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88000 ऋषियों की तपोभूमि पर गुरुपूजन का आयोजन

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में तीर्थ यात्रा के दौरान गुरुजनों ने सतगुरु नाम की महिमा के बारे में बताया. इसके साथ ही जीवन को भक्ति और सत्कर्म के प्रेरक मार्ग से जीने का संदेश भी दिया.

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Published : Jul 21, 2019, 5:21 PM IST

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर निकाली तीर्थ यात्रा

सीतापुर: 88000 ऋषियों की पावन तपोभूमि नैमिषारण्य धाम में गुरु शिष्य परंपरा के पावन पर्व गुरु पूर्णिमा का त्यौहार काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मंगलवार की सुबह से ही तीर्थ में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए श्रद्धालुओं ने अपने गुरुजनों के आश्रमों में पूजा-अर्चना की.

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर निकाली गई तीर्थ यात्रा.

शोभा यात्रा की खास बातें

  • प्राचीन नारदानंद आश्रम में जगदाचार्य स्वामी देवेंद्रानंद सरस्वती के अध्यक्षता में प्रभात फेरी निकाली गई.
  • यहां संतजनों के पावन चरणों की पूजा अर्चना की गई.
  • नगर के प्रमुख आश्रमों में विवेकदास जी के अनुयायियों ने परम्परा के अनुसार गुरु पूजन किया.
  • कई जगहों पर धार्मिक कार्यक्रम और भंडारे का आयोजन किया गया.
  • इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लगा है.
  • शास्त्रों के अनुसार चंद्रग्रहण का सूतक नौ घंटे पहले और सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लगता है.
  • ऐसे में 16 जुलाई को 4 बजकर 25 मिनट से सूतक शुरु होगा और 17 जुलाई सुबह 4:40 मिनट पर समाप्त होगा.

सीतापुर: 88000 ऋषियों की पावन तपोभूमि नैमिषारण्य धाम में गुरु शिष्य परंपरा के पावन पर्व गुरु पूर्णिमा का त्यौहार काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मंगलवार की सुबह से ही तीर्थ में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए श्रद्धालुओं ने अपने गुरुजनों के आश्रमों में पूजा-अर्चना की.

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर निकाली गई तीर्थ यात्रा.

शोभा यात्रा की खास बातें

  • प्राचीन नारदानंद आश्रम में जगदाचार्य स्वामी देवेंद्रानंद सरस्वती के अध्यक्षता में प्रभात फेरी निकाली गई.
  • यहां संतजनों के पावन चरणों की पूजा अर्चना की गई.
  • नगर के प्रमुख आश्रमों में विवेकदास जी के अनुयायियों ने परम्परा के अनुसार गुरु पूजन किया.
  • कई जगहों पर धार्मिक कार्यक्रम और भंडारे का आयोजन किया गया.
  • इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लगा है.
  • शास्त्रों के अनुसार चंद्रग्रहण का सूतक नौ घंटे पहले और सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लगता है.
  • ऐसे में 16 जुलाई को 4 बजकर 25 मिनट से सूतक शुरु होगा और 17 जुलाई सुबह 4:40 मिनट पर समाप्त होगा.
Intro:88000 ऋषियों की पावन तपोभूमि नैमिषारण्य धाम में आज गुरु शिष्य परंपरा के पावन पर्व गुरु पूर्णिमा का त्यौहार पारंपरिक रूप से बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया , आज सुबह से ही तीर्थ में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए श्रद्धालुओं द्वारा अपने गुरुजनों के आश्रमों में पूजन और धार्मिक अनुष्ठानों का क्रम शुरू हो गया था इसी क्रम में आज प्राचीन नारदानंद आश्रम में जगदाचार्य स्वामी देवेंद्रानंद सरस्वती के अध्यक्षता में सुबह अनेक साधु संतो की अगुवाई में परंपरागत प्रभात फेरी समाधि स्थल तक गई जहां संत जनों के पावन चरणों का पूजन अर्चन करने के बाद अनुयायियों द्वारा स्वामी देवेंद्रानंद सरस्वती जी का रीति के अनुसार पूजन व गुरु दीक्षा का दौर चलता रहा । Body:इस अवसर पर नगर के प्रमुख आश्रमों जैसे व्यास आश्रम में अनिल कुमार शास्त्री , पहला आश्रम में महन्त भरत दास जी , हरिहरानन्द आश्रम में स्वामी हरिहरानंद जी , नीलकंठ आश्रम में विवेक दास जी का अनुयायियों ने परम्परा अनुसार गुरु पूजन किया साथ ही नए अनुयायियों ने गुरु दीक्षा भी ग्रहण की इस मौके पर नारदानंद आश्रम में बाल व्यास धनंजय पांडेय द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का भक्तों को श्रवण कराया गया वही नगर में कई जगहों पर धार्मिक कार्यक्रम और वह भंडारे का दौर चलता रहा जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु व भक्त गण उपस्थित रहे ।

" गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण "

जानकारी के अनुसार इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी है। यह ग्रहण  कुल 2 घंटे 59 मिनट का होगा। भारतीय समय के अनुसार चंद्र ग्रहण 16 जुलाई की रात 1 बजकर 31मिनट पर शुरू होगा और 17 जुलाई की सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर समाप्‍त हो जाएगा।  इस दिन चंद्रमा पूरे देश में शाम 6 बजे से 7 बजकर 45 मिनट तक उदित हो जाएगा इसलिए देश भर में इसे देखा जा सकेगा "

" चन्द्र ग्रहण का समय और सूतक काल "

शास्त्रों के अनुसार चंद्रग्रहण का सूतक नौ घंटे पहले और सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लगता है। ऐसे में 16 जुलाई को 4 बजकर 25 मिनट से सूतक शुरु होगा। जो 17 जुलाई सुबह 4:40 मिनट पर खत्म होगा। ऐसे में सूतक काल शुरू होने से पहले गुरु पूर्णिमा की पूजा विधिवत् कर लें। सूतक काल के दौरान पूजा नहीं की जाती है. सूतक काल लगते ही मंदिरों के कपाट भी बंद हो जाएंगे। 

Conclusion:" प्रमुख बिंदु "

• तीर्थ में गुरुजनों ने बताई सतगुरु नाम की महिमा , जीवन को भक्ति और सत्कर्म के प्रेरक मार्ग से जीने का दिया संदेश

• हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार आज महर्षि वेदव्यास जी का जन्मदिन भी माना जाता है सभी 18 पुराणों का रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। वेदों को विभाजित करने के श्रेय के कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था। वेदव्यास जी को आदिगुरु भी कहा जाता है इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है |

• प्राचीन काल में शिष्य जब गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन पूर्ण श्रद्धा से अपने गुरु की पूजा का आयोजन किया करते थे|

• वर्ष ऋतु में न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी होती है , यह समय अध्ययन और अध्यापन के लिए अनुकूल व सर्वश्रेष्ठ माना जाता है , इसलिए गुरुचरण में उपस्थित शिष्य ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति को प्राप्त करने हेतु इस समय का चयन करते हैं ।

पुरुषोत्तम शर्मा
नैमिषारण्य/सीतापुर
09935935573
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