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सीतापुर: कार्तिक पूर्णिमा पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, आदिगंगा गोमती में लगाई डुबकी

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Published : Nov 12, 2019, 12:37 PM IST

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में स्थित नैमिषारण्य से गुजरने वाली गोमती नदी के किनारे श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां भारी संख्या में श्रद्धालु आए हुए हैं.

सीतापुर में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी.

सीतापुर: 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य से होकर गुजरने वाली आदिगंगा गोमती नदी में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई. यहां श्रद्दालुओं ने अपने पापों से छुटकारा पाने के साथ-साथ मोक्ष की कामना की. आदिगंगा गोमती में स्नान करने वालो में स्त्री, पुरुष, वृद्ध और बालक समेत हर वर्ग के लोग शामिल थे. तड़के सुबह शुरू हुआ स्नान का सिलसिला दिन चढ़ने के साथ ही बढ़ता जा रहा है.

सीतापुर में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी.

नैमिषारण्य में सोमवती अमावस्या और कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान का विशेष फल माना जाता है. इन अवसरों पर यहां स्नानार्थियों की भारी भीड़ उमड़ती है. यहां आने वाले श्रद्धालु चक्रतीर्थ और आदिगंगा गोमती नदी में स्नान कर अपने पापों से छुटकारा पाने समेत मोक्ष की कामना करते हैं. उन्हें यह विश्वास रहता है कि आदिगंगा उनके पापों को धुलकर उनकी मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति करेंगी. सुबह की पौ फटने से पहले ही नैमिषारण्य के राजघाट पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया.

इसे भी पढ़ें- कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहा है 'महापद्मक योग', स्नान और दान कर पाएं महाफल

भक्तिभाव के साथ कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु डुबकी के दौरान 'हर हर गंगे बारावती, पाप काटे गोमती' के नारे भी लगाते दिखे. लोग जल्द से जल्द आदिगंगा गोमती में स्नान कर अपने पापकर्मों का प्रायश्चित करने के लिए आतुर दिखे. यहां के पुरोहितों ने बताया कि यहां पर स्नान का विशेष फल माना जाता है, जो लोग धनाभाव या समयाभाव के कारण काशी, हरिद्वार या प्रयाग नहीं जा पाते हैं, उनके यहां स्नान करने का भी वही फल प्राप्त होता है.

सीतापुर: 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य से होकर गुजरने वाली आदिगंगा गोमती नदी में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई. यहां श्रद्दालुओं ने अपने पापों से छुटकारा पाने के साथ-साथ मोक्ष की कामना की. आदिगंगा गोमती में स्नान करने वालो में स्त्री, पुरुष, वृद्ध और बालक समेत हर वर्ग के लोग शामिल थे. तड़के सुबह शुरू हुआ स्नान का सिलसिला दिन चढ़ने के साथ ही बढ़ता जा रहा है.

सीतापुर में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी.

नैमिषारण्य में सोमवती अमावस्या और कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान का विशेष फल माना जाता है. इन अवसरों पर यहां स्नानार्थियों की भारी भीड़ उमड़ती है. यहां आने वाले श्रद्धालु चक्रतीर्थ और आदिगंगा गोमती नदी में स्नान कर अपने पापों से छुटकारा पाने समेत मोक्ष की कामना करते हैं. उन्हें यह विश्वास रहता है कि आदिगंगा उनके पापों को धुलकर उनकी मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति करेंगी. सुबह की पौ फटने से पहले ही नैमिषारण्य के राजघाट पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया.

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भक्तिभाव के साथ कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु डुबकी के दौरान 'हर हर गंगे बारावती, पाप काटे गोमती' के नारे भी लगाते दिखे. लोग जल्द से जल्द आदिगंगा गोमती में स्नान कर अपने पापकर्मों का प्रायश्चित करने के लिए आतुर दिखे. यहां के पुरोहितों ने बताया कि यहां पर स्नान का विशेष फल माना जाता है, जो लोग धनाभाव या समयाभाव के कारण काशी, हरिद्वार या प्रयाग नहीं जा पाते हैं, उनके यहां स्नान करने का भी वही फल प्राप्त होता है.

Intro:सीतापुर: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर 88 हज़ार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य से होकर गुजरने वाली आदिगंगा गोमती नदी में श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर अपने पापों से छुटकारा पाने और मोक्ष की कामना की.आदिगंगा गोमती में स्नान करने वालो में स्त्री,पुरूष, वृद्ध और बालक सभी शामिल थे. तड़के से शुरू हुआ स्नान का सिलसिला दिन चढ़ने के साथ ही बढ़ता चला गया.


Body:नैमिषारण्य में प्रत्येक अमावस्या, सोमवती अमावस्या और कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान का विशेष फल माना जाता है. इसलिए इन अवसरों पर यहां स्नानार्थियों की भारी भीड़ उमड़ती है.यहां आने वाले श्रद्धालु चक्रतीर्थ और आदिगंगा गोमती नदी में स्नान कर अपने पापों से छुटकारे और मोक्ष की कामना करते हैं उन्हें यह विश्वास रहता है कि आदिगंगा उनके पापों को धुलकर उनकी मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति करेंगी. सुबह की पौ फटने से पहले ही नैमिषारण्य के राजघाट पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था जो दोपहर तक लगातार जारी था.


Conclusion:भक्तिभाव के साथ कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं की डुबकी के दौरान लगने वाले हर हर गंगे बारावती, पाप काटे गोमती का जयघोष गुंजायमान हो रहा था. लोग जल्द से जल्द आदिगंगा गोमती में स्नान-ध्यान कर अपने पापकर्मों का प्रायश्चित करने के लिए आतुर दिखाई दे रहे थे. यहां के पुरोहितों ने बताया कि यहां पर स्नान का विशेष फल माना जाता है जो लोग धनाभाव या समयाभाव के कारण काशी,हरिद्वार या प्रयाग नही जा पाते हैं उनके यहां स्नान करने का भी वही फल प्राप्त होता है.कुछ श्रद्धालुओं ने यहां की अव्यवस्थाओ पर भी नाराजगी जाहिर की.

बाइट-कृष्ण कुमार दीक्षित (प्रधान पुजारी-अष्टांग आरती सेवा समिति-राजघाट नैमिषारण्य)
बाइट-देवी प्रसाद तिवारी (पुरोहित)
बाइट-पवन (श्रद्धालु)

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887
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