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भाजपा सपा के सामने बागियों से निबटने की चुनौती, टिकट न मिलने से बढ़ी नाराजगी

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Published : Apr 20, 2023, 9:10 AM IST

सीतापुर में नगर पालिका परिषद के चेयरमैन पद के चुनाव में भाजपा और सपा दोनों पार्टियों को अपने बागियों से कड़ा मुकाबला करना होगा. इनको टिकट न मिलने से दोनों पार्टियों के नेताओं ने निर्दलीय मैदान में उतरने की ठान ली है.

भाजपा सपा के सामने बागियों से निबटने की चुनौती
भाजपा सपा के सामने बागियों से निबटने की चुनौती

सीतापुर: नगर पालिका परिषद के चेयरमैन पद के चुनाव में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी दोनों को बागियों से मुकाबला करना पड़ेगा. भाजपा से जहां पूनम मिश्रा और बबिता गुप्ता टिकट न मिलने से नाराज होकर मैदान में डट गई हैं, वहीं समाजवादी पार्टी से अपनी पत्नी के लिए टिकट की दावेदारी कर रहे पूर्व विधायक राकेश राठौर ने भी मैदान में डटे रहने का ऐलान करके पार्टी हाईकमान के सामने संकट पैदा कर दिया है.

नगर पालिका परिषद के चेयरमैन पद को लेकर सपा और भाजपा में काफी उठापटक चल रही है. इस प्रतिष्ठापूर्ण पद पर अब तक सपा के राधेश्याम जायसवाल काबिज थे. सत्तारूढ़ दल होने के कारण भाजपा इस सीट को अपनी झोली में डालने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. भाजपा में इस सीट के लिए दावेदारों की लंबी फेहरिस्त थी. लेकिन, पार्टी ने नेहा अवस्थी पर अपना भरोसा जताते हुए अन्य दिग्गजों की दावेदारी को खारिज कर दिया. इसके बाद पार्टी में विरोध के स्वर भी उभरने लगे. कुछ दावेदारों ने तो पार्टी नेतृत्व के निर्णय को मान लिया. लेकिन, कुछ ने इस फैसले का खुला विरोध करते हुए मैदान में डटे रहने का निर्णय लिया.

पार्टी की कद्दावर नेता पूनम मिश्रा ने बगावत का झंडा बुलंद करते हुए निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इसके अलावा भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहीं बबिता गुप्ता भी बगावत की राह पर हैं. उन्होंने भी निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. यही नहीं नगर विधायक एवं प्रदेश सरकार में नगर विकास विभाग के राज्य मंत्री राकेश राठौर की पत्नी किरन के भी चुनाव मैदान में आकर नामांकन पत्र दाखिल करने से असहज स्थिति उत्पन्न हो गई है. इन तीनों प्रत्याशियों की बगावत भाजपा प्रत्याशी को तो नुकसान पहुंचाएगी ही, पार्टी के अनुशासन को भी ठेस लगाएगी. ऐसे में पार्टी क्या निर्णय लेती है यह देखने वाली बात होगी.

अब बात करते हैं समाजवादी पार्टी की. नगर पालिका के निवर्तमान अध्यक्ष राधेश्याम जायसवाल इस सीट के महिला वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद अपनी बहू रश्मि जायसवाल के लिए सपा के टिकट की दावेदारी कर रहे थे. दूसरी ओर भाजपा से बगावत कर सपा में पहुंचे राकेश राठौर अपनी पत्नी नीलकमल के लिए सपा से टिकट चाह रहे थे. दोनों अपनी-अपनी टिकट के लिए सपा हाईकमान के पास पैरवी कर रहे थे. इसमें राधेश्याम जायसवाल भारी पड़ गए. समाजवादी पार्टी ने दोनों को खुश रखने के इरादे से दोनों को अधिकार पत्र जारी कर दिया, जिससे असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई.

रिटर्निंग ऑफिसर ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद रश्मि जायसवाल को सपा का अधिकृत प्रत्याशी मानते हुए नीलकमल राठौर पत्नी राकेश राठौर की सपा के सिंबल की दावेदारी को खारिज कर दिया. अब पूर्व विधायक राकेश राठौर मैदान से हटने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी पत्नी नीलकमल राठौर को चुनाव लड़ाने का ऐलान कर दिया है. इसके बाद पार्टी हाईकमान और पार्टी कार्यकर्ता दोनों के सामने उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

हालांकि, चुनाव प्रक्रिया में अभी पर्चा वापस लेने की तारीख बाकी है. लेकिन, जिस तरह से बागी उम्मीदवारों के तेवर दिखाई पड़ रहे हैं, उससे पर्चा वापस लेने की स्थिति दिखाई नहीं पड़ रही है. इस प्रकार इस चुनाव में अभी से यह कहा जा सकता है कि चुनाव मैदान में विरोधी प्रत्याशी से मुकाबला करने के बजाय अपनी पार्टी के ही बागी उम्मीदवार से निबटने की पहली चुनौती सपा और भाजपा दोनों ही दलों के अधिकृत उम्मीदवारों को झेलनी पड़ेगी.

