कराया गया लेकिन वह भी आधी-अधूरी बनी पड़ी है.
-अनिल कुमार, चौकी प्रभारी

Intro:एंकर- लोगो की सुरक्षा में पुलिस सदैव तत्पर्य रहती है। लेकिन कभी सरकार ने उनके रहने के लिए बेहतर जगह पर पुलिस चौकी की व्यवस्था पर घ्यान नही दिया। अब तो खुद खाकी कहने लगी है कि हम लोग ख़ौफ़ के साये में रहते है। जी हाँ हम बात कर रहे है। बुंदेलखंड के महोबा जनपद की जहाँ पर विभाग की खुद की पुलिस चौकी ही नही है। जिस चौकी में लोगो की सुरक्षा में लगे खाकीधारी रहते है। वह ख़ौफ़ के साये में जीने को मजबूर है यह हम नही रहे बल्कि खुद चौकी प्रभारी कह रहे है।




Body:अब जरा इस पुलिस चौकी को देखिए जो देखने मे एक मंदिर दिखाई देता है। हकीकत में यह मंदिर की ही जमीन है। जिसमे सन 1980 में पुलिस चौकी बना दी गई थी और तब से आज तक इसी जगह से चौकी का संचालन होता है।यह है चरखारी कोतवाली क्षेत्र की गौरहारी पुलिस चौकी अब जरा इस चौकी की दीवारों को देखिए जहाँ बड़ी बड़ी दरार पड़ी हुई है। जिसके अंदर चौकी प्रभारी सहित छह कांस्टेबिल रहते है। यहाँ बारिश में छत से पानी गिरता है और कीड़े मकोड़े निकलना तो आम बात है। फिर भी लोगो की सुरक्षा करने वाले इस छत के नीचे रहने को मजबूर है।

ग्रामीण कहते है कि पहले गौरहारी गांव थाना पनवाड़ी में आता था। यहाँ पर दो पार्टी होने की वजह से दंगा और कत्ल को देखते हुए सन 1980 में मंदिर की जमीन पर पुलिस चौकी बना दी गई थी। तब से यह चौकी इसी जगह से चल रही है। जो अब जमीदोज होने की कगार पर है। अब जहाँ रहना खतरे से खेलना जैसा है। फिर भी विभाग द्वारा कोई कदम नही उठाया जा रहा।
बाइट- योगेंद्र मिश्रा (ग्रामीण)

ग्राम प्रधान गौरहारी राजू राजपूत ने बताया कि बर्तमान में पुलिस चौकी मंदिर की जमीन पर चल रही है। जो पूरी तरह से गिरने की कगार पर है। हम लोगो ने चंदा करके एक नई पुलिस चौकी का निर्माण कराया था जिसका पैसा यहाँ पर पूर्व में तैनात चौकी प्रभारी को दिया था। लेकिन उनका ट्रांसफर होने के बाद वह पैसा लेकर चले गए इसलिए अब पुलिस चौकी कम्प्लीट नही हो सकी पुलिस विभाग पैसा से नही रहा हम लोग कहा तक पैसा लगाएंगे।
बाइट- राजू राजपूत (ग्राम प्रधान )


Conclusion:चौकी प्रभारी अनिल कुमार ने बताया कि सन 1980 में पुलिस चौकी एक मंदिर की जमीन पर खोली गई थी। जो आज भी उसी जमीन पर चल रही है। विभाग की खुद की चौकी नही है। बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता है और साँप बिच्छू भी निकलते है। मजबूरी में हम लोग ख़ौफ़ के साये में रहते है। ग्रामीणों और प्रधानों के सहयोग से नई पुलिस चौकी का निर्माण कराया गया लेकिन वह भी आधी अधूरी बनी पड़ी है।
बाइट- अनिल कुमार (चौकी प्रभारी)

लोगो की सुरक्षा का दामोदर जिनके कंधों पर है अब वह खुद सुरक्षित नही है उनके लिए कब बेहतर जगह की व्यवस्था होगी सरकार,अब तो खुद खाकी ही लगाने लगी गुहार,अब तो बेहतर जगह का इंतजाम करो सरकार।

तेज प्रताप सिंह
महोबा यूपी
09889466159
06306038548

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