सीतापुरः सनातन ऋषि परम्परा की भूमि नैमिषारण्य में शनिवार 24 जुलाई को गुरु शिष्य परम्परा के पावन प्रतीक पर्व गुरु पूर्णिमा को मनाए जाने की तैयारियां जोरों पर हैं. इस पर्व के उपलक्ष्य में विभिन्न आश्रमों में भागवत कथा, श्रीरामचरित मानस का पाठ का आयोजन भी किया गया है.
पूर्णिमा के दिन ही महर्षि व्यास का जन्म हुआ था. इनके द्वारा पुराणों की रचना और वेदों का विस्तार किया गया था. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु के प्रति आदर सम्मान और अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के पर्व के रूप में मनाते हैं. भारतीय संस्कृति में गुरु को देवता के तुल्य माना गया है. गुरु को हमेशा से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूज्य माना गया है. नैमिषारण्य तीर्थ में प्राचीन समय से गुरु पूर्णिमा पर्व श्रद्धा और उत्साह से मनाने की परिपाटी रही है. जिसके चलते नैमिष के सभी आश्रमों में गुरु पूर्णिमा की तैयारी हो रही है.
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इस दिन सुबह से ही तीर्थ के सन्त महंतों के आश्रमों में पूजा, अनुष्ठानों के साथ गुरुपूजन और वैदिक रीति से गुरुजनों के श्री चरणों में शीश नवाकर गुरुदीक्षा का क्रम देर शाम तक चलता है. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन नैमिष तीर्थ के वेदव्यास धाम आश्रम में अनिल कुमार शास्त्री द्वारा विशेष यज्ञ अनुष्ठान के साथ दिवस का प्रारम्भ होगा. इसके अलावा तीर्थ के पहले आश्रम में महंत भरतदास, बाबा रामभजन दास उर्फ दारोगा बाबा के सानिध्य में गुरुदीक्षा, नीलकण्ठ आश्रम में बाबा विवेकदास, महंत बजरंग दास हनुमान गढ़ी, कालीपीठ में जगदम्बा प्रसाद पुजारी, ललिता आश्रम में लाल बिहारी शास्त्री, विद्यानन्द आश्रम, हरिहरानन्द आश्रम में स्वामी हरिहरानन्द सरस्वती, नारदानंद आश्रम व नगर के कई आश्रमों में इसी प्रकार गुरु व भक्तों की उपस्थिति में गुरु शिष्य परम्परा का यह पावन पर्व मनाया जाएगा.
गुरु पूजन का शुभ मुहूर्त
आचार्य विवेक द्विवेदी ने बताया कि पूर्णिमा 23 को 10:50 प्रातः से प्रारम्भ होकर 24 शनिवार को प्रातः 08:12 तक रहेगी. जो लोग पूर्णिमा का श्राद्ध और व्रत रखते हैं वो लोग पूर्णिमा तिथि शुक्रवार को ग्राह्य करेंगे. गुरुपूर्णिमा महोत्सव गुरुपूजन शनिवार को उदयातिथि में मनाया जाएगा. सूर्योदय काल से प्रातः 08:12 मिनट तक गुरु पूजन करना अधिक सुखदायी होगा. 12:14 से सायं 08:24 तक अच्छा होगा. वैसे जब गुरु मिल जाए तब पूजन करें.