यह भी पढ़ें: स्वार और छानबे उपचुनाव के लिए अपना दल एस ने घोषित किए प्रत्याशी

सीतापुर: नगर पालिका परिषद के चेयरमैन पद के चुनाव में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी दोनों को बागियों से मुकाबला करना पड़ेगा. भाजपा से जहां पूनम मिश्रा और बबिता गुप्ता टिकट न मिलने से नाराज होकर मैदान में डट गई हैं, वहीं समाजवादी पार्टी से अपनी पत्नी के लिए टिकट की दावेदारी कर रहे पूर्व विधायक राकेश राठौर ने भी मैदान में डटे रहने का ऐलान करके पार्टी हाईकमान के सामने संकट पैदा कर दिया है.

नगर पालिका परिषद के चेयरमैन पद को लेकर सपा और भाजपा में काफी उठापटक चल रही है. इस प्रतिष्ठापूर्ण पद पर अब तक सपा के राधेश्याम जायसवाल काबिज थे. सत्तारूढ़ दल होने के कारण भाजपा इस सीट को अपनी झोली में डालने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. भाजपा में इस सीट के लिए दावेदारों की लंबी फेहरिस्त थी. लेकिन, पार्टी ने नेहा अवस्थी पर अपना भरोसा जताते हुए अन्य दिग्गजों की दावेदारी को खारिज कर दिया. इसके बाद पार्टी में विरोध के स्वर भी उभरने लगे. कुछ दावेदारों ने तो पार्टी नेतृत्व के निर्णय को मान लिया. लेकिन, कुछ ने इस फैसले का खुला विरोध करते हुए मैदान में डटे रहने का निर्णय लिया.

पार्टी की कद्दावर नेता पूनम मिश्रा ने बगावत का झंडा बुलंद करते हुए निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इसके अलावा भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहीं बबिता गुप्ता भी बगावत की राह पर हैं. उन्होंने भी निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. यही नहीं नगर विधायक एवं प्रदेश सरकार में नगर विकास विभाग के राज्य मंत्री राकेश राठौर की पत्नी किरन के भी चुनाव मैदान में आकर नामांकन पत्र दाखिल करने से असहज स्थिति उत्पन्न हो गई है. इन तीनों प्रत्याशियों की बगावत भाजपा प्रत्याशी को तो नुकसान पहुंचाएगी ही, पार्टी के अनुशासन को भी ठेस लगाएगी. ऐसे में पार्टी क्या निर्णय लेती है यह देखने वाली बात होगी.

अब बात करते हैं समाजवादी पार्टी की. नगर पालिका के निवर्तमान अध्यक्ष राधेश्याम जायसवाल इस सीट के महिला वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद अपनी बहू रश्मि जायसवाल के लिए सपा के टिकट की दावेदारी कर रहे थे. दूसरी ओर भाजपा से बगावत कर सपा में पहुंचे राकेश राठौर अपनी पत्नी नीलकमल के लिए सपा से टिकट चाह रहे थे. दोनों अपनी-अपनी टिकट के लिए सपा हाईकमान के पास पैरवी कर रहे थे. इसमें राधेश्याम जायसवाल भारी पड़ गए. समाजवादी पार्टी ने दोनों को खुश रखने के इरादे से दोनों को अधिकार पत्र जारी कर दिया, जिससे असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई.

रिटर्निंग ऑफिसर ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद रश्मि जायसवाल को सपा का अधिकृत प्रत्याशी मानते हुए नीलकमल राठौर पत्नी राकेश राठौर की सपा के सिंबल की दावेदारी को खारिज कर दिया. अब पूर्व विधायक राकेश राठौर मैदान से हटने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी पत्नी नीलकमल राठौर को चुनाव लड़ाने का ऐलान कर दिया है. इसके बाद पार्टी हाईकमान और पार्टी कार्यकर्ता दोनों के सामने उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

हालांकि, चुनाव प्रक्रिया में अभी पर्चा वापस लेने की तारीख बाकी है. लेकिन, जिस तरह से बागी उम्मीदवारों के तेवर दिखाई पड़ रहे हैं, उससे पर्चा वापस लेने की स्थिति दिखाई नहीं पड़ रही है. इस प्रकार इस चुनाव में अभी से यह कहा जा सकता है कि चुनाव मैदान में विरोधी प्रत्याशी से मुकाबला करने के बजाय अपनी पार्टी के ही बागी उम्मीदवार से निबटने की पहली चुनौती सपा और भाजपा दोनों ही दलों के अधिकृत उम्मीदवारों को झेलनी पड़ेगी.

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