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सीतापुर: नियमों की अनदेखी कर चलती हैं तमाम औद्योगिक इकाइयां, गैसकांड से लें सबक

यूपी के सीतापुर जिले में दरी फैक्ट्री से गैस रिसाव के बाद सात लोगों की मौत हो गई थी. प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है. वहीं हादसे के बाद यह कार्रवाई जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही है.

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Published : Feb 7, 2020, 9:00 AM IST

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बिसवां गैस रिसाव.

सीतापुर: बिसवां इलाके में गैस रिसाव से हुई सात लोगों की दर्दनाक मौत ने एक बार फिर प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है. केमिकल और दरी फैक्ट्रियों के पंजीकरण की जांच के लिए जांच कमेटी गठित की गई है. यह कमेटी फैक्ट्री की तरफ से कितना मानकों का पालन कर रही थी, इस बात की भी जांच करेगी.

बिसवां गैस रिवास से सात लोगों की मौत.

जिले के बिसवां इलाके को औद्योगिक नगरी के रूप में पहचाना जाता है. इस पूरे इलाके में तमाम ऐसी औद्योगिक इकाइयां हैं, जो नियमो की अनदेखी कर संचालित की जाती हैं. वहीं जिम्मेदार अधिकारी उन पर कार्रवाई करने से कतराते रहते हैं. जब कोई बड़ा हादसा होता है तब जांच की औपचारिकता निभाकर उसे ठंठे बस्ते में डाल दिया जाता है. ताजा मामले में भी जिस तरह केमिकल के उत्सर्जन की कोई व्यवस्था मौके पर नहीं दिखाई दी. इससे दरी फैक्ट्री के संचालन को प्रथमदृष्टया अनियमित माना जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- सीतापुर गैसकांड में एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत

वहीं मौके का जायजा लेने पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने पाया कि दरी और केमिकल फैक्ट्री दोनों आसपास हैं. दरी फैक्ट्री में भी डाई का काम किया जाता था, जबकि केमिकल फैक्ट्री में केमिकल की लोडिंग-अनलोडिंग का काम होता था. इन फैक्ट्रियों के पास लाइसेंस के साथ प्रदूषण विभाग की अनुमति थी अथवा नहीं, इस बारे में अधिकारी कोई ठोस जवाब नहीं दे पा रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ पता लग सकेगा. ऐसे में फैक्ट्रियों के संचालन पर सवाल उठना लाजमी है.

सीतापुर: बिसवां इलाके में गैस रिसाव से हुई सात लोगों की दर्दनाक मौत ने एक बार फिर प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है. केमिकल और दरी फैक्ट्रियों के पंजीकरण की जांच के लिए जांच कमेटी गठित की गई है. यह कमेटी फैक्ट्री की तरफ से कितना मानकों का पालन कर रही थी, इस बात की भी जांच करेगी.

बिसवां गैस रिवास से सात लोगों की मौत.

जिले के बिसवां इलाके को औद्योगिक नगरी के रूप में पहचाना जाता है. इस पूरे इलाके में तमाम ऐसी औद्योगिक इकाइयां हैं, जो नियमो की अनदेखी कर संचालित की जाती हैं. वहीं जिम्मेदार अधिकारी उन पर कार्रवाई करने से कतराते रहते हैं. जब कोई बड़ा हादसा होता है तब जांच की औपचारिकता निभाकर उसे ठंठे बस्ते में डाल दिया जाता है. ताजा मामले में भी जिस तरह केमिकल के उत्सर्जन की कोई व्यवस्था मौके पर नहीं दिखाई दी. इससे दरी फैक्ट्री के संचालन को प्रथमदृष्टया अनियमित माना जा रहा है.

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वहीं मौके का जायजा लेने पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने पाया कि दरी और केमिकल फैक्ट्री दोनों आसपास हैं. दरी फैक्ट्री में भी डाई का काम किया जाता था, जबकि केमिकल फैक्ट्री में केमिकल की लोडिंग-अनलोडिंग का काम होता था. इन फैक्ट्रियों के पास लाइसेंस के साथ प्रदूषण विभाग की अनुमति थी अथवा नहीं, इस बारे में अधिकारी कोई ठोस जवाब नहीं दे पा रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ पता लग सकेगा. ऐसे में फैक्ट्रियों के संचालन पर सवाल उठना लाजमी है.

Intro:सीतापुर: बिसवां इलाके में गैस रिसाव से हुई सात लोगों की दर्दनाक मौत ने एक बार फिर प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है.केमिकल और दरी फैक्ट्री का पंजीकरण था अथवा नही और उनके द्वारा मानकों का पालन किया जा रहा था अथवा नहीं,इसके लिए जांच कमेटी गठित कर दी गई है लेकिन हादसे के बाद की यह कार्यवाही जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही है.





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जिले के बिसवां इलाके को औद्योगिक नगरी के रूप में पहचाना जाता है. इस पूरे इलाके में तमाम ऐसी औद्योगिक इकाइयां है जो नियमो की अनदेखी कर संचालित की जाती है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी उन पर कार्यवाही करने से कतराते रहते हैं. जब कोई बड़ा हादसा होता है तब जांच की औपचारिकता निभाकर उसे ठंढे बस्ते में डाल दिया जाता है. ताज़ा मामले में भी जिस तरह केमिकल के उत्सर्जन की कोई व्यवस्था मौके पर नही दिखाई दी उससे इस फैक्ट्री के संचालन को प्रथमदृष्टया अनियमित माना जा रहा है


Conclusion:ईटीवी की टीम ने मौके का जायज़ा लेने पर पाया कि दरी और केमिकल फैक्ट्री दोनो आसपास है.दरी फैक्ट्री में भी डाई का काम किया जाता था जबकि केमिकल फैक्ट्री में तो केमिकल की लोडिंग-अनलोडिंग का काम होता था.इन फैक्ट्रियों के पास लाइसेंस के साथ प्रदूषण विभाग की अनुमति थी अथवा नहीं. इस बारे में अधिकारी कोई ठोस जवाब नहीं दे पा रहे हैं और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ बता पाने की बात कह रहे हैं ऐसे में फैक्ट्रियों के संचालन पर ही सवाल उठने लगे हैं.

वाकथ्रो- नीरज श्रीवास्तव

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887
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