सीतापुर: राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट 'एक जनपद एक उत्पाद' के तहत चयनित दरी उद्योग को संजीवनी मिल गई है. इस व्यवसाय से जुड़े बुनकरों को न सिर्फ कॉमन फैसिलिटी सेंटर की सुविधा उपलब्ध होगी, बल्कि डाइंग सेंटर का भी लाभ मिलेगा. जिले के बुनकर काफी लंबे समय से इन दोनों सुविधाओं की मांग करते चले आ रहे थे और अब उनकी यह मांग पूरी होती दिखाई दे रही है.
40 से 50 हजार लोगों की चलती है आजीविका
जिले में दरी उद्योग का डेढ़ से दो सौ करोड़ का सालाना टर्न ओवर है. यहां की बनी हुई दरियां कई देशों में जाती हैं और 40 से 50 हजार लोगों की आजीविका इसी दरी उद्योग पर किसी न किसी रूप में आधारित है. सूबे में योगी सरकार बनने के बाद लागू ओडी ओपी (एक जिला एक उत्पाद) योजना में भी सीतापुर से इसी उद्योग का चयन हुआ था. पिछले दिनों ईटीवी भारत ने बुनकरों की समस्याओं और मांग को प्रमुखता से दिखाया था.
ढाई करोड़ रुपये स्वीकृत
ईटीवी भारत पर दरी उद्योग की खबर दिखाए जाने के बाद उपायुक्त उद्योग ने इस खबर का जिक्र करते हुए बुनकरों के लिए जल्द ही शुरू होने वाली सेवाओं का ब्यौरा पेश किया. उन्होंने बताया कि ओडीओपी के तहत बिसवां क्षेत्र में कॉमन फैसिलिटी सेंटर के निर्माण का प्रस्ताव क्रियान्वयन के अंतिम दौर में है. उन्होंने बताया कि जिला स्तरीय समिति के अनुमोदन के बाद इस प्रस्ताव को शासन भेज गया था, जहां प्रदेश के कुल 14 जिलों के प्रस्ताव के साथ इसे वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी गई है और इसका क्रियान्वयन बहुत जल्द शुरू हो जायेगा. इस परियोजना के लिए ढाई करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है.
उपायुक्त उद्योग के मुताबिक इस व्यवसाय से जुड़े बुनकरों की दूसरी बडी मांग डाईंग सेंटर की स्थापना का प्रस्ताव भी जिला स्तरीय समिति द्वारा पास कर शासन भेजा गया है. 11 करोड़ रुपये की लागत से इस डाईंग सेंटर की स्थापना खैराबाद में ही की जायेगी. इन दोनों परियोजनाओं के स्थापित होने के बाद जिले के सबसे प्रमुख दरी व्यवसाय को निश्चित रूप से संजीवनी मिलेगी.