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प्रांतीयकृत हुआ सीतापुर का 84 कोसीय होली परिक्रमा मेला, अधिसूचना जारी

यूपी के सीतापुर में फाल्गुन माह में अमावस्या के पश्चात शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से एक माह तक 84 कोसी होली परिक्रमा मेला को प्रान्तीयकृत मेला घोषित कर दिया है. साधू-संतों और तीर्थ पुरोहितों द्वारा लंबे समय से इस परिक्रमा मेले के प्रान्तीयकरण की मांग की जा रही थी, जिसे अब योगी सरकार ने पूरा कर दिया है.

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डीएम.
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Published : Jul 17, 2020, 2:17 AM IST

सीतापुर: यूपी सरकार ने प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह में अमावस्या के पश्चात शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से एक माह तक 84 कोसी होली परिक्रमा मेला को प्रान्तीयकृत मेला घोषित कर दिया है. ये मेला जिले में मिश्रित में लगता है. यहां के साधु-संतों और तीर्थ पुरोहितों द्वारा लंबे समय से इस परिक्रमा मेले के प्रान्तीयकरण की मांग की जा रही थी, जिसे अब योगी सरकार ने पूरा कर दिया है.

डीएम अखिलेश तिवारी ने बताया कि संयुक्त प्रान्त मेला अधिनियम 1938 की अपेक्षानुसार इस संबंध में शासन द्वारा आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किये जाने की दृष्टि से सरकारी अधिसूचना 02 सितम्बर 2019 को गजट में प्रकाशित की गयी थी. निर्धारित समय के भीतर इसमें कोई आपत्ति या सुझाव नहीं प्राप्त हुआ, जिसके बाद राज्यपाल महोदया ने प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह में अमावस्या के पश्चात शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से एक माह तक चलने वाले 84 कोसी होली परिक्रमा मेला, मिश्रिख को प्रान्तीयकृत मेला घोषित कर दिया है. यह मेला नैमिषारण्य के चक्रतीर्थ से प्रारम्भ होकर 11 पड़ावों को पार करते हुए मिश्रिख पहुंचता है. मिश्रिख तीर्थ में पांच दिन तक यह पंचकोसीय परिक्रमा के रूप में रहता है. इस परिक्रमा में देश के कोने-कोने से ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देश नेपाल के श्रद्धालु भी परिक्रमार्थी के रूप में शामिल होते हैं.

इस परिक्रमा की पौराणिक मान्यता के मुताबिक महर्षि दधीचि ने देवासुर संग्राम के समय अपनी अस्थियों का दान करने से पहले पृथ्वीलोक के सभी तीर्थों में स्नान करने की इच्छा व्यक्त की थी, जिस पर देवताओं ने मिश्रिख क्षेत्र में सभी तीर्थों का आह्वान किया था. यह सभी तीर्थ इसी 84 कोस के भीतर स्थापित हुए थे. महर्षि दधीचि ने इस सभी तीर्थों की परिक्रमा और उसमें स्नान करने के उपरांत अपनी अस्थियों का दान किया था, तभी से इस 84 कोस परिक्रमा की परंपरा चली आ रही है.

मान्यता यह भी है कि त्रेतायुग में भगवान राम ने भी यह 84 कोस की परिक्रमा की थी. इसलिए इस परिक्रमा का विशेष महत्व माना जाता है. जिलाधिकारी ने बताया कि मिश्रिख के उत्तर में ग्राम पंचायत जसरथपुर, दक्षिण में ग्राम पंचायत परसौली, पूरब में ग्राम पंचायत नरायनपुर और पश्चिम में परिक्रमा मार्ग निर्धारित की गई है. सरकार द्वारा प्रान्तीयकरण किये जाने के बाद इस प्राचीन मेले का और भव्यता के साथ आयोजन किया जा सकेगा. साथ ही सुविधाओं में भी वृद्धि हो सकेगी.

सीतापुर: यूपी सरकार ने प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह में अमावस्या के पश्चात शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से एक माह तक 84 कोसी होली परिक्रमा मेला को प्रान्तीयकृत मेला घोषित कर दिया है. ये मेला जिले में मिश्रित में लगता है. यहां के साधु-संतों और तीर्थ पुरोहितों द्वारा लंबे समय से इस परिक्रमा मेले के प्रान्तीयकरण की मांग की जा रही थी, जिसे अब योगी सरकार ने पूरा कर दिया है.

डीएम अखिलेश तिवारी ने बताया कि संयुक्त प्रान्त मेला अधिनियम 1938 की अपेक्षानुसार इस संबंध में शासन द्वारा आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किये जाने की दृष्टि से सरकारी अधिसूचना 02 सितम्बर 2019 को गजट में प्रकाशित की गयी थी. निर्धारित समय के भीतर इसमें कोई आपत्ति या सुझाव नहीं प्राप्त हुआ, जिसके बाद राज्यपाल महोदया ने प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह में अमावस्या के पश्चात शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से एक माह तक चलने वाले 84 कोसी होली परिक्रमा मेला, मिश्रिख को प्रान्तीयकृत मेला घोषित कर दिया है. यह मेला नैमिषारण्य के चक्रतीर्थ से प्रारम्भ होकर 11 पड़ावों को पार करते हुए मिश्रिख पहुंचता है. मिश्रिख तीर्थ में पांच दिन तक यह पंचकोसीय परिक्रमा के रूप में रहता है. इस परिक्रमा में देश के कोने-कोने से ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देश नेपाल के श्रद्धालु भी परिक्रमार्थी के रूप में शामिल होते हैं.

इस परिक्रमा की पौराणिक मान्यता के मुताबिक महर्षि दधीचि ने देवासुर संग्राम के समय अपनी अस्थियों का दान करने से पहले पृथ्वीलोक के सभी तीर्थों में स्नान करने की इच्छा व्यक्त की थी, जिस पर देवताओं ने मिश्रिख क्षेत्र में सभी तीर्थों का आह्वान किया था. यह सभी तीर्थ इसी 84 कोस के भीतर स्थापित हुए थे. महर्षि दधीचि ने इस सभी तीर्थों की परिक्रमा और उसमें स्नान करने के उपरांत अपनी अस्थियों का दान किया था, तभी से इस 84 कोस परिक्रमा की परंपरा चली आ रही है.

मान्यता यह भी है कि त्रेतायुग में भगवान राम ने भी यह 84 कोस की परिक्रमा की थी. इसलिए इस परिक्रमा का विशेष महत्व माना जाता है. जिलाधिकारी ने बताया कि मिश्रिख के उत्तर में ग्राम पंचायत जसरथपुर, दक्षिण में ग्राम पंचायत परसौली, पूरब में ग्राम पंचायत नरायनपुर और पश्चिम में परिक्रमा मार्ग निर्धारित की गई है. सरकार द्वारा प्रान्तीयकरण किये जाने के बाद इस प्राचीन मेले का और भव्यता के साथ आयोजन किया जा सकेगा. साथ ही सुविधाओं में भी वृद्धि हो सकेगी.

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