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सीतापुर: गुनिया के अविष्कारक राजा टोडरमल का आज ही के दिन लाहौर में हुआ था निधन - king todarmal was a minister of emperor akbar

गुनिया के अविष्कारक राजा टोडरमल का जन्म उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के लहरपुर में हुआ था. वह सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे. अकबर के समय से प्रारंभ हुई भूमि पैमाइश का आयोजन टोडरमल ने ही किया था. आज के ही दिन 8 नवम्बर 1589 को लाहौर में उनका निधन हुआ था.

राजा टोडरमल की मूर्ति.
राजा टोडरमल की मूर्ति.
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Published : Nov 8, 2020, 4:04 PM IST

सीतापुर: गुनिया के अविष्कारक राजा टोडरमल का जन्म उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के लहरपुर में हुआ था. वह सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे. अकबर के समय से प्रारंभ हुई भूमि पैमाइश का आयोजन टोडरमल ने ही किया था. आज के ही दिन 8 नवम्बर 1589 को लाहौर में उनका निधन हुआ था.

योद्धा, योग्य प्रशासक और अनुकरणीय वित्त मंत्री थे

राजा टोडरमल एक योद्धा, एक योग्य प्रशासक और एक अनुकरणीय वित्त मंत्री थे. वह अकबर के दरबार के ‘नवरत्न’ में से एक थे. उन्होंने एक उत्कृष्ट भूमि राजस्व प्रणाली की शुरुआत की थी. 1582 में सम्राट ने उनको दिवान-ए-अशरफ की पदवी से नवाजा था. उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद स्थित लहरपुर निवासी एक खत्री (जाट) परिवार में 1 जनवरी 1500 में उनका जन्म हुआ था. उन्होंने अकबर के दरबार में एक मुंशी के रूप में सेवा दी. अकबर उनकी प्रशासनिक क्षमता से प्रभावित थे और उन्होंने टोडरमल को ‘वजीर’ का पद प्रदान किया था.

टोडरमल ने किया था भूमि कर ढाँचे का पुनर्निर्माण
वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने भू-राजस्व संग्रहण और मूल्यांकन को व्यवस्थित प्रक्रिया में बदला था. टोडरमल ने भूमि कर ढाँचे का पुनर्निर्माण किया और फसल की क्षति के लिए मुआवजा देने की शुरुआत की. उनकी व्यवस्था इतनी प्रभावी और आधुनिक थी कि अन्य शासक और यहाँ तक कि अंग्रेजों ने भी इसका अनुसरण किया. अपनी मंत्रीय प्रतिभा के अलावा, वह एक सक्षम सैनिक और सेनापति भी थे. वह बंगाल में अफगानी बगदादों को कुचलने के लिए राजा मान सिंह के साथ थे. उन्होंने सभी प्रशासनिक कार्यों के लिए एक आम भाषा के महत्व को दूर रखा और आधिकारिक उद्देश्य के लिए भाषा के रूप में फारसी को बढ़ावा दिया. उन्होंने आज के ही दिन 8 नवम्बर 1589 को लाहौर में अंतिम सांस ली.

सीतापुर: गुनिया के अविष्कारक राजा टोडरमल का जन्म उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के लहरपुर में हुआ था. वह सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे. अकबर के समय से प्रारंभ हुई भूमि पैमाइश का आयोजन टोडरमल ने ही किया था. आज के ही दिन 8 नवम्बर 1589 को लाहौर में उनका निधन हुआ था.

योद्धा, योग्य प्रशासक और अनुकरणीय वित्त मंत्री थे

राजा टोडरमल एक योद्धा, एक योग्य प्रशासक और एक अनुकरणीय वित्त मंत्री थे. वह अकबर के दरबार के ‘नवरत्न’ में से एक थे. उन्होंने एक उत्कृष्ट भूमि राजस्व प्रणाली की शुरुआत की थी. 1582 में सम्राट ने उनको दिवान-ए-अशरफ की पदवी से नवाजा था. उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद स्थित लहरपुर निवासी एक खत्री (जाट) परिवार में 1 जनवरी 1500 में उनका जन्म हुआ था. उन्होंने अकबर के दरबार में एक मुंशी के रूप में सेवा दी. अकबर उनकी प्रशासनिक क्षमता से प्रभावित थे और उन्होंने टोडरमल को ‘वजीर’ का पद प्रदान किया था.

टोडरमल ने किया था भूमि कर ढाँचे का पुनर्निर्माण
वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने भू-राजस्व संग्रहण और मूल्यांकन को व्यवस्थित प्रक्रिया में बदला था. टोडरमल ने भूमि कर ढाँचे का पुनर्निर्माण किया और फसल की क्षति के लिए मुआवजा देने की शुरुआत की. उनकी व्यवस्था इतनी प्रभावी और आधुनिक थी कि अन्य शासक और यहाँ तक कि अंग्रेजों ने भी इसका अनुसरण किया. अपनी मंत्रीय प्रतिभा के अलावा, वह एक सक्षम सैनिक और सेनापति भी थे. वह बंगाल में अफगानी बगदादों को कुचलने के लिए राजा मान सिंह के साथ थे. उन्होंने सभी प्रशासनिक कार्यों के लिए एक आम भाषा के महत्व को दूर रखा और आधिकारिक उद्देश्य के लिए भाषा के रूप में फारसी को बढ़ावा दिया. उन्होंने आज के ही दिन 8 नवम्बर 1589 को लाहौर में अंतिम सांस ली.

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