सीतापुर: पिछले दो दशक से तालाबंदी की शिकार सीतापुर प्लायवुड फैक्ट्री के कर्मचारियों ने अपने बकाया भुगतान को लेकर मंगलवार को मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि उनका भुगतान किए बिना फैक्ट्री की संपत्ति को बेचने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन हम इसे सफल नहीं होने देंगे और इसका हर स्तर पर विरोध करेंगे.
कभी जिले की पहचान रही सीतापुर प्लायवुड फैक्ट्री बकाया भुगतान को लेकर विवादों में है. यहां के कर्मचारी अपने बकाया भुगतान को लेकर करीब दो दशक से लगातार आंदोलन कर रहे हैं. फैक्ट्री कै बंद होते समय यहां करीब 415 कर्मचारी नियमित रूप से कार्यरत थे. जिनमें से करीब डेढ़ सौ कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. जो कर्मचारी जीवित है वह स्वयं और मृतक कर्मचारियों के आश्रित बकाया भुगतान की मांग को लेकर आंदोलन की राह पर है. भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले प्लायवुड फैक्ट्री कर्मचारी संगठन ने एनएच 24 पर मंगलवार को फैक्ट्री के सामने मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया.
संगठन के सचिव आर्य बन्धु ने कहा कि कर्मचारियों का करीब 32 करोड़ रुपये बकाया है. अगर उसमें ब्याज जोड़ लिया जाए तो वर्तमान में करीब 90 करोड़ रुपये बनते हैं. संगठन की मांग है कि फेरा एक्ट के मुताबिक केन्द्र सरकार इस फैक्ट्री और उससे संबंधित संपत्ति का अधिग्रहण करे और फिर उसकी नीलामी कर कर्मचारियों के बकाया धनराशि का भुगतान करें.
सेवानिवृत्त कर्मचारियों के आश्रितों का कहना है कि बकाया धनराशि उनके जीवन का सहारा है अगर वह मिल जायेगा तो वह अपनी तमाम जिम्मेदारियों को पूरा कर सकेंगे. उनका कहना है कि फैक्ट्री मालिक इसे बेचने का प्रयास कर रहे हैं. हम कर्मचारियों के इस प्रयास को किसी भी हाल में सफल नहीं होने देंगे. इसके लिए हम सड़क से न्यायपालिका तक लड़ाई लड़ेंगे.