सीतापुर: 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य में स्थित जगत जननी मां ललिता देवी मंदिर में प्रतिदिन देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं और मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के हिस्से, उनके वस्त्र या आभूषण गिरे थे. वहां-वहां शक्तिपीठ बन गए थे. देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन हैं. एक यह भी मान्यता है कि यहां सती का हृदय भाग गिरा था. मां ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी, राज राजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है.
माता के इस पावन शक्तिपीठ के दर्शन के लिए वैसे तो पूरे वर्ष भक्तों का तांता लगा रहता है. लेकिन नवरात्रि के दिनों में यहां का महात्म्य और भी बढ़ जाता है. क्योंकि नवरात्रि के नौ दिन मां की उपासना का दिन है. ऐसे में शक्तिपीठों के दर्शन-पूजन से विशेष लाभ प्राप्त होता है. मां की विशेष साधना के लिए नवरात्रि में भारी संख्या में भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में रोजाना माता का दिव्य श्रृंगार भी किया जाता है. सुबह और शाम पूरे विधि-विधान के साथ देवी की पूजा-अर्चना की जाती है.
51 शक्तिपीठों में से एक है मां ललिता देवी मंदिर, नवरात्रि में पहुंचते हैं हजारों श्रद्धालु - सीतापुर
उत्तर प्रदेश के सीतापुर में स्थित मां ललिता देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. मां ललिता देवी को आदि शक्ति स्वरूपा भी कहा जाता है. सृष्टि की उत्पत्ति के समय सर्व प्रथम आदि शक्ति के रूप में मां ललिता का प्राकट्य हुआ. जिन्होंने ब्रम्हा, विष्णु, शंकर की उतपत्ति की. एक यह भी मान्यता है कि यहां देवी सती का हृदय भाग गिरा था. नवरात्रि में यहां भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है. आइए जानते हैं मंदिर के महत्व के बारे में.
सीतापुर: 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य में स्थित जगत जननी मां ललिता देवी मंदिर में प्रतिदिन देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं और मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के हिस्से, उनके वस्त्र या आभूषण गिरे थे. वहां-वहां शक्तिपीठ बन गए थे. देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन हैं. एक यह भी मान्यता है कि यहां सती का हृदय भाग गिरा था. मां ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी, राज राजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है.
माता के इस पावन शक्तिपीठ के दर्शन के लिए वैसे तो पूरे वर्ष भक्तों का तांता लगा रहता है. लेकिन नवरात्रि के दिनों में यहां का महात्म्य और भी बढ़ जाता है. क्योंकि नवरात्रि के नौ दिन मां की उपासना का दिन है. ऐसे में शक्तिपीठों के दर्शन-पूजन से विशेष लाभ प्राप्त होता है. मां की विशेष साधना के लिए नवरात्रि में भारी संख्या में भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में रोजाना माता का दिव्य श्रृंगार भी किया जाता है. सुबह और शाम पूरे विधि-विधान के साथ देवी की पूजा-अर्चना की जाती है